We Move in Infinite Space

Author
Rainer Maria Rilke
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Image of the Weekहम अनंत अंतरिक्ष में घुमते हैं ("राइनेर मारिया रिल्के" द्वारा लिखित) (Jun 10, 2013)

मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि हमारा सारा दुःख, बस कुछ तनाव के कुछ पल है, जो हमे लकुआ जैसा प्रतीत होता है क्योंकि हम हमारे चकित भावनाओं को नहीं सुन पाते हैं। क्योंकि हम उस अज्ञात उपस्थिति के साथ अकेले ही होते है जो हमारे अंदर आ जाती है. क्योंकि वह हर उस चीज़ जिसपर हम विश्वास करते है और आदि हो चुके है, वह सब छण भर के लिए हम से दूर ले लिया जाता है. क्योंकि हम उस मोड़ पर हैं जहाँ हम खड़े नहीं रह सकते। इसीलिए दुःख बीत जाता है, जो नई उपस्थिति हमारे उंदर आई है, हमारे दिल के अंदर, वह हमारे सब से भीतरी कक्ष में आ गई है और अब हमारे अंदर नहीं है, वह हमारे खून में घुल गया है।

और हमें नहीं पता कि वह क्या था। हमें यह आसानी से विश्वास दिलाया जा सकता है कि कुछ भी नहीं हुआ और फिर भी हम बदल गए है, वैसे ही जैसे जिस घर में अतिथि आता है, वह बदल जाता है। हम यह नहीं बता सकते कि कौन आया है, शायद हमें कभी पता चलेगा भी नहीं। लेकिन कई चिन्ह मिलते हैं जिससे यह पता चलता है कि हमारे भीतर भविष्य इस प्रकार प्रवेश करता है जिससे कि वह आगे जाकर हमारे भीतर तब्दील हो जाए , भविष्य घटित होता है उससे काफी पहले। और इस कारण जब कोई उदास होता है तो एकांत और जागरूकता ज़रूरी है क्योंकि वह बेजान और स्थिर मालूम होने वाला पल, जब हमारा भविष्य हमारे अंदर कदम रखता है, वह हमारी ज़िन्दगी से काफी ज्यादा जुड़ा हुआ है। ना कि वह धमाके वाला पल जो हमारे बाहर से होता है।

हम हमारे दुःख में जितना शांत, धैर्यवान और खुले होते है , उतना ही अधिक गहराई और स्थिरता से वह नई उपस्थिति हमारे भीतर प्रवेश कर सकती हैं। और उसे हम जितना ज़यादा अपना लेते हैं,उतना ही ज़यादा वह हमारा नसीब बन जाता है, और जब बाद में वह बाकी लोगो के सामने कदम रखता है, तब हम उसे अपने अंतरतम जीव से जोड़ पाते है। और यह ज़रूरी है। इसी मोड़ के पास हमारी उन्नति धीरे धीरे आगे बढ़ेगी। हम यह जानेंगे कि यह कोई विदेशी नहीं है बल्कि वह है जो काफी समय से हमारा ही है। लोगों का यह ज्ञात होगा कि हमारी तक़दीर बाहर से नहीं आता बल्कि वह हमारे भीतर से ही विकसित होता है। कई लोगों ने इतने वर्षो से तक़दीर को जीते वक्त उसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया था, इसी कारण उन्हें यह पता नहीं चला कि यह उन्ही के भीतर से विकसित हुआ है, इसी कारण वह उनके लिए विदेशी जैसा प्रतीत होता था। अपने भय और भ्रम में होने कि कारण उन्हें लगता है कि इसका प्रवेश उसी वक्त हुआ होगा जिस वक्त उन्होंने उसपर ध्यान दिया,क्योंकि लोग तो कसम भी खा सकते है कि उस क्षण से पूर्व उनके भीतर ऐसा कुछ भी नहीं था। जिस प्रकार काफी समय तक लोगों को सूरज की गति के बारे में गलत धारणा थी, ठीक उसी प्रकार उन्हें जो आने वाला है उसके बारे में गलत धारणा है। भविष्य स्थिर खड़ा है, लेकिन हम अनंत कि दिशा में चलते रहते हैं।


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