Kintsugi

Author
Stefano Carnazzi
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Image of the Week“किन्त्सुगी” द्वारा स्तेफ्फानो कोर्नेज्ज़ी
जब भी कोई प्याला, चाय तश्तरी या बेशकीमती गमला गिरता है और हजारों टुकड़ों में टूट जाता है, हम उसे क्रोध में, पछतावे पूर्ण तरीके से, फेंक देते हैं| फिर भी एक जापानी प्रक्रिया है, जो टूटी हुई वस्तु को और महत्वपूर्ण बना देती है और उस टूटने को उजागर करते हुए, उस खंडित वस्तु की कीमत और मूल्य बढ़ा देती है | उसे जापानी में “ किन्त्सुगी“ या “कित्सुकोरै” कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है, स्वर्णिम मरम्मत |
इस प्राचीन जापानी परंपरा में एक मूल्यवान धातु : पिघला स्वर्ण, पिघली चांदी या अन्य पदार्थ जिसमे स्वर्ण भस्म मिला दी गई हो , को टूटे हुए बर्तन को जोड़ने में प्रयोग में लिया जाता है और साथ ही उसका मूल्य बढ़ जाता है |यह तकनीक बिखरे हुए टुकड़े जोड़ के, उन्हें एक नया , शुद्ध रूप प्रदान करती है|प्रर्येक मरम्मत की हुई वस्तु, अनोखा रूप ले लेती है, क्योंकि चीनी मिट्टी के बर्तन एक अजीब, अनियमित, रूप से टूटते हैं, और एक असामान्य आकृति निकल के आती है, जो इन धातुओं के मिश्रण से और अच्छी उभर के आती है|
इस तकनीक के सहारे , यह मुमकिन है कि हर बार एक नए एवं अलग रूप रेखा की कृतियाँ उभर केआयें , जिनकी अपनी कहानी है एवं अपनी ही सुन्दरता है| और इसके लिए धन्यवाद् उन अनोखी दरारों को है, जो किसी वस्तु के टूटने से बन जाती हैं, मानो वे कोई जख्म हैं, जिन्होंने हमारे ऊपर विभिन्न प्रकार के अलग अलग निशान छोड़ दिए हों|
यहाँ तक के आज भी , बड़े एवं अत्यंत परिशोधित चीनी मिट्टी के बर्तनों को, “किन्त्सुगी” तकनीक से सही करने में, लगभग एक महिना तक लग सकता क्योंकि कई पायदानें होती हैं, और उन्हें सूखने में भी वक़्त लगता है|
यह “किन्त्सुगी “ तकनीक बहुत से तथ्य सुझाव में देती है | हमें टूटी हुई वस्तुएं नहीं चाहिए|कोई वस्तु अगर टूट जाती है तो उसका ये मायने नहीं है कि अब उसकी कोई जरूरत नहीं रही | उसके टूटे हुए जोड़ भी मूल्यवान हो सकते हैं| हमें हर टूटी चीज़ की मरम्मत करनी चाहिए, क्योंकि यह करने से कई बार हमें अधिक मूल्यवान वस्तु प्राप्त हो जाती है|
ये ही हमारे लचीलेपन वाले स्वभाव का सार है|हम में से प्रत्येक को,अपने जख्मे देने वाली घटनाओं को, सकारात्मक रूप से देखने की आवश्यकता है, अपने नकारात्मक अनुभवों से सीख लेने की आवश्यकता है, उनमे से, सबसे जरूरी, तथ्य ग्रहण करने की आवश्यकता है, और अपने आपको कायल करने की आवश्यता है कि ये ही वो अनुभव हैं जो प्रत्येक मनुष्य को अनोखा एवं मूल्यवान बनाते हैं|
मनन के लिए मूल प्रश्न: आपको “किन्त्सुगी “ क्या सुझाव देती है| क्या आप उस समय की एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने किसी नकारात्मक अनुभव के जख्म के निशान में, में, ख़ूबसूरती देखी हो? आपको यह देखने में किस चीज़ से सहायता मिलती है कि, जीवन के जख्मों के निशान , उसकी ख़ूबसूरती को ख़राब नहीं करते, बल्कि उसके ही अभिन्न अंग हैं|
 

Originally excerpted from here.


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