Keeping Nothing Between


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बीच में कुछ भी न रखना
-- यूजीन गेंडलिन (२९ जून, २०१६)

एक रेस्तरां में अगले बूथ में एक छोटी सी लड़की पलट कर आपको देखती है। यह एक खुली नज़र है, सीधे उससे - आप तक। उसे पता नहीं है कि अजनबियों को आपस में जुड़ना नहीं चाहिए। वह इस जानकारी को आपके और अपने बीच नहीं लाती। बीच में कुछ भी नहीं है। आप वापस देखते हो। उसके माता-पिता उसे आगे की तरफ चेहरा करके बैठा देते हैं। लेकिन, जब वे उठ कर जाने लगते हैं, तो वो दरवाज़े पर फिर से देखने के लिए घूमती है। आखिरकार, आप और वो पहले मिल चुके हैं इसलिए वह जाना नहीं चाहती।

पहली कक्षा में बच्चे अपनी टीचर को खोजते, खुले तौर पर, उस तक पहुंचने की निगाह से देखते हैं। वे बीच में कुछ नहीं रखते। टीचर को पढ़ने की क्षमता के आठ स्तरों की चिंता है, और वो वापस नहीं देखती।

क्या केवल छोटे बच्चे ही बीच में कुछ नहीं रखते? या वयस्क भी ऐसा कर सकते हैं? हम कर सकते हैं, लेकिन हमारे लिए यह एक विशेष बात है।

अगर आप अब मुझे मिलने के लिए आएं, तो मैं आपको इस तरह से नहीं देखूंगा, अगर आप मुझे देखेंगे तो न ही मैं उसपर ध्यान दूंगा। आप मुझे निजी संघर्ष में घिरे एक निश्चित मूड में पाएंगे। मैं यह पेपर लिखने में भी ध्यानमग्न हूँ। अगर आप अचानक पहुंच जाएँ, एक तीसरी चीज़ आ जाएगी: सामाजिक परिस्थिति में किसी का ठीक से स्वागत करना। मैं आपको उस सामाजिक परिस्थिति में से जवाब दूंगा। या यदि आप एक पुराने दोस्त हैं, मैं हम दोनों की उस परिचित परिस्थिति से जवाब दूंगा। अगर फिर आप किसी नए, गहरे तरीके से मुझसे बात करना चाहते, तो मुझे हमारी सामान्य परिस्थिति को एक तरफ रखने में एक मिनट लगता, अपने अध्याय की चिंता को दूर रख कर और अपने मूड को बदलने में ताकि मैं अब उस मूड में नहीं हूँ। फ़िर मैं कुछ भी बीच में डाले बिना यहां पर होऊंगा। लेकिन इन सब चीज़ों के पीछे रहना और अपने स्वचालित तरीके पर निर्भर रहना आसान होगा।

अगर मैं वास्तव में आप के साथ मौजूद रहना चाहता हूँ, तो मैं अपने सामने कुछ भी नहीं रखता। बेशक मैं जानता हूँ कि मैं वापस स्वचालित तरीकों पर पहुंच सकता हूँ। यदि आवश्यकता हो, मैं अपनी सफाई भी दे सकता हूँ। मेरे पास कई संसाधन हैं। लेकिन मैं उन चीज़ों को अपने बीच नहीं चाहता।

अगर मैं हमारे बीच कुछ न रखूं, तो आप मेरी आँखों में देख सकते हैं और मुझे ढूंढ सकते हैं। आप बेशक न देखें। लेकिन अगर आप ऐसा करेंगे, मैं छुपूंगा नहीं। तो फिर शायद आप एक बहुत ही अपर्याप्त व्यक्ति को देखेंगे। लेकिन संपर्क के लिए, किसी खास किस्म के इंसान की ज़रूरत नहीं है। यह तथ्य एक घनी शांति बनाता है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप “बीच में कुछ न रखने” से क्या समझते हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जहां आपने बीच में कुछ न रखा हो? आपको बीच में कुछ न रखने में कौनसी साधना मदद करती है?

यूजीन गेंडलिन द्वारा लिखित यू एंड मी - द पर्सन इन देयर (आप और मैं - वो इंसान जो अंदर है) से उद्धरित।
 

Extract from You and I - The Person in There by Eugene Gendlin.


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