Serving Is Different From Helping And Fixing

Author
Rachel Naomi Remen
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Image of the Weekसेवा करना, मदद करना और मरम्मत करने से अलग है(रेचल नाओमी रिमेन द्वारा लिखित) 18 मार्च 2013

हाल के वर्षों में यह सवाल कि "मैं कैसे मदद कर सकता हूँ?" लोगों के लिए काफी मददगार हो गया है। किन्तु शायद हमें इससे गहरे एक सवाल पर विचार करना चाहिए। शायद असली सवाल यह नहीं है कि मैं कैसे मदद कर सकता हूँ, बल्कि यह है कि मैं सेवा कैसे कर सकता हूँ ?

सेवा करना मदद करने से अलग है। मदद करना असमानता पर आधारित है, वह बराबर लोगों के बीच का रिश्ता नहीं है। जब आप किसी की मदद करते है , तो आप अपनी शक्ति का प्रयोग करते है अपने से कमज़ोर लोगों के मदद के लिए। यदि मैं मेरे भीतर जो चल रहा है , उसके प्रति जागरूक हूँ तो मुझे पता चलेगा कि जब मैं मदद कर रहा होता हूँ , तो मैं हमेशा ऐसे इंसान की मदद कर रहा हूँ जो मुझ जितना ताकतवर नहीं है, जो मुझसे ज्यादा ज़रुरत में है। लोग इस असमानता को महसूस कर लेते है। जब हम किसी की मदद करते है , तो हम अनजाने में उन्हें जितना दे सकते है, उससे काफी ज़यादा ले लेते हैं। हम उनका आत्म सम्मान, उनकी पूर्णता छीन सकते है। जब हम किसी की मदद करते है तो हमें अपने शक्ति के बारे में पता रहता है। किन्तु हम शक्ति के साथ सेवा नहीं करते है, हम स्वयं के साथ सेवा करते है। हम हमारे सारे अनुभवो से सीखते है। हमारी सीमाएं, हमारे घाव, यहाँ तक हमारा अन्धकार भी सेवा करता है। हमारे भीतर की पूर्णता दूसरों के भीतर और ज़िन्दगी की पूर्णता की सेवा करती है। आप के भीतर के पूर्णता और मेरे भीतर कि पूर्णता एक जैसी ही है। सेवा बराबर वालों के बीच का रिश्ता है।

मदद से ऋण लगता है। जब आप किसी की मदद करते है, उनपर एक एहसान चढ़ जाता है। लेकिन चिकित्सा की तरह सेवा भी दोनों का होता है। इसमें कोई ऋण नहीं है। मेरी भी उतनी ही सेवा होती है, जितना उस इंसान की जिसकी मैं सेवा करता हूँ। जब मैं मदद करता हूँ, एक संतोष का भाव होता है , किन्तु जब मैं सेवा करता हूँ, तो कृतज्ञता का भाव होता है। यह दोनों बहुत भी भिन्न चीज़ें है।

सेवा मरम्मत करने से भी अलग है। जब मैं किसी इंसान को ठीक करता हूँ, तो मैं उसे टूटे हुए के रूप में देखता हूँ, और उनका टुटा होने के कारण मुझे कार्य करना पड़ता है। जब मैं मरम्मत करता हूँ तो मैं दुसरे इंसान के भीतर सम्पूर्णता नहीं देख पाता, या उनमे जीवन की अखंडता नहीं देख पाता। जब मैं सेवा करता हूँ, मैं उनके भीतर कि पूर्णता को देखता और विश्वास करता हूँ। मैं उसी पूर्णता को जवाब दे रहा होता हूँ, सहयोग कर रहा होता हूँ।

हम जिसे या जिसकी मरम्मत कर रहे होते है, उसके और हमारे बीच हमेशा एक दूरी रहती है। मरम्मत करना एक प्रकार का निर्णय है। सभी प्रकार का निर्णय एक दूरी, एक वियोग, एक अंतर बनाता है। मरम्मत करने में अनुभव में एक असमानता रहती है , जो बहुत आसानी से एक नैतिक दूरी बन सकता है। हम कभी एक दूरी से सेवा नहीं कर सकते है। हम सिर्फ जो हमसे गहराई से जुड़ा है, जिसे हम छू सकते है , उसी कि सेवा कर सकते है। यही मदर टेरेसा का सन्देश था। हम जीवन की सेवा इसलिए नहीं करते है क्योंकि वह टुटा है, बल्कि इसलिए क्योंकि वह पवित्र है।
 

Rachel Naomi Remen is the author of various books, including Kitchen Table Wisdom. Excerpt above is from a transcript of Noetic Sciences Review. You may also read one of another story that Rachel recently shared with us: Doctor's Heart of Compassion.


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