Where's Your Umbrella?


Image of the Weekआपका छाता कहाँ है?
- नज़ीर अहमद

उस साल भी बारिश नहीं हुई थी। ये लगातार तीसरा साल था जब बारिश नहीं हुई थी। सारी फसल साफ़ हो गयी थी और ज़मीन सुख कर धूल का मैदान हो गयी थी। सारे पत्ते झड़ जाने के बाद पेड़ कैक्टस की परछाई की तरह क्षितिज पर खड़े थे। पिछले सालों में गाँव के बगल से एक नदी बहा करती थी। जो अब सुख गयी थी। जहाँ कभी पास के पर्वतों से निर्मल जल बहा करता था वहां अब मिटटी सुख कर शतरंज की बिसात के खानो की तरह टूट गयी थी। किसी को नहीं पता था के पंछियों को क्या हो गया है, सिवाय गाँव के आकाश में मंडराते हुए गिद्धों के, जो मृत जानवरों को ढूंढ़ते रहते थे।

इलाके में भयंकर सूखा पड़ा था। लोग सुख कर कांटा हो गए थे, और जिन्दा रहने के लिए अंतराष्ट्रीय दान में मिलने वाले राशन पर निर्भर थे।

मदद के लिए बेताब ग्रामनिवासियों ने उस बड़े बरगद के पेड़ के नीचे सभा बुलाई, जो गाँव जितना ही पुराना था। "आओ प्रार्थना करें", एक बुज़ुर्ग महिला ने कहा। "अब केवल भगवन ही हमें बचा सकते हैं।"

गाँव में कई धर्मो के लोग रहते थे, और प्रार्थना कहाँ करनी चाहिए इस पर बड़ी बहस होने लगी - चर्च में, मस्जिद में, यहूदी उपासनागृह में, या मंदिर में। आम सहमति नहीं बन पा रही थी। थक कर उन्होंने गाँव से दूर, खुले मैदान में रात को प्रार्थना करना तय किया। वह पूर्णिमा की रात थी और चाँद झिलमिलाते तारों की पृष्टभूमि में चमक रहा था।

प्रार्थना के लिए जमा होने वाले लोगों में, एक नन्ही लड़की अपने भाई का हाथ पकड़ कर पास के गाँव से दौड़ी चली आ रही थी, एक खुला छाता लिए हुए। हाँफते हुए, दोनों आकाश की तरफ देखने लगे, छाता अभी भी खुला हुआ था। जमा हुई भीड़ पीछे मुड कर देखने लगी के क्या हो रहा है। कुछ जिज्ञासु थे, कुछ परेशान और कुछ लोग खुले हुए छाते की तीली लगने से बहुत गुस्सा थे।

आख़िरकार एक जिज्ञासु व्यक्ति ने पूछा के, "तुम छाता क्यों लाये हो? क्या तुम्हे नहीं दिखा रहा के बारिश नहीं है और हम यहाँ बारिश के लिए प्रार्थना करने आये हैं? कोई मुर्ख व्यक्ति ही ऐसी साफ़ रात में खुला छाता लिए खड़ा होगा।'

"हाँ बिलकुल", नन्हे बहन-भाई ने जवाब दिया। "हम भी प्रार्थना करने आये हैं। और हमें पूरा विश्वास है के हमारी प्रार्थना सुनी जायेगी और बारिश होगी। इसीलिए हम ये बड़ा रंगीन छाता लाये हैं।"

मनन के लिए बीज प्रश्न:

आप बहन-भाई के पक्के विश्वास से कैसे जुड़ते हैं?
क्या आप अपने छाते की कहानी - एक ऐसे काम की कहानी जो आपके पक्के विश्वास से प्रेरित हो - हमारे साथ बाँट सकते हैं?
ऐसा पक्का विश्वास विक्सित करने में आपको क्या मदद करता है?


नज़ीर अहमद द्वारा रचित 'The Child who Brought an Open Umbrella for Prayer' से रूपांतरित।
 

Adapted from The Child who Brought an Open Umbrella for Prayer  by Nazeer Ahmed.


Add Your Reflection

12 Past Reflections