Staying Small To Stay Safe

Author
Peggy Dulany
75 words, 14K views, 19 comments

Image of the Weekसुरक्षित रहने के लिए छोटा रहना

- पेग्गी डुलनी

उत्क्रांति की राह पर कहीं, भय की वजह से (विशेष रूप से वो लोग जिनका प्राकृतिक वातावरण से संपर्क टूट गया और वे भीड़भरी तनावयुक्त परिस्तिथियों में रहने आ गए ) संकुचित रूप से अपने अस्तित्व को समझने और जीने लगे। हमें सुरक्षित महसूस करना था। और अज्ञात हमें भयभीत कर रहा था। इसलिए हमने अज्ञात को संभालें जा सकने वाले छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट दिया - इस प्रक्रिया में हमने अज्ञात का ज़्यादातर अर्थ और आकर्षण ख़त्म कर दिया।

जब हम इसे अस्तित्व बचाए रखने के नज़रिये से देखते हैं तब बात समझ में आती है:हमारा शरीर नश्वर है, हमारा जीवन अपेक्षाकृत छोटा है, और जैसे ही हम अपने छोटे और सिमित जीवन से बड़ा कुछ है, यह समझने की कोशिश करते हैं, हम मर जाते हैं। हम हर प्रकार की धारणाएं बनाते हैं (धर्म, विचारधाराएँ और मिथक) इस धरती पर जन्म और मृत्यु को तर्कसंगत बनाने के लिए और अपने आप को ये आश्वासन देने के लिए के जीवन का कुछ सार (स्वर्ग, नर्क, पुनर्जन्म) हमारे शरीर के नष्ट होने पर और हमारी आँखों का तेज ख़त्म हो जाने पर भी रहेगा।

हम उन युद्धों के भय से छोटा जीवन जीते हैं जिन में हमारी मृत्यु हो सकती है; हमारे विरुद्ध संभावित हिंसा की वजह से छोटा जीवन जीते हैं, बदले में, वही हिंसा दूसरों पर प्रकट होती है; इस संभावना के कारण के बचपन में हमें जिस मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक हिंसा से गुज़ारना पड़ा था शायद हमारे छोटे जीवन में हमें या हमारे बच्चों को उस हिंसा से फिर से गुज़रना पड़े।

इसलिए हम अपने आप को सुरक्षित रखने का हर संभव उपाय करते हैं: एक उपाय है अपने अंदर के वीर और साहसी बालक से 'छिपना' - जो बहार जा कर पूरी दुनिया का अन्वेषण करना चाहता था - इसके बजाय अपने आप को एकदम छोटा या अदृश्य बना लेना ताके किसी को हमसे भय न लगे और कोई हमें नुक्सान न पहुंचाए। हम अपने आप को बचाने के लिए छुपते हैं और ऐसा करने पर हम अपनी पूर्णता, तेज, रचनात्मकता और अपने अस्तित्व के वो हिस्से जो ज़्यादा अच्छे नहीं हैं उनको भी छुपा देते हैं। हम अपने अस्तित्व के इन सारे हिस्सों को छुपाने में अपनी बहुतसारी ऊर्जा व्यय करते हैं, इस हद तक के कई बार हम इन हिस्सों के अस्तित्व को ही भूल जाते हैं।

पर अस्तित्व का तेज और दूसरे कम अच्छे गुणों को सिकुड़ना और छोटे-छोटे कमरों में बांटा जाना पसंद नहीं है। इन छोटे कमरों में गुणों को कष्ट होता है और वे दुर्बल हो जाते हैं और फिर भागते हैं (हमारे छोटे सुरक्षित अस्तित्व को डराते हुए) छोटे या बड़े विस्फोटों में जो हमारे आस-पास के लोगों को डराते हैं या आश्चर्यचकित करते हैं, और हमारी खतरे की घंटी को जोर से बजाते हैं।



मनन के लिए बीज प्रश्न :
"अस्तित्व के तेज को सिकुड़ना या छोटे-छोटे कमरों में बांटा जाना पसंद नहीं है" - आप इस विचार से कैसे जुड़ते हैं?
क्या आप अपना ऐसा कोई अनुभव हमारे साथ साझा कर सकते हैं जब आपका तेज अपने कमरे की दीवाल फान कर उफन आया हो?
अपने भय से आगे बढ़ने में और अपने अस्तित्व के तेज को चमक ने देने में आपको क्या मदद करता है?


पेग्गी डुलनी लोकोपकारक और सिनेरगोस (Synergos) के संस्थापक हैं। यह लेख इस कड़ी पर उपलब्ध मुख्य-लेख से उद्धृत है - https://www.synergos.org/sites/default/files/media/documents/approaching-the-heart-of-the-matter.pdf
 

Peggy Dulany is a philanthropist and founder of Synergos. Excerpted from this article.


Add Your Reflection

19 Past Reflections