A Key To End Sorrow


Image of the Weekदुःख का अंत करने की कुंजी
- जे कृष्णमूर्ति के द्वारा

रिश्ते में सुरक्षित रहने की मांग अनिवार्य रूप से दुःख और भय पैदा करती है। सुरक्षा की मांग असुरक्षा को आमंत्रित करती है। क्या आपने कभी अपने किसी रिश्ते में सुरक्षा पाई है? हममें से अधिकांश लोग प्यार करने और प्यार पाने की सुरक्षा चाहते हैं, लेकिन जब हम में से हर एक, अपनी सुरक्षा, अपने स्वयं के विशेष मार्ग की तलाश कर रहा है, तो प्यार कहां है? हम प्यार नहीं पाते है क्योंकि हम नहीं जानते कि प्यार कैसे करना है।

रिश्तों में, अक्सर हम कहते हैं, "जब तक आप मेरे हैं, मैं आपसे प्यार करता हूँ, लेकिन जैसे ही आप मेरे नहीं रहे, मैं आप से नफरत करता हूँ। जब तक मैं अपनी मांगों, यौन अथवा अन्यथा, को पूरा करने के लिए आप पर भरोसा कर सकता हूं, मैं आपसे प्यार करता हूं। लेकिन जिस पल आप मेरी मांगों की आपूर्ति बंद कर देते हैं, मैं आपको पसंद नहीं करता।" यदि आप अपने सभी आनंद के लिए दूसरे पर निर्भर हैं, तो आप उस व्यक्ति के गुलाम हैं। इसलिए जब कोई प्यार करता है, तो न केवल दूसरे से, बल्कि खुद से भी आजादी होनी चाहिए।

यह दूसरे से अपनापन, दूसरे द्वारा मनोवैज्ञानिक रूप से पोषित किया जाना, दूसरे पर निर्भर रहना - इस सब में हमेशा चिंता, भय, अपराध और ईर्ष्या होती है, और जब तक भय है तब तक कोई प्रेम नहीं हो सकता; दुःख से भरे मन को कभी पता नहीं चलेगा कि प्रेम क्या है; भावुकता और भावनात्मकता का प्यार से कोई लेना देना नहीं है। और इसलिए प्यार का आनंद और इच्छा के साथ सम्बन्ध नहीं है। प्रेम विचार का उत्पाद नहीं है, जो अतीत है। विचार संभवतः प्रेम की खेती नहीं कर सकता। प्रेम हमेशा सक्रिय वर्तमान है। यदि आप प्रेम को जानते हैं, तो आप किसी का अनुसरण नहीं करेंगे। प्रेम नियम नहीं मानता। जब आप प्यार करते हैं तो न तो सम्मान होता है और न ही अनादर। क्या आप जानते हैं कि किसी से प्यार करने का क्या मतलब है- नफरत, ईर्ष्या, भय, क्रोध के बिना प्यार करना या जो कोई भी कुछ कर रहा है या सोच रहा है उसमे हस्तक्षेप न करना, उसकी निंदा या तुलना नहीं करना?

क्या प्यार में जिम्मेदारी और कर्तव्य है, और क्या वह इन शब्दों का उपयोग करेगा? जब आप कर्त्तव्य समझ कर कुछ करते हैं तो क्या उसमें कोई प्यार है? कर्तव्य में, प्रेम नहीं है। कर्तव्य की संरचना, जिसमें हम सभी जकड़े जाते हैं, अंततः हमें नष्ट कर देता है। जब तक आप कुछ करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि यह आपका कर्तव्य है, तब आप जो कर रहे हैं उससे प्यार नहीं करते। जब प्यार होता है, तो कोई कर्तव्य और कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।

क्या आप कभी दूसरे के लिए रोए हैं? यदि आप आत्म-दया से रोते हैं, तो आपके आँसू का कोई मतलब नहीं है क्योंकि आप केवल अपने बारे में चिंतित हैं। यदि आप किसी के दीवानेपन में रोते हैं जिसमें आपने बहुत प्यार से निवेश किया है, तो यह वास्तव में स्नेह नहीं था। दुःख स्व-निर्मित होता है, दुःख विचार द्वारा निर्मित होता है, दुःख समय का परिणाम है।

यदि आप वास्तव में ध्यान देते हैं तो आप अपने भीतर यह सब होते हुए देख सकते हैं। आप इसे पूरी तरह से, सम्पूर्णता से, एक नज़र में, बगैर कोई विश्लेषणात्मक समय लिए हुए, देख सकते हैं,। आप एक पल में प्रकृति की इस तुच्छ चीज़, जिसे 'मैं' कहा जाता है, की पूरी संरचना और प्रकृति देख सकते हैं । मेरे आंसू, मेरा परिवार, मेरा राष्ट्र, मेरा विश्वास, मेरा धर्म- यह कुरूपता, यह सब आपके अंदर है। जब आप इसे अपने दिमाग से नहीं, अपने दिल से देखते हैं, जब आप इसे अपने दिल की गहराइयों से देखते हैं, तो आपके पास वह कुंजी होती है जो दुःख को समाप्त कर देगी।

मनन के लिए मूल प्रश्न: आप इस धारणा से कैसे सम्बद्ध हैं कि जब कोई प्यार करता है, तो दूसरे से स्वतंत्रता होनी चाहिए और स्वयं से भी? क्या आप किसी ऐसे समय का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा कर सकते हैं जब आपने बिना नफरत, ईर्ष्या, भय, क्रोध, निंदा, तुलना या हस्तक्षेप करने की इच्छा के प्यार किया हो ? आपको भीतर की कुरूपता अपने दिल की गहराईयों से देखने में क्या मदद करता है?
 

by J. Krishnamurti, excerpted from here


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