Three Levels Of Happiness


Image of the Weekतीन स्तरों के आनंद , अनुष का फेर्नान्द्पुल


भगवान् बुद्ध ने तीन विभिन्न स्तरों के आनंद की बात की है| पहला आनंद एक मधुर अनुभव है जो इन्द्रिय सुख से प्राप्त हो सकता है जैसे स्वादिष्ट भोजन, अनुकूल मौसम, सुरीला संगीत और अन्य किसी प्रकार का इन्द्रिय से प्राप्त सकारात्मक अनुभव| ये अच्छे तो लगते हैं पर क्षणिक होते हैं| चूँकि सारे इन्द्रियों के अनुभव जल्दी ही बदल जाते हैं, और किसी पर भी अंत काल तक रहने का भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए इस प्रकार का आनंद अत्यंत दुर्बल हैं|

मधुर अनुभव अपने आप में कुछ गलत नहीं हैं, पर अपने जीवन को उन्हीं के इर्द गिर्द केन्द्रित करना , अपने साथ एक बेचैनी लाता है, और जब हम उन अनुभवों के खेल में डूबे होते हैं तो शायद इस बेचैनी का हमें पता भी नहीं चलता | अगर हम सिर्फ उन मधुर अनुभवों में ही सुख ढूँढ रहे होंगे , तो शायद हमारा जीवन स्वार्थी एवं सीमित लगने लग जायेगा|

थोड़े से परिक्षण से ही हम ये देख पायेंगे कि आनंद हमारे मन एवं ह्रदय में है ना कि नाक , आँख, कान , जीभ या शरीर में| अतः इसके आगे का स्तर खोजने के लिए हमें अपने मन में प्रवेश करना होगा, जहाँ ध्यान के दौरान हम सूक्ष्म स्थिति के दर्शन कर सकते हैं , जो हमें एकता, हर्ष एवं कल्याण का गहरा एहसास कराती है| इन अनुभवों का आनंद अन्य प्रकार के सभी इन्द्रिय अनुभवों, यहाँ तक के उत्कृष्ट इन्द्रिय अनुभवों , को भी मात करता है| इस प्रकार का आनंद उत्तम शैली का होता है और अपने साथ एक अत्यंत शांति एवं सहजता की स्थिति लाता है| जब हम उतनी सूक्ष्म मानसिक स्थिति में पहुँच जाते हैं, तो वो स्थितियां जैसे (लोभ, घृणा , भय, एवं अन्य रुकावटें) कुछ समय के लिए अपनी शक्ति खो देती है : और ये अपने आप में एक महान अनुभव है| हालाँकि ये रुकावटें अभी पूर्णतयः नष्ट नहीं हुई हैं, और जैसे ही हालात बदलते हैं, वे वापस लौट आती हैं| अतः इस प्रकार का आनंद भी अंततः दुर्बल है, और अपने उत्पन्न होने के लिए विशिस्ट हालातों पर ही नर्भर है|

सबसे उत्तम आनंद है, एक गहन तृप्ति, संतोष एवं शांति का एहसास , जो कि सभी चलायमान हालातों से ऊपर है| अपने विवेक एवं अंतर्दृष्टि के द्वारा , सुख प्राप्ति में रुकावटों को मन से, पूर्णतयः बाहर निकाला जा सकता है, ना कि उन्हें सिर्फ कुछ देर के लिए स्थगित करने के| इस प्रकार का आनंद ही सबसे भरोसेमंद , सहज एवं कल्याणमय है: स्थिर एवं जड़ों तक में समाया हुआ, सभी हालातों से ऊपर, एक जागृति जिसमे सिर्फ शांति है, जीवन के तमाम उथल पुथल के बावजूद एवं उनके दौरान |

हम हर स्तर के आनंद की तहकीकात अपने लिए कर सकते हैं : हम देख सकते हैं कि कौन सा आनंद हमारे लिए भरोसेमंद रहेगा | जैसे जैसे हम अपने दृष्टिकोण को गहन एवं विस्तृत करते हैं, हम अपने आप में एक शक्ति पैदा करते हैं, दूसरों के बारे में देख भाल करने की एवं संसार की सेवा करने की | हम पाते हैं कि सुख का मायने है , एक संपूर्ण स्थिति का पाना जिसमे उदारता , दयालुता एवं करुणा तो शामिल हैं पर जिसमे भय , घृणा , लोभ, एवं स्वार्थ का पूर्ण अभाव है| जैसे जैसे हम स्वयं के स्वार्थ पूर्ण कार्यों से ऊपर उठते हैं, वैसे वैसे हम एक महान दृष्टिकोण में समाने लग जाते हैं, जहाँ विशालता एवं औरों की सेवा करना शामिल है| हम धीरे धीरे अपने स्वयं के विचार को बड़ा बना के, उसमे समस्त जगत को शामिल कर सकते हैं, अतः आनंद का मायने अंततः अपने आपको को समस्त जीवों की सेवा में लगाना बन जाता है|

मनन के लिए बीज प्रश्न: आप तीन स्तर के आनंद से कैसा नाता रखते हैं? क्या आप एक ऐसी निजी कहानी साझा कर सकते हैं जब आप संतोष एवं तृप्ति के तरफ़ झुक पाए हों, अपने चलायमान हालातों से ऊपर उठ कर? आपका कौन सा व्यवहार आपको “स्वय” के दृष्टिकोण में, समस्त को समा लेने में मदद करता है|
 

Excerpted from this article.


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