Signals Even GPS Cannot Detect

Author
Aylie Baker
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Image of the Weekसंकेत जिनका पता जीपीएस भी नहीं लगा सकता
- एयली बेकर

अमेरिका लौटना मेरे लिए हमेशा कठिन था, कुछ हिस्से में इसलिए क्योंकि मैंने ध्यान करना शुरू कर दिया था कि कैसे जीपीएस तकनीक हमारे रास्ता तलाशने की बची खुची क्षमताओं को नष्ट कर रही थी । 2013 के वसंत में, मैं पलाऊ से न्यूयॉर्क शहर वापस लौटा। मुझे याद है रेलवे स्टेशन से निकलकर उस तारों से भरी रात में चलना और भीड़ से मुक्त होने के लिए संघर्ष करना, क्योंकि हर कोई अपने फोन पर नक्शे को देख रहा था । मैंने खगोलीय परिवहन और अटलांटिक के समुद्री इतिहास के बारे में और अधिक पढ़ना शुरू किया, यह समझने के लिए कि हमने सितारों को त्यागकर, दुनिया में आवाजाही के इस तरीके को कैसे चुना है । मेरे साथी मिआनो अक्सर कहते हैं कि आधुनिक तकनीक से पहले हम सभी कुदरत के भरोसे चलते थे। और वह सही हैं । मुझे लगता है कि हम यह भूल जाते हैं । [...]

प्रौद्योगिकियां स्वयं में हमें भटका नहीं पातीं, लेकिन उनके विकास, उनको अपनाने और उन पर भरोसा करने के हमारे आवेग दिखलाते हैं की हम किस प्रकार धीमी गति से भटकते हुए, खुद के ग्रहणशील केंद्रों से दूर हो रहे हैं।

ब्रह्मांड में हमारे स्थान को समझने के लिए ग्रहों के अवलोकन के सैकड़ों साल, समीकरणों को लिखना और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना ताकि उनपर विस्तार से जांच हो सके - अब यह सभी कुछ उन उपकरणों में संकुचित हो गया है जिनका उपयोग हम हर पल, बिना ज़्यादा सोचे करते हैं । और मुझे मेरे जीवनकाल में, जीपीएस के उदय और अनुप्रयोग को देखने के बारे में जो सबसे डरावना लगता है, वह यह है कि पीढ़ी दर पीढ़ी की सीख एकदम छुप गयी है - वह कोड के पीछे छिपी, सिम कार्ड पर दर्ज, किसी रेगिस्तान में विशाल हार्ड ड्राइव बंद हैं । अब हम चार सितारा Yelp समीक्षा के साथ रेस्तरां में ड्राइव कर सकते हैं या प्रशांत महासागर में तेरह घंटे उड़ सकते हैं, इन संकेतों के पीछे छिपी अविश्वसनीय महिमा के लिए किसी भी कद्र के बिना ।

हमारे द्वारा प्रस्तुत किए गए मार्गों का अनुसरण करते हुए, हमारे द्वारा बनाई गयी ग्रिड के साथ दुनिया में आगे बढ़ना अधिक आसान, अधिक कुशल और अधिक तेज़ होगा । लेकिन इसका हम पर क्या असर हो रहा है? हाल के अध्ययनों से पता चल रहा है कि जीपीएस हमारे दिमाग पर क्या प्रभाव डाल रहा है और किस तरह से हम दुनिया से अपने को संबंधित देखते हैं । हमारी दैनिक यात्राएँ अब दाएं मुड़े, बाएं मुड़े, धीरे चलें, रुकें की आवाज़ों में फँसी हैं । जब ये दिशात्मक संकेत हमारे बाहर से आते हैं, तो हम अपने दिमाग़ में उस तरह की यादें नहीं बनाते जो हम दुनिया को बिना किसी उपकरण की मदद से ढूंढते वक़्त बनाते हैं । अपने रहने के स्थानों के जिन मानसिक मानचित्रों का निर्माण हम करते हैं, वह धीरे-धीरे छिन्न-भिन्न किये जा रहे हैं और वह एक नक्शे में प्रस्तुत किये जा रहे हैं, जो अलग-थलग करने वाले बिंदुओं तक ले जाते हैं । रेस्तरां, पहाड़, किराने की दुकान, यहां तक ​​कि दादी का घर, व्यापक परिदृश्य में, किसी भी स्पष्ट अंतर्संबंध के बिना, चारों ओर तैरने लगते हैं । जैसे-जैसे जीपीएस तकनीक पर हमारी निर्भरता बढ़ती है, डर है कि हम अपनी यात्राओं को घर के अभिप्राय से नहीं जोड़ सकते ।

यहां तक कि घर का एक नक्शा भी एक प्रतिनिधित्व है, समय के असतत बिंदु पर मन द्वारा कब्जा कर लिया गया एक टुकड़ा। यह हमेशा ब्रह्मांड के कपड़े का एक टुकड़ा है । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह नक्शा हर कुछ वर्षों या हर कुछ सेकंड में अद्यतन किया जाता है: यह सपाट है । यह कभी भी पूरी तरह से मौजूद नहीं होगा और न ही कभी प्राकृतिक दुनिया की तरंगित गतिशीलता को सजीव कर पायेगा । यह वास्तव में कभी जीवित नहीं होगा।

इन उपकरणों से पीछे हटने के बारे में सोचना डरावना है, डरावना क्योंकि कदम पीछे हटने का मतलब यह हो सकता है कि हम वास्तव में कभी नहीं सीखे कि हम क्या हैं । अधिकांश मानव इतिहास के लिए, यह प्रश्न एक गर्भनाल की तरह है कि हम कौन हैं - और जो कोई भी कभी खोया है वह उस असहजता, भय, शर्म, अपराध, अकेलेपन, और लालसा की उन लहरों को जानता है जो न जानने की अवस्था में उठती हैं ।

मार्गदर्शक हमेशा अपने छात्रों को याद दिलातें हैं कि हम में से प्रत्येक उन संकेतों को लेने में सक्षम है जो सबसे शक्तिशाली जीपीएस भी कभी पता नहीं लगा सकता है । और हम वह संकेत लेते हैं, हम सब, पल-पल गुजर कर। कैसी विडंबना है कि हमने ऐसे रास्ता बताने के उपकरणों और जलवायु-नियंत्रित वातावरण को डिज़ाइन किया है, जो कि वहां मौजूद कई ताकतों को बंद करते हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करने के लिए इंतजार कर रही हैं । आर्द्रता, कंपन, छाया, पक्षीयों के गीत -वे हर पल हमारे पास पहुंचते हैं, चुपचाप हमें यह याद करने की प्रार्थना करते हैं कि हम हैं - हम सब, हमेशा - सजीव की जीवन के प्रति प्रतिक्रिया ।

मनन के लिए मूल प्रश्न: "प्रकृति द्वारा प्रेरित किया जाना" आपके लिए क्या मायने रखता है? क्या आप किसी ऐसे समय का अनुभव साझा कर सकते हैं जब आप खो गए थे और आपके आसपास के तत्व आपको निर्देशित कर रहे थे? आपको अपने उपकरणों से कदम वापस खींचने में, और जहाँ आप वास्तव में हैं वहां होने में, क्या मदद करता है?

आयली बेकर का जन्म Maine, USA में हुआ था। उसने समुदाय-संचालित कहानी परियोजनाओं पर काम किया है जो चिली, वर्मोंट, ओरेगन और माइक्रोनेशिया में पानी से संबंधित मुद्दों को संबोधित करती हैं। वह वाटरशेड समुदायों की परेशानियों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके लेख, वेव पैटर्न से अंश ।
 

Aylie Baker was born in Maine. She has worked on community-driven storytelling projects that address water-related issues in Chile, Vermont, Oregon, and Micronesia. She is committed to supporting the healing of watershed communities. Excerpted from her article, Wave Patterns.


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