The Same Self Is in All of Us

Author
Eknath Easwaran
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Image of the Weekवही आत्मा हम सब में है
लेखक - एकनाथ ईस्वरन
२७ जनवरी, २०१६

दिव्यता की वही चिंगारी - ये वही आत्मा - हर प्राणी में स्थापित है। मेरा असल रूप न तुम्हारे रूप से और न किसी और के रूप से अलग है। अगर हम ऐसी ख़ुशी में जीना चाहते हैं जो समय के साथ बढ़ती है, चाहे कैसे भी परिस्थिति हो, अगर हम पूर्ण स्वतंत्रता से जीना चाहते हैं, तो हमें यह समझने का प्रयास करना होगा कि चाहे हमारे परिवार में चार या हमारे काम करने की जगह में चालीस लोग हैं, लेकिन आत्मा केवल एक है।

यह अनुभूति हमें अपने चारों ओर सबके साथ आदर-भरा व्यवहार सीखने में मदद करती है, चाहे वो हमें भड़काते हों या हमें नापसंद करते हों या हमारे बारे में निर्दयी बातें कहते हों। और यह बढ़ता हुआ आदर हमें अधिक से अधिक सुरक्षित बना देगा। धीरे-धीरे यह हमें सबका आदर प्राप्त करने में मदद करेगा, उनका भी जो हमसे सहमत नहीं है या जो हमें अप्रिय लगते हैं।

हम में से अधिकांश औरों के साथ किन्ही ख़ास परिस्थितियों में आदर का व्यवहार कर सकते हैं - एक ख़ास समय पर, एक खास किस्म के लोगों के साथ, किसी ख़ास जगह पर। जब वो परिस्थितियां मौजूद नहीं होतीं, तो हम आम-तौर पर दूर हट जाते हैं। फिर भी जब हम दूसरे व्यक्ति के बर्ताव के अनुसार बर्ताव करते हैं, जब वो बदलती है, हम भी बदल जाते हैं, और वो भी इसी तरह का बर्ताव कर रही है, तो हम दोनों ओर असुरक्षा के अनुभव के सिवा किस चीज़ की उम्मीद कर सकते हैं? कुछ बनाने के लिए उसके नीचे कुछ ठोस है ही नहीं।

इसके बजाय, हम हमेशा अपने अंदर रहने वाली आत्मा को जवाब देना सीख सकते हैं - किसी दूसरे व्यक्ति के उतरावों-चढ़ावों, पसंदों-नपसन्दों पर ध्यान दिए बिना, लेकिन हमेशा उस पर ध्यान देकर जो हममें से हर एक में कभी न बदलने वाला होता है। फिर और लोग हम पर विश्वास करने लगते हैं। वो जानते हैं कि वो हम पर भरोसा कर सकते हैं - और यह हमें और भी अधिक सुरक्षित बनाता है।

हम हमेशा यह याद रखने की कोशिश कर सकते हैं: जो आत्मा हमें सम्मान और प्यार के योग्य बनाती है, वही समान रूप से हमारे आसपास हर किसी में मौजूद है। मुझे मालूम है कि हमारे अव्यक्त देवत्व को हमारे दैनिक जीवन में एक वास्तविकता बनाने के सब तरीकों में से यह एक सबसे पक्का तरीका है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: “हमेशा अपने अंदर की आत्मा” को जवाब देने से आप क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँटना चाहेंगे जो औरों के उतरवों-चढ़ावों, पसंदों-नपसन्दों से हटकर, उसपर ध्यान देना दर्शाता है जो कभी नहीं बदलता? अपने अंदर दिखने वाली आत्मा को औरों के अंदर देखने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

यह लेख एकनाथ ईस्वरन के ब्लू माउंटन जर्नल, शरद २०१५, २६स्वें खंड, तीसरे अंक, से लिया गया है।
 

Sourced from Eknath Easwaran's Blue Mountain Journal, Winter 2015, Volume 26, No. 3.


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