The Gentlest Thing in the World

Author
Byron Katie
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Image of the Weekदुनिया की सबसे विनम्र चीज़ (बैरोन कैटी द्वारा लिखित ) (May 13, 2013)

दुनिया में सब से विनम्र चीज़ है- एक खुला मन। क्योंकि वह हर उन चीज़ों पर विश्वास नहीं करता जो वो सोचता है , इसलिए वह मन लचीला , बिना विपक्ष के, बिना किसी विरोध के होता है। किसी भी चीज़ में उससे अधिक शक्ति नहीं होती। कोई भी चीज़ उसका विरोध नहीं कर सकती। यहाँ तक दुनिया की सब से कठोर चीज़ - एक बंद दिमाग - भी खुलेपन का सामना नहीं कर सकता। अंततःजिस प्रकार चट्टान में से पानी गुज़र जाता है उसी प्रकार सच्चाई उसमे से गुज़र ही जाती है।

जब मन पहली बार अपना ही शिष्य बनता है, वह सीखता है कि दुनिया में कोई चीज़ उसका विरोध नहीं कर सकती, हर चीज़ उसी के लिए है, सभी चीज़ें उसमे कुछ जोड़ती है, प्रकाशित करती है, पोषण देती है। वह खोलना जारी रखता है क्योंकि वह निडर अवस्था में है, और वह ज्ञान के लिए भूखी है। और जब उसे ज्ञात होता है कि वह कुछ भी नहीं है, वह हर चीज़ को चीर सकता है, भले ही वहाँ कोई घुसने के लिए जगह न हो।
लोग शुन्य बनने से डरते है। किन्तु शुन्य होना, इसका केवल एक पहलू है। ना केवल ही इसमें डरने के लिए कुछ नहीं है, बल्कि यह तो त्यौहार का कारण है। यह तो ज़ाहिर सी बात है कि बिना हमारी तनावपूर्ण कहानी के, कोई तनाव नहीं है ! जब आप अपने विचारों पर विश्वास नहीं करते हैं, तो केवल हंसी और शांति रहती है। इस तरह की जगह के लिए नाम हैं। मैं इसे स्वर्ग कहता हूँ। और लोग शुन्य को कैसे जानेंगे जब तक वे उन चीज़ों पर मानते रहेंगे, जिन चीज़ों को वे सोचते है? 'कुछ भी , कुछ नहीं से बेहतर है' -क्या तुम बिल्कुल जानते हो कि यह सच है?

एक सच मुच खुला दिमाग के पास, जो है वैसा रहने के, सिवाय और कोई लक्ष्य या उद्देश्य नहीं होता है। वह स्वयं या अन्य की अवधारणाओं से नहीं जुड़ा होता। अंततः उसे ज्ञान होता है कोई इंसान नहीं है , कोई दिमाग नहीं है। जब दिमाग खुलता है , हम सब कुछ खो देते हैं, वह भी कृतज्ञता से। मैं यहाँ बैठा हूँ एक औरत के रूप में, और अगले ही पल,मैं पूरा संसार हूँ, और अगले ही पल एक चींटी, कोई फर्क नहीं पड़ता, तुम अपना सब कुछ खो देते हो और फिर तुम्हारा फिर से प्रवेश होता है। जिस दिन हम अछे से बाल कटाते है , उस दिन क्या हमें बार बार शीशे में हमारा चेहरा देखना अच्छा नहीं लगता? यह भी बिलकुल उसी तरह ही है , हम शीशे में शुन्य देख रहे है, और खुश हैं। जब हम स्वयं शुन्य होते हैं, तो हर दिन एक अच्छे बाल कटा हुआ दिन होता है।
मन प्रकट होता है, अगर होता है तो, केवल स्वयं को समाप्त करने के लिए। पहले वह अनुमानित दुनिया ख़तम होती है, फिर वह मन जिसने उसका अनुमान किया वह ख़त्म होती है। इसका कोई निशान नहीं बचता। सिर्फ शांति ही बचती है , कभी थे ही नहीं वाला खुलापन। यही वह जगह है जहाँ मैं हूँ। और जब यह ख़तम हो जाएगा, तो ख़तम हो जाएगा। तुम ना ही इसकी रचना कर पाओगे, ना ही इसका सर्वनाश। आप करना ही नहीं चाहोगे।

--Byron Katie, "ख़ुशी के १००० नाम"


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