The Question of Being

Author
Adyashanti
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Image of the Weekअपने होने का प्रश्न

डेल्फी में ओरेकल के प्रवेशद्वार पे लिखा था "खुद को जानिए"| यीशु आये और प्राचीन विचार के साथ एक तात्कालिकता और परिणाम की भावना जोड़ दी जब वो बोले " तुम्हारे भीतर जो है उसे तुम आगे लाओगे तो तुम जो आगे लाओगे वह तुम्हे बचा लेगा| अगर तुम्हारे भीतर जो है उसे तुम आगे नहीं लाओगे तो तुम जो आगे नहीं लाओगे वह तुम्हे नष्ट कर देगा|”

यीशु के कहनेका यह मतलब है की अध्यात्म गंभीर परिणामो के साथ एक गंभीर व्यवसाय है| आपका जीवन अनिश्चितताओं के बादल से एक संतुलन पर लटका हुआ है| वह एक अजाग्रत स्थिति एवं आध्यात्मिक ज्ञान के बीच में लटका हुआ है| यह सच्चाई की ज्यादातर लोग ज़िन्दगी को इस तरह से नहीं देखते यह बयां करता है की वास्तव में वह कितनी गहराई में और इनकार में सो रहे है|

हमारे हर एक रूप में खुदके अस्तित्व का रहस्य छुपा हुआ है| किसी के शारीरिक देखाव, व्यक्तित्व, लिंग, इतिहास, व्यवसाय, आशा और सपने, चीज़ो के आने जाने के साथ एक भयानक शांति, एक ठहराव भी जुड़ा हुआ है| हमारे हरेक जूनून और उत्सुकता के साथ जुड़े हुए हमारे भीतर के मूल को हम नकार नहीं सकते| फिर भी हम अपने भीतर की शांति, खालीपन, चुप्पी से बचने के लिए सब कुछ करते है|

अपने आप से अजाग्रत रहने का मतलब अहंकार, डर, संघर्ष और कलह से संचालित एक बंजर भूमि में अपने आपको कैद करने जैसा है क्यू की हम सबका दिमाग नफरत, बेईमानी, अज्ञानता और लालच की अवस्था से घिर चूका है| लेकिन यह कोई समज़दारी नहीं है| समज़दारी के करीब भी नहीं है| यह वास्तविकता पे भी आधारित नहीं है|

हमारे मन को यादें, विचारो में पकड़ के रखने से हम अपनी शर्त आधारित सोच और कल्पनाओमे बंदी बन जाते है| हम हमेशा यह सोचने लगते है की हम तर्कसंगत और समज़दार है| इसीलिए हम अपने आप और दुसरो को होने वाले दुःख और यातनाओ को उचित साबित करनेमे लगे रहते है|

अपने अंदर हम सभी संदिग्ध है की हम ज़िन्दगी को जिस तरह से समझते है उसमे ज़रूर कुछ न कुछ गलत है लेकिन हम उसे अनदेखा करने की पूरी तरह से कोशिश करते है| और वास्तव में जो है उसे अनदेखा करके हम अपनी भयंकर हालत के प्रति अंधे रहने की कोशिश करते है| ऐसा लगता है जैसे की अगर हम शुद्ध प्रकाश और सच्चाई का सामना करेंगे तो हमें किसी भयानक भाग्य का सामना करना पड़ेगा|

अपने मूल रूप में होने का प्रश्न ही सबकुछ है| इससे अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं - कुछ भी नहीं| अपने आप के मूल स्वरूप को अनदेखा करने का मतलब अपने खुद की सच्चाई से अलग होना याने की एक बड़ी सच्चाई से अलग रहना है| चुनाव करना आसान है - अपने मूल स्वरूप में जाग्रत रहो या तो एक कभी ख़त्म न होनेवाली नींद में सो जाओ |

अद्यशांति से

आत्म निरिक्षण के लिए प्रश्न: अपने मूल रूप में होने का मतलब आपके लिए क्या है? क्या आप आपका कोई अनुभव सुना सकते है जब आपने आपके अंदर हो उसे बहार लाकर दिखाया हो? आप शर्त आधारित विचारधारा और आपके अंदर की सच्चाई में कैसे फर्क करते हो?


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