Time is a Season

Author
David Whyte
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समय एक ऋतु है
-- डेविड वाइट (१६ ​नवंबर, २०१५)

अधिकांश पारंपरिक मानव संस्कृतियों ने दिन के घंटों को उसी तरह देखा है जैसे उन्होंने साल की ऋतुअों का सामना किया है; अपने अनुभव पर खिंची हुई स्पष्ट लकीरों की तरह नही, बल्कि एक बढ़ती हुई गुणवत्ता, एक मौजूदगी, एक मुलाक़ात, और अपने भीतर कुछ पनपने का वैसा ही अहसास जैसे अपने बाहर कुछ बढ़ने का। एक ऋतु या एक घंटा ऐसी मौजूदगी है जिसका लौटकर आना ज़रूरी नहीं है। लम्बी सर्दी के बाद हर वसंत ऎसी अद्भुत मालूम होती है जैसे कि हम पहली बार वसंत देख रहे हों। उस मृत प्रतीत होते हुए बगीचे में से ऐसी प्रचुरता से चीज़ें उगती हैं जिसका सर्दी की आँख को अंदाज़ भी नहीं हो सकता।

घंटे और ऋतुएँ अभी खिलते हैं तो अभी गायब, और अक्सर दोनों के बीच की एक अपृथक क्षणभंगुरता हैं, लेकिन दिन के सब घंटे और वर्ष के सब मौसम संसार के किसी गुण को प्रकाशित करते हैं जिसकी अपनी ही जगह और समय है। घंटों से दोस्ती करना अपने अंदर छिपे हुए संवाद को जानना है जो हमारे आसपास के जीवन की प्रचुरता और संचार जैसा ही है। अपने काम में लगातार कार्यक्रम बनाने की त्रासदी है उसका हमारे घंटों पर होता हुआ मशीनी असर, और फिर उसका हमारे शरीर पर होने वाला असर, जो हमारे व्यक्तिगत चरित्र और रंग को धूमिल नीरस सा बना देता है। हर घंटे को जब अपने आप पर छोड़ दिया जाए तो उसका अपना ही एक भाव और अलगपन होता है, एक ऐसा गुण जिसे हमें बदल देना चाहिए और जिसके हम पर होने वाले प्रभाव के अनुसार हमें एक नया जीवन मिल जाना चाहिए।

कई पारंपरिक संस्कृतियों में, दिन के एक विशेष घंटे को ऐसे देखा जाता है जैसे उसकी एक अपनी, लगभग दिव्य उपस्थिति है, जिसे कभी-कभी एक नाम दिया जा सकता है - लेकिन केवल शांत स्वर में, और केवल उन तरीकों से जो उसकी अनभिज्ञता को सुदृढ़ करते हैं। संत बैनेडिक्ट के अनुयायी, ब्रदर डेविड स्टाइनडल-रास्त, एक फ़रिश्ते को ऐसे परिभाषित करते हैं कि, फ़रिश्ता वो है जो समय को अनंतता से तोड़ रहा है, अलौकिक एकदम खास और एकदम खुद की खोज। समय और समय का हर घंटा एक ऋतू है, एक व्यक्ति की तरह, जिसकी अपनी ही घोषणा है, अपना ही गीत, उसका फुसफुसाना कि उसका हमारे अंदर पैदा होना कैसा है। एक नई बातचीत की तरह उसकी उपस्थिति जिसमें हम अपने आप को भाग लेते हुए सुन पाने का विशेषाधिकार प्राप्त कर रहे हैं।

समय की जेल से भागना, घंटों को उनका अपना जीवन प्रदान करना है; किसी भी चुने हुए क्षण से अपने हाथ की पकड़ को ढीला करना है जबकि साथ ही पूरी तरह उपस्थित रहने की क्षमता को ढूँढना, बातचीत को चालू रखते हुए, और सुदृढ़ रहना, अपनी साफ़ दिखाई देने वाली विसंगतियों को खुलासा देखना है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: समय को जैसे हम ऋतुओं को देखते हैं, वैसा देखने से आप क्या समझते हैं? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बांटना चाहेंगे जब आपने महसूस किया हो कि अनंत के टुकड़े समय में बदल गए हों ? ऐसी कौनसी साधना है जो आपको समय के जाल से निकलने और घंटो को उनका अपना जीवन प्रदान करने में मदद करती है?

डेविड वाइट की पुस्तक, “अंजाना समुद्र पार करना” से उद्धृत
 

Excerpted from David Whyte's book, "Crossing the Unknown Sea."


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