When My Life Is In Danger


Image of the Weekजब मेरा जीवन खतरे में है

- क्रिस्टीना फेल्ड्मन


कुछ साल पहले, एक बूढ़े साधु तिब्बत की जेल से भाग कर भारत आए। दलाई लामा से मिलकर उन्होंने ने कारावास में बिताया हुआ समय, कठिनाईयाँ और मार-पिट, भूख, अकेलापन, और यातनाएं जो उन्होंने वहां सही उनको याद किया।

उस वार्तालाप में दलाई लामा ने साधु से पूछा, "क्या तुम्हे कभी भी ऐसा लगा के तुम्हारे प्राण सही में संकट में हैं?"

बूढ़े साधु ने उत्तर दिया, "सच कहूं तो, मुझे सिर्फ उस समय संकट लगा जब मुझे लगा के मै मुझे बंधक बनाने वालों के प्रति करुणा-हीन हो जाऊँगा।

ऐसी कहानियों को सुनकर हम अक्सर व्यग्र हो जाते हैं और उलझन में पड़ जाते हैं। हम उन लोगों को जो करुणा का भाव रखते हैं और स्वयं करुणा के गुण को आदर्श बना देते हैं। हम ऐसे लोगों को संत की तरह देखते हैं जिनके पास ऐसी शक्तियां हैं हो हमारे पास नहीं हैं। फिर भी महान कष्ट की गाथाएं अक्सर साधारण मनुष्यों की कहानियाँ होती हैं जिन्होंने हृदय की महानता प्राप्त की है। अपने मन को जागृत करने के लिए ये बहुत जरुरी है के हम करुणा को आदर्श या रोमानी न बना दें। अपने दर्द से भाग ने के बजाये उससे मिलने की इच्छा-शक्ति से हमारी करुणा का विकास होता है।

हम शायद कभी ऐसी परिस्तिथि में न आएं जहाँ हमारी जान को सच में खतरा हो, पर कष्ट और पीड़ा तो हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। हम में से कोई भी अपने दिल को ऐसी दीवारों से नहीं घेर सकता जिनको जीवन की सच्चाई भेद न पाए। इस जीवन की पीड़ा को सहन करते हुए हमारे पास विकल्प है: हमारे मन बंद हो जाएँ, हमारा शरीर सिकुड़ जाए, और हम उस मन का अनुभव कर सकते हैं जो दर्द भरे इंकार में जीता है। या फिर हम अपने अंदर गहरा गोता लगाएं जहाँ से हमें सहस, संतुलन, धीरज और ज्ञान प्राप्त होगा जो हमें देखभाल करने में सक्षम बनाएगा।

अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो हमें पता चलेगा के करुणा एक अवस्था नहीं है। वह इस अनिश्चित और क्षणभंगुर संसार में रहने का तरीका है। उस करुणा की सीमा केवल उन लोगों तक नहीं है जिनसे हम प्रेम करते हैं और जिनका ध्यान रखते हैं पर बराबरी से उन लोगों तक भी है जो हमें डराते हैं, धमकाते हैं और नुक्सान पहुंचते हैं। इस संसार में ऐसे अनंत जीव हैं जो असहनीय पीड़ा से भरा हुआ जीवन जी रहे हैं, जिनसे हम कभी नहीं मिलते।

इस जीवन यात्रा का एक ध्येय ये जानना है के हम अपने मन के अंदर कितना सम्मिलित कर सकते हैं। हमारी कष्ट पहुँचाने की क्षमता और स्वस्थ करने की क्षमता हमारे अंदर एक साथ रहती है। अगर हम अपनी स्वस्थ करने की क्षमता का विकास करें, जो हर मानव-जीवन का ध्येय होना चाहिए, हम देखेंगे के हमारा मन बहुत कुछ सम्मिलित कर सकता है, और हम स्वस्थ होना सीख सकते हैं- बजाये उन चीज़ों को बढ़ाने के - जो हमें एक दूसरे से दूर करते हैं।


मनन के लिए बीज प्रश्न:
आप के लिए करुणा का क्या अर्थ है?
क्या आप अपना कोई निजी अनुभव हमसे साझा कर सकते हैं जहाँ पर आप अपनी पीड़ा से स्वस्थ होने की क्षमता का विकास कर पाए हों?
आपको पीड़ा से स्वस्थ होने की क्षमता का विकास करने में क्या मदद करता है?


क्रिस्टीना फेल्ड्मन लम्बे समय से ध्यान-शिक्षक हैं, वे न्यू इंग्लैंड में एक माँ और दादी की क्षमता में निवास करती हैं। यह लेख इस पते से उद्धृत है - https://www.lionsroar.com/she-who-hears-the-cries-of-the-world/
 

Christina Feldman is a long-time meditation teacher residing in New England, as a mother and grandmother. Excerpted from this article.


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