An Ode To Imagination

Author
Geneen Marie Haugen
28 words, 11K views, 19 comments

Image of the Weekकल्पना शक्ति का एक संबोध गीत द्वारा जेनीन मेरी हुगेन

इंसानों में एक अनूठी चीज़ क्या है ? ये प्रश्न मेरा पीछा करता रहा है| अन्य मनोवैज्ञानिकों ने ये माना है कि हमारी जो जागरूकता है, वो अन्य सभी प्राणियों में सबसे अनूठी बात है, या हमारी लक्षण बनाने कि काबलियत | पर मैं एक अन्य बात का प्रस्ताव रखना चाहता हूँ , जो हमारी प्रजाति में अनोखापन हो सकता है ,वो है हमारी उस चीज़ की कल्पना करके उसे अस्तित्व देने की क्षमता जो अभी तक अस्तित्व में नहीं है| जहाँ तक मेरा मानना है कि अन्य किसी प्रजाति में यह क्षमता नहीं है, जिससे हमने वायलिन , स्मार्ट फ़ोन, टेलिस्कोप, आणविक हथियार , एवं ब्रह्माण्ड यात्रायें का अविष्कार किया है| मेरा मतलब है , हम जानते हैं कि उदबिलाव , अपने हमेशा बढ़ते दांतों को सही करने के लिए वृषों को कुतरते रहते हैं , जिससे उन वृक्षों से बांध बनाने में सहायता हो जाती है , परन्तु वे ये मान कर ये वृक्ष नहीं कुतर रहे होते कि उनसे बाँध बनकर लॉस वेगास शहर में रौशनी करने के काम आयेंगे| मेरा यह प्रस्ताव हैं जो भी चीज़े इंसानों ने जान बूझ कर बनाई हैं,या जो भी हमने प्राकृतिक वास में सुधार करके बनाई हैं ये पहले हमारी कल्पना में पैदा हुई हैं| ये चाहे अच्छे के लिए हुई हों या बुरे के लिए| हमारी मानवीय कल्पना करने कि क्षमता ही हमारी सबसे महान, लेकिन सबसे उपेक्षित, एवं सबसे कम प्रयुक्त, प्राकृतिक योग्यता है|

परन्तु आज के इस सर्व व्यापी मीडिया युग ने , हमारी कल्पना की सहज क्षमताओं को दबा रखा है | विज्ञापन , मनोरंजन, खबरों के चैनल, एवं रानीतिक विचार धाराओं के द्वारा निरंतरत थोपी जा रही छवियों के कारण हमारी कल्पना की सहज स्चामता को दबा रखा है| हम जी रहे हैं, अभी तक के सबसे बड़े कल्पना शक्ति के, उपनिवेशन के, मध्य में| कवयित्री डिअने दी प्राइमा ने अपनी कविता “Rant “ में पहचाना है कि मानवीय कल्पना शक्ति को अपने काबू में करने के युद्ध के बहुत ही खतरनाक परिणाम हो सकते हैं , एवं जो युद्ध मायने रखता है वो हमारी कल्प्नना शक्ति के विरुद्ध का युद्ध है / सभी अन्य युद्ध उसी में सम्मिलित हैं/ और सबसे भयंकर आकाल है / हमारी कल्पना शक्ति की भूखमरी का |

हमारी कल्पना शक्ति की मानवीय क्षमताओं को अभी भी उपजाया जा सकता है, हालाँकि समस्त पृथ्वी समुदाय के कल्याणार्थ हेतु,अभी कल्पना प्रेरित कृत्यों की ज्यादा आवश्यकता है |

आज के लिए, मैं चाहता हूँ कि कल्पना शक्ति की मानवीय क्षमता को जोड़ दूं, समस्त चेतना वाली दुनिया की हमारी मानी हुई क्षमता से | हमारे सभी पूर्वज , मेरे अनुमान से, ऐसी दुनिया में रहते थे जो सह भागियों से भरी पड़ी थी, साथियों की दुनिया , जहाँ चिड़ियों को खबरों को स्थानातरित करने का माध्यम माना जाता था, जहाँ पत्थरों में भी अन्य आत्माओं का वास देखा जा सकता था , जहाँ सर्प भी बातें करते थे या मार्ग दर्शाने का काम करते थे | हमारे सभी पूर्वज , मेरे अनुमान से, चेतना वाली दुनिया में वास करते थे – और शायद कुछ पूर्वज अभी भी नाता रखते है : उस दुनिया से जो अन्य ज्ञानी प्राणियों से भरी पड़ी है|

कई समकालीन व्यक्ति यह मानते हैं कि मानव के आलावा अन्य जंतु भी बुद्धिमान हैं और आत्मीयता से परिपूर्ण हैं, पर उनकी यह समझ ज्यादा उनके बौधिक स्तर पे है, न कि अनुभव से | क्योंकि जो मृत्यु उपरांत दुनिया की छवि, जिससे की अधिकांश पश्चिमी देशो के लोग,, गहरायी से , किन्तु शायद अनजाने में, जुड़े हैं, ही उनकी इस समझ को दिशा देती है| जो व्यक्ति , इस बात को कम ही मानते हैं कि अन्य प्राणी जीवंत एवं बुद्धिमान हैं, शायद अपने आप ही ( बिना चाहते हुए) हमारी दैहिक जागरूकता से कुछ भी अन्य धारणा को हटा देते हैं, जबकि हमारी चाहत होती है उन गहन आतंरिक , पारस्परिक समागम एवं पारस्परिक क्रियाओं को पाने में|

आपकी कल्पना में क्या आता है, अगर आप इस बात के होने पर मनन करें कि वो साधारण “प्राणी”, जो हमारे दिनों में , निरंतर हमारे दिनों में इर्द गिर्द होते हैं, कि अपनी भी एक जिंदगी हो सकती है , जहाँ उनकी अपनी कुछ इच्छाएं भी हो सकती हैं? जो हमारे घरों की दीवारें हैं, वो कभी जीवंत जंगलों का ही हिस्सा हुआ करती थी : या जो पानी हमारे नल में आता है उसका अपना ही एक उद्यम स्थल है? अगर हमारी दैनिक जागरूकता में भावनात्मक पहचान शामिल हो जाती नदियों, चरागाहों, और मक्के की, उस आर्य तड़पन की, तो क्या हम अपनी योजनाओं पे प्रश्न उठा रहे होते, अथवा क्या हम उन्हें किसी दुसरे प्रारूप से देखने लग जाते ?

मनन के लिए मूल प्रश्न : आप कल्पना शक्ति के उपनिवेशन की धारणा से , एवं कल्पना शक्ति को उपजाने की मानवीय क्षमता को विकसित करने की धारणा, से कैसा नाता रखते हैं? क्या आप अपनी एक उस समय की निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप जागरूक हुए हों , उस दुनिया से जो “ अन्य” बुद्धिमान प्राणियों से भरी हुई है? आपको अन्य प्राणियों के प्रति इस बात की दैहिक जागरूकता बढ़ाने में कि वो ‘ जीवंत” एवं बुद्धिमान हैं, किस चीज़ से सहायता मिलती है?
 

Geneen Marie Haugen, PhD, grew up as a free-range wildish kid with a run amok imagination. She is a guide with the Animas Valley Institute, and is on the faculty of the Esalen Institute, Schumacher College, and the Fox Institute for Creation Spirituality. Excerpt above from this article.


Add Your Reflection

19 Past Reflections