The Three Narratives

Author
Joanna Macy
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Image of the Weekतीन वर्णन, जोअना मासी

जब हम इस कार्य के लिए साथ जुड़ते हैं, तो शुरुआत में हम तीन कहानियों या यथार्थ के संस्करणों को समझ पाते हैं, जो इस दुनिया को आकार दे रहे हैं, ताकि हम इन्हें और भी साफ़ देख सकें और हम तय कर सकें कि हमें किसके पीछे जाना है|

पहला वर्णन जो हम पहचानते है वो है “ सामान्य व्यापार (Business as Usual)” यानि विकासशील अर्थव्यवस्था, या विश्व स्तरीय संगठीत पूंजीवाद .| इस रस्ते पे चलने के आदेश हमें वस्तुतः सरकार , सार्वजनिक संस्थानों , सेना और संगठन प्रभावित मीडिया (media) की प्रत्येक आवाज़ से मिलते रहते है |

दूसरे को "वृहद खण्डन" कहा जाता है: जीवित संरचनाओं का एक निरंतर पतन। यह तब होता है जब पारिस्थितिक, जैविक और सामाजिक प्रणालियों को औद्योगिक विकास समाज या "सामान्य रूप से व्यवसाय" के माध्यम से वर्गीकृत किया जाता है। मुझे यह शब्द "खण्डन" पसंद है, क्योंकि तंत्र ऐसे ही गिर के ख़त्म नहीं हो जाते, वे आगे बढ़ते हैं, उत्तरोत्तर अपनी सुसंगतता, अखंडता और स्मृति खो देते हैं।

तीसरी कहानी अपने समय का केंद्रीय रोमांच है : जीवन पुष्टि करने वाले समाज की ओर परिवर्तन | इस परिवर्तन की गहरायी और दायरा देखें तो दीखता है की ये ही हो रहा है, और दस हज़ार वर्ष पूर्व के कृषि आन्दोलन या कुछ शताब्दी पूर्व के औद्योगिक आन्दोलन जैसा ही है| समकालीन सामाजिक दर्शनार्थी इसे विभिन्न नाम देते हैं जैसे पर्यावरिक या निरंतरता आन्दोलन.: एक कार्य जिसे हम वृहद् बदलाव कहते हैं|

साधारण रूप में देखें तो हमारा उद्देश्य इस प्रणाली को नाम देने एवं पहचानने का , जो वर्त्तमान में हमारे विश्व में चल रही है, यह है कि हम पहली दो कहानियों को बस निभा दें, और ज्यादा से ज्यादा व्यक्ति, एवं संसाधन को तीसरी कहानी की ओर बढ़ाते रहें| इस कार्य से निर्णय करना है कि हम किसे चुनें : सामान्य व्यापार से , जागृत प्रणाली का खण्डन या जीवन पुष्टिकारक समाज का विकास|

मनन के लिए बीज प्रश्न: हम इन तीन प्रकार के वर्णनों से कैसे साझा होते हैं? क्या आप अपनी व्यग्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं, जब आपने अपने आप को तीसरी कहानी में जुड़ा देखा: यानि जीवन पुष्टिकारक समाज की ओर परिवर्तन ? आप किस कहानी से जुड़े हैं, यह जानने में आपको किस चीज़ से सहायता मिलती है|
 

Joanna Macy, Ph.D., is an eco-philosopher and a scholar of Buddhism, general systems theory, and deep ecology. Excerpt above from Emergence Magazine.


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