A Flower's Job Is To Bloom

Author
Srikumar Rao
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Image of the Weekएक पुष्प का जीवन कार्य है फलना फूलना एवं खुशबू फैलाना द्वारा श्रीकुमार राव

“माय फेयर लेडी “ नमक प्रसिद्ध नाटक में एक अहम् समय तब आता है जब एक पात्र, हेनरी हिग्गिंस की माँ , सहानुभूति पूर्वक एक सिसकती हुई पात्र एलिजा डोलिटिल से मिलती है| एलिजा नाराज़ है कि हिग्गिंस ने उसे ,एक राजकीय नृत्य नाटिका में हुए, उसके शोभनीय नृत्य नाटक के लिए, बधाई नहीं दी, जबकी वहां के युवराज ने उस के नृत्य से प्रभावित हो कर पहला नृत्य , उसके ही साथ किया था|

एलिजा, हिग्गिंस को फटकारती है और उसकी तुलना एक अन्य पात्र कर्नल पिकरिंग से करती है , जो एक साधारण नृत्यांगना (flower girl) से भी ऐसा ही बर्ताव करता है जैसे कि वो कोई महारानी हो| इस पर हिग्गिंस जवाब देता है कि वो महारानी से भी एक साधारण नृत्यांगना (flower girl) जैसा ही बर्ताव करता है और फिर कहता है कि वो सबसे एक जैसा ही बर्ताव करता है|

एलिजा चाहती थी अपने आपको महत्वपूर्ण महसूस कराना और सब उसे महत्वपूर्ण मान कर उस से उसी तरह का बर्ताव करें|

आप भी ऐसा ही चाहते हैं|मैं भी ऐसा ही चाहता हूँ| और ज्यादातर सभी ऐसा ही चाहते हैं|

समस्या तब उभरती है जब हम ये चाहते हैं कि यह पहचान एवं सम्मान एक अमुक व्यक्ति से अथवा एक अमुक समूह की तरफ से आये| जब भी हमारा आतंरिक एवं भावात्मक स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हमें किसी अन्य से सम्मान मिला है या नहीं, तभी हमने अपने चारों ओर एक कैद का निर्माण कर लिया है और उसकी चाबी किसी और के हाथ में दे दी है|

पर हम ऐसा क्यों करेंगे ? हम कभी भी ऐसा क्यों करना चाहेंगे ?

हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हमने इस के विषय में कभी सोचा ही नहीं है, और इसलिए भी करते हैं क्योंक हमारे आस पास के सभी लोग ऐसा ही करते हैं | क्या हम सच में चाहते हैं कि हमारी ख़ुशी किसी अन्य के हमारे प्रति सम्मान एवं प्रशंसा पर निर्भर हो और वो उसके हाथ में एक चाबी की तरह हो?

हमारा जीने का प्रयोजन एक पुष्प की तरह फलना, फूलना और खुशबू फैलाना है | हमारी पूर्ण संतुष्टि उसी में ही है|

एक गुलाब जो जंगल में, वीराने में, फलता फूलता और सुगंध फैलता है, किसी भी मायने में , एक दार्शनिक बगीचे में उगने वाले गुलाब से, कम नहीं है|

मनन के लिए बीज प्रश्न : आप इस धारणा से कैसा नाता रखते हैं कि “ एक गुलाब जो जंगल में, वीराने में, फलता फूलताऔर सुगंध फैलता है, किसी भी मायने में , एक दार्शनिक बगीचे में उगने वाले गुलाब से, कम नहीं है ? क्या आप ऐसे समय कि एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने किसी अन्य की मान्यता की जरूरत से अपने आपको मुक्त कर लिया हो ? जैसा की एक पुष्प का प्रयोजन फलना फूलना और खुशबू फैलाना है, आपको अपने जीवन के वास्तविक प्रयोजन में बने रहने में, किस चीज़ से मदद मिलती है?
 

Srikumar Rao is business-chool professor and author. Excerpt above from his book, Modern Wisdom, Ancient Roots.


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