Seeing Fully

Author
Ajahn Brahm
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Image of the Weekपूर्णतः देखना

हम निर्धन साधु थे जिन्हें भवनों कि आवश्यकता थी । हम भवन निर्माता का खर्च वहन नहीं कर सकते थे - भवन निर्माण कि सामग्री भी बहुत महँगी थी । इसलिए मुझे भवन निर्माण सीखना पड़ा : नीव डालना, गारा बनाना, ईंट रखना, छत डालना, नलसाजी ( plumbing ) करना - सब कुछ । साधु बनने से पहले मै एक सैद्धांतिक भौतिक शास्त्री ( theoretical physicist ) और स्कूल शिक्षक था, जिसे हाथों से काम करने कि आदत नहीं थी । कुछ वर्षों बाद मै भवन निर्माण कि कला में काफी पारंगत हो गया था ।

साधु होने के कारण मेरे पास धीरज और समय कि कमी नहीं थी । मै इस बात का ध्यान रखता था के हर ईंट एकदम सही तरीके से रखी जाय चाहे कितना भी समय लगे । अंततः मैंने अपनी पहली दीवार पूरी करली और पीछे हटकर खड़ा हो गया दीवार कि प्रशंसा करने के लिए । तभी मैंने देखा - ओह हो ! - दो ईंटें मेरे ध्यान से निकल गयी थी । बाकि सभी ईंटें एकदम सीढ़ी रेखा में थी, पर ये दो ईंटें झुकी हुई थी । वो भयानक लग रहे थे । उन दो ईंटों ने पूरी दीवार ख़राब कर दी थी । उसे बर्बाद कर दिया था ।

तब तक, गारा ( cement mortar ) सूख कर जम चुका था इसलिए उन ईंटों को निकालना मुश्किल था, तो मैंने मठाधीश ( abbot ) से पूछा के क्या मै पूरी दीवार गिराकर फिर से शुरू कर सकता हूँ - या उससे भी अच्छा पूरी दीवार उदा देते हैं । मैंने बहुत गड़बड़ कर दी थी और मैं बहुत शर्मिन्दा था । मठाधीश ने कहा नहीं, दीवार रहेगी ।

जब मै हमारे पहले आगंतुकों ( visitors ) को हमारा नया मठ दिखा रहा था, मै उन्हें उस दीवार के पास नहीं ले जाता था । उस दीवार को कोई देखे ये मुझे अच्छा नहीं लगता था । तब, दीवार पूरी होने के कुछ तीन - चार महीनो बाद, मै एक आगंतुक के साथ चल रहा था और उसने वह दीवार देखी ।

" अच्छी दीवार है," उसने सहजता से टिपण्णी कि । " महोदय, " मैंने आश्चार्य से कहा, " क्या आप अपना चश्मा गाड़ी में भूल आए हैं ? क्या आपको दिखाई नहीं देता ? क्या आप उन दो खराब ईंटों को नहीं देख रहे जिन्होंने पूरी दीवार बिगाड़ दी है ? " इसके बाद उन्होंने जो कहा उससे उस दीवार के प्रति, आपने आप के प्रति और जीवन के कई पहलुओं के प्रति मेरा पूरा नज़रिया ही बदल गया ।

उन्होंने कहा, " हाँ, मै उन दो ख़राब ईंटों को देख सकता हूँ । पर मै ९९८ ( 998 ) अच्छी ईंटों को भी देख रहा हूँ । "

- अजहन ब्रह्म

स्व-अन्वेषण के लिए प्रश्न -
आपको कैसे पता चलता है के पूर्णता का प्रयत्न छोड़ कर आगे बढ़ने का समय आ गया है ?
क्या आप एक निजी कहानी हमारे साथ बाँट सकते हैं जब आपको बड़ा चित्र ( bigger picture ) याद करवाया गया हो ?
गुणवत्ता ( quality ) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ( commitment ) से समझौता न करते हुए आप कर्म के फल से कैसे अनासक्त ( detached ) रह सकते हैं ?


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