What is Meditation?

Author
Vimala Thakar
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ध्यान क्या है?
-- विमला ठाकर द्वारा लिखित (२८ सितंबर, २०१६)

"यह जो जीवन का बाहरी और आंतरिक संचार कहलाता है, उसके बारे में जागरूकता ही, ध्यान है। यह संपूर्ण गतिविधि की साथ-साथ जागरूकता होना ध्यान है। अगर मैं अपनी प्रतिक्रियाओं की प्रकृति, और अपनी प्रतिक्रियाओं के संचार के बारे में जागरूक हूँ, तो स्वाभाविक है कि जागरूकता का परिणाम होगा उस प्रतिक्रिया से स्वतंत्रता। मैं प्रतिक्रिया को नहीं रोक सकती, क्योंकि प्रतिक्रियाऐं अवचेतन मन में, अचेतन मन में निहित हैं। मैं उन्हें रोक नहीं सकती, उन्हें त्याग नहीं सकती, उनके रास्ते में बाधा नहीं डाल सकती। लेकिन अगर मैं निष्पक्ष चुनौती, व्यक्तिपरक प्रतिक्रियाओं और इन प्रतिक्रियाओं के कारणों के बारे में उनके साथ-साथ जागरूक हो जाऊँ, तो उसका परिणाम स्वतंत्रता होती है। फिर प्रतिक्रिया का वेग मुझे अपने साथ बहा नहीं ले जाएगा, बल्कि मैं अपनी प्रतिक्रियाओं से आगे रहूंगी। मैं अपनी प्रतिक्रियाओं का शिकार नहीं बनूँगी, बल्कि मैं उन्हें ऐसे ही देखूंगी जैसे मैं निष्पक्ष चुनौतियों को देखती हूँ। यही मेरे लिए ध्यान है। जीवन में बढ़ते हुए एक समावेशी ध्यान। ध्यान में किसी भी तरह की मानसिक गतिविधि बिलकुल शामिल नहीं होती ।"

"दैनिक जीवन में मानसिक गतिविधि की आवृत्ति, अवधि और, उसके क्षेत्र को कम करना और मौन रहना, और उस चुप्पी से ही सब काम करना ध्यान है। इस ध्यान, इस चुप्पी में अपना ही एक जबरदस्त वेग है ... आपको कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। वहां आप नहीं हैं, वो अहंकार, वो चित्त वहां नहीं है। उस चुप्पी में क्या होता है? वो मौन कैसे चलता है? यह मौन ऐसी चीज़ है जिसके साथ प्रयोग करने चाहिऐं।“

"ध्यान किसी संबंध में मन के संचार को देखना है। अगर आप गतिविधि से हट कर मन को ज़बरदस्ती मौन रखने की कोशिश करते हैं, तो आप कभी नहीं समझ पाएंगे कि मौन क्या है... जब हमें पता चलता है कि गतिविधि में मौन क्या है तो उसमें बड़ी खूबसूरती है। ध्यान पूरे जीवन के लिए एक नया दृष्टिकोण है, यह आप से किसी एकांत की मांग नहीं करता।"

"ध्यान, गतिविधि से संपूर्ण स्वतंत्रता की अवस्था है, वहाँ होना, और फिर समय और विस्तार, शब्द और वाणी, भावनाओं और चित्त-वृत्ति में पहुंच जाना, उनमें समग्रता, सम्पूर्णता से बढ़ना। ”

"स्वतंत्रता या मुक्ति कोई ऎसी चीजें नहीं हैं जिन्हें पैदा किया जाता है। यह बंधन से अलग नहीं है। हमें उसे देखने की ज़रूरत है, समझने की ज़रूरत है और वही समझ स्वंत्रता में फूट पड़ती है। वे दो अलग-अलग घटनाएँ नहीं हैं, और हमें इन्हें अलग से, कहीं कमरे के किसी कोने में बैठकर नहीं देखना है, बल्कि सुबह से शाम तक जागरूकता, निरीक्षण की अवस्था में रह कर देखना है, जो कुछ हो रहा है उसकी निंदा किये बिना या जो हो रहा है उसे स्वीकार किये बिना। उसे केवल देखना है, उसकी गति को देखना है, उसका वेग, जिस बिजली की रफ़्तार से विचार आते हैं, दो विचारों के बीच के अंतराल को देखना है।”

"ध्यान एक ऎसी चीज़ है जो पूरे अस्तित्व, और पूरे जीवन से संबंधित है। या तो आप इसमें रहते हैं या आप इसे में नहीं रहते। दूसरे शब्दों में, यह हर शारीरिक और मानसिक चीज़ से सम्बंधित है ... इस प्रकार, मानसिक गतिविधि के छोटे से क्षेत्र से, हम ध्यान को चेतना के एक विशाल क्षेत्र में ले आए हैं, जहाँ आप पूरे दिन जैसे उठते-बैठते है, जैसे आप हाव-भाव दिखाते हैं या खुद को अभिव्यक्त करते है, यह उन सब चीजों से जुड़ जाता है। आप चाहें या न चाहें, आपके अस्तित्व की आंतरिक स्थिति आपके व्यवहार में प्रकट हो जाती है। आपके सम्पूर्ण जीने के तरीके से ध्यान का ये पारस्परिक सम्बन्ध सम्पूर्ण रूपांतरण की राह में पहली आवश्यकता है।"

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप लेखक के इस अवलोकन से क्या समझते हैं कि निष्पक्ष चुनौती, व्यक्तिपरक प्रतिक्रियाओं और इन प्रतिक्रियाओं के कारणों की जागरूकता का परिणाम स्वतंत्रता होती है, भले ही हम उन प्रतिक्रियाओं को छोड़ने या रोकने में असमर्थ हों? क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने मौन को काम करते देखा हो? ध्यान को चेतना के विशाल क्षेत्र में लाने के लिए आपको कौनसी साधना मदद करती है?

विमला ठाकर द्वारा लिखित “ "मन का उत्परिवर्तन" के कुछ अंश।
 

Excerpted from "Mutation of Mind" by Vimala Thakar.


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