Going Beyond the Roles We Play

Author
Mack Paul
23 words, 43K views, 21 comments

Image of the Weekनिभाई जा रही भूमिकाओं से परे जाना
- मैक पॉल (१४ जनवरी, २०१५)​

हम बहुत ही वास्तविक लगते हैं। लेकिन हमारे शरीर असल में हमारे नहीं हैं, और हमारा उन पर कोई नियंत्रण नहीं है, न उनके आने पर, न उनके जाने पर। हम सिर्फ भूमिकाएं निभाते हैं और खुद को समझाने की कोशिश करते हैं कि वो सच हैं। इस प्रक्रिया को जब हम बच्चों में देखते हैं तो हमें बहुत कुछ समझ आता है क्योंकि उनमें यह प्रक्रिया बिलकुल साफ़ दिखाई देती है। वे अलग-अलग पहचान को इस तरह पहनते-उतारते हैं जैसे वो टी शर्ट्स पहन-पहन कर देख रहे हों। जब उन्हें कोई ऐसी भूमिका मिल जाती है जो उन्हें पसंद आ जाए, तो वे उस भूमिका का समर्थन करने वाली कहानी से अपनी पहचान बना लेते हैं, और फिर वे दो परस्पर विरोधी गुटों में बंट जाते हैं। बड़े लोग भी यही करते हैं लेकिन उनकी पहचान औचित्य (justification) की बहुत सी घनी परतों से ढकी होती हैं जो उन्हें उचित लगती हैं।

शेक्सपियर ने इस बात को ठीक ही समझा था जब उन्होंने कहा कि, "सारी दुनिया एक मंच है और सभी पुरुष और स्त्रियां केवल खिलाड़ी हैं।" भूमिकाऐं अच्छी चीज़ हैं क्योंकि वे हमें वे संरचना और उद्देश्य देती हैं। लेकिन जब उन भूमिकाओं पर जिनको हम निभा रहे हैं, हम वास्तव में विश्वास शुरू करने लगते हैं, तो खुद को और दूसरों को उन पर अधिक से अधिक बलिदान करने को तैयार हो जाते हैं।

खेल-कूद एक आदर्श उदाहरण हैं। वे आम तमाशा हैं जो कि बिल्कुल अर्थहीन हैं और जिनसे ज़िंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हम भारी मात्रा में उन पर अपनी भावनाएं दाव पर लगा देते हैं जो कि मानव बलि का एक अपेक्षाकृत मामूली रूप है। शुक्र है, हम अब लोगों को स्टेज पर खींचते हुए लाकर उनकी गरदनें नहीं काटते और उनके दिल नहीं चीर देते लेकिन अब भी हम उन्हें फूटबाल की यूनिफार्मों में सजाते हैं और ताली बजाते हैं जब वे खेल में अपने सिरों पर चोट खा रहे होते हैं। मैंने वर्ल्ड कप में जर्मनी की ब्राज़ील पर विजय हो जाने पर ब्राज़ीली प्रशंसकों का एक फोटो देखा। अगर मुझे कारण ठीक से पता न होता तो मैंने सोचा होता कि वे अपने बच्चों को जंगली कुत्तों द्वारा चीरता हुआ देख रहे हैं।

धर्म और और साधना का उद्देश्य है कि हम अपने व्यक्तिगत नाटक से परे एक बड़े और उत्कृष्ट सच को देख पाएं। हर इंसान जो किसी भी धर्म को मानता है, इस बात को समझता है। फिरभी, धर्म का पालन करना काफी हद तक पौराणिक कथाओं को लेकर आपसी बराबरी पर दुःखद लड़ाईयां करना ही रह गया है।

सचेतता का अर्थ यह नहीं है कि हम किस बात पर विश्वास करते हैं। यह केवल इस क्षण को उत्सुकता और बिना आलोचना की दृष्टि से देखने का एक सरल तरीका है। वर्तमान क्षण बहुत अच्छा लगता है। हम ऐसा सुनते हैं और आनंद की स्थिति की कल्पना करते हैं। फिर हम वर्तमान पल में थोड़ा सा समय बिताते हैं और पाते हैं कि वह मुख्य रूप से एक विचार के बाद दूसरे विचार से बना है। हम इस बात को नापसंद करते हैं और शिकायत करते हैं कि हम अपने मन के विचारों को रोक नही पाते। मन रुकते नहीं। मन विचार करते हैं। हम केवल कहानियों के अंतहीन प्रवाह को ध्यान से देख सकते हैं और वास्तव में बिना उन पर विशवास किये, उन पर विश्वास करने की अपनी इच्छा के साक्षी हो सकते हैं। यह इतना आसान नहीं है।

विचार के लिए मुख्य प्रश्न: आप इस धारणा से क्या समझते हैं कि "जब हम वास्तव में जिन भूमिकाओं को हम निभा रहे हैं, उन पर में विश्वास करना शुरू कर देते हैं, तो हम अधिक से अधिक खुद को और दूसरों को बलिदान करने को तैयार हो जाते हैं?" क्या आप अपना कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँटना चाहेंगे जब आपने अपने आप को अपनी भूमिका में बहुत ज्यादा विश्वास करते पाया हो? हम अपने आप को और जिन भूमिकाओं को हम निभा रहे हैं, उन दोनों के बीच के अंतर के प्रति कैसे और जागरूक हो सकते हैं?
 

Mack Paul is an Oklahoma native. He began meditating to help cope with the stresses of his job teaching junior high special ed students. He retired in 2013 and now works as a special ed teaching assistant.


Add Your Reflection

21 Past Reflections