The Spirit of Karma Yoga

Author
Baba Hari Dass
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Image of the Week कर्म योग का भाव
-बाबा हरिदास ( २४ सितम्बर, २०१२)
 
कर्म योग क्या है? कर्म योग एक निस्स्वार्थ कार्य है | कोई भी काम जो केवल अहंकार की पूर्ति के लिए नहीं किया जा रहा, वह कर्म योग है | अगर किसी की गाड़ी का पहिया पंक्चर हो जाए और आप रुक कर उसकी मदद करें तो यह एक धार्मिक काम है | अगर आप राह पर पड़ी कील को यह सोच कर हटा दें की वो किसी को चोट पहुंचा सकती है, तो वो कर्म योग है | कोई कार्य सिर्फ करने से कर्म योग नहीं बनता, पर किसी काम को आप किस भाव से करते हैं वह उसे कर्म योग बनाता है | कर्म योग का भाव तो सिर्फ आपके मन मैं छुपा होता है, सामने वाला व्यक्ति आपको देखकर यह नहीं बता सकता कि आप कर्म योग कर रहे हैं या यह काम अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं | 
 
मान लीजिये कि आपका उद्देश्य तो अच्छा है पर सामने की स्थिति आपको क्रोधित करती है ?
तो वहां स्वार्थ है | उस काम मैं ज़रूर कोई स्वार्थ है |
 
अपने कर्तव्यों से मोह हटाने का क्या तरीका है ?
 
अगर हम सांसारिक माया मैं बंधे हैं तो मोह से बचना बहुत मुश्किल है | मोह ही इच्छाओं को वास्तविकता देता है | मान लीजिये आपको आइस क्रीम खाने कि इच्छा है पर को आपको आइस क्रीम से लगाव नहीं है तो वो इच्छा जल्दी ही जाती रहेगी |
 
अब प्रश्न यह उठता है कि मोह से कैसे निकला जाए | आप कोई भी काम करते हैं तो पहली बात यही दिमाग में आती है कि, " यह काम मुझे अपने लिए करना है, में ही इस स्थिति का स्वामी हूँ |"लेकिन अगर हम अपने हर काम को इस दृष्टि से देखें कि उसे हम किसी दूसरे के लिए कर रहे हैं और उसे हम इस संसार का अंश मात्र होने के नाते कर रहे हैं, तो हौले- हौले हमारे ह्रदय से मोह का भाव हट जाएगा | इस आंतरिक परिवर्तन से आपके सांसारिक कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा | बदलेगा तो सिर्फ आपके मन और कर्म का आपस का नाता| हमें अपने हर कर्म और विचार में निष्काम सेवा का भाव उत्पन्न करना होगा | 
 
वैराग्य क्या है?
 
"मोह" क्या है, यह समझ पाना कुछ मुश्किल है| जब हम "निर्मोह" शब्द का  इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा लगता है कि हमें किसी चीज़ की परवाह या ज़िम्मेवार ही महसूस नहीं होती| उदाहरण के लिए, एक किसान और उसका मज़दूर खेत जोत कर बीज बो देते हैं | पूरे दिन मेहनत करने के बाद मज़दूर अपने घर चला जाता है | उस रात बहुत बरसात होती है, खेत पानी से भर जाता है और सारे बोये हुए बीज नष्ट हो जाते हैं | इस स्थिति का किसान पर क्या असर होगा और मज़दूर पर क्या असर होगा?  मज़दूर ने किसान से ज्यादा मेहनत कि पर खेत के नुकसान का उस पर कोई असर नहीं होता| उसका मोह सिर्फ उसके अपने काम तक ही सीमित है | ये दो अलग-अलग बातें हैं: १) कर्त्तव्य से लगाव, २) कारक होने और स्वामित्व का भाव होने का मोह 
 
आपको लगेगा कि अपने हर काम को अच्छी तरह से करने और अपने कर्तव्य को पूरी तरह निबाहने के लिए आपको अपनी मेहनत के फल के बारे में तो सोचना ही पड़ेगा|
 "कर्त्तव्य" का मतलब ही है कि वह काम पूरे ध्यान, उत्साह और पूर्णता से किया जाए | अपने परिवार के लिए आपके कुछ कर्त्तव्य हैं | रोज़गार के बारे में आप सोचें, प्लान करें और उसका कोई साधन ढूंढें, ये ज़रूरी है | पर उससे मोह हो जाना, अपने आप में दुःख, क्रोध और आशंका उत्पन्न कर सकता हैं | आपका मन कर्म के फल की इच्छा के मोह में फस जाता है| हमें यह जानना ज़रूरी है कि कर्म फल हमारे हाथ में नहीं है ...
 
आपने अपने कर्त्तव्य को पूरी तरह निबाहने के बारे  में कहा, उसका क्या तात्पर्य है?
 
उसका मतलब है कि आप किसी भी काम को अधूरा न छोड़ें और साथ ही द्वैतवाद और सांसारिक सुख-साधनों में न फस जाएँ | अपने उत्साह को पढ़ावा दें |
 
- बाबा हरिदास, माउन्ट मडोना के मौन सन्यासी, "सैल्फ्लैस सर्विस: दि स्पिरिट ऑफ़ कर्म योग" - "निष्काम सेवा: कर्म योग का भाव"


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