Trees are Sanctuaries

Author
Herman Hesse
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Image of the Weekवृक्ष पूण्य स्थान होते हैं
-- हरमन हैसा द्वारा लिखित (२१ सितंबर, २०१६)

एक सुंदर, मजबूत वृक्ष से अधिक पवित्र और अनुकरणीय कुछ भी नहीं है। जब एक वृक्ष को काट दिया जाता है और वह सूरज को अपने खुले जानलेवा घाव दिखाता है, तो उसके तने में खुदे चमकदार घेरों में हम उसके पूरे इतिहास को पढ़ सकते हैं: उन वर्षों के घेरों में, उसके घावों के निशान, सारे संघर्ष, सब पीड़ाएं, सब प्रकार के रोग, सभी सुख और समृद्धि सही मायने में लिखे होते हैं, कष्टप्रद वर्ष और शानदार वर्ष, सब झेले हुए हमले, सहे हुए तूफान। और खेत में काम करने वाला हर लड़का जानता है कि सबसे मज़बूत और बेहतरीनन लकड़ी के घेरे सबसे संकरे होते हैं, कि पहाड़ों की ऊंचाइयों में और सतत खतरे में सबसे अविनाशी, मजबूत, आदर्श पेड़ उगते हैं।

वृक्ष पूण्य स्थान होते हैं। जो कोई भी उनसे बात करना जानता है, जो कोई भी उन्हें सुनना जानता है, वो सच्चाई को जान सकता हैं। वो सीखों और धर्मादेशों का उपदेश नहीं देते, वे ब्यौरो से डरे बिना, जीवन के प्राचीन सिद्धान्त का प्रचार करते हैं।
एक वृक्ष कहता है: मुझमें एक बीज छिपा है, एक चिंगारी, एक विचार, मैं अनन्त जीवन से निकला जीवन हूँ। जो प्रयास और जोखिम उस शाश्वत माँ ने मुझ पर लगाया वह अद्वितीय है, मेरा रूप और मेरी त्वचा की नसें अद्वितीय हैं, मेरी शाखाओं में पत्तियों के छोटे-छोटे खेल और मेरे छाल पर होने वाले बिलकुल छोटे निशान अद्वितीयहैं । मुझे अपने छोटे से छोटे खास अंश में अनंत को बनाने और प्रकट करने के लिए बनाया गया था।

एक पेड़ कहता है: मेरी ताकत एक भरोसा है। मैं अपने पूर्वजों के बारे में कुछ भी नहीं जानता, मैं उन हज़ार बच्चों के बारे में कुछ भी नहीं जानता जो हर साल मुझमें से उपजते हैं। मैं अंत तक अपने बीज के रहस्य में से जीता हूँ, और मुझे किसी और चीज़ की परवाह नहीं है। मुझे विश्वास है कि भगवान मुझे में है। मुझे विश्वास है कि मेरा श्रम पवित्र है। इस विश्वास के बल पर मैं जीता हूँ।

जब हम त्रस्त होते हैं और अपने जीवन को अब और नहीं सह सकते तो वृक्ष के पास हमें कहने के लिए कुछ है: शांत रहो!!! शांत रहो!!! मुझे देखो! जीवन आसान नहीं है, जीवन मुश्किल नहीं है। वो बचकाने विचार हैं। भगवान को अपने भीतर बोलने दो, और तुम्हारे विचार शांत हो जाएंगे। तुम व्याकुल हो क्योंकि तुम्हारा पथ तुम्हें मां और घर से दूर ले जाता है। लेकिन हर कदम और हर दिन तुम्हें वापस फिर से मां के पास ले जाता है। घर न तो यहाँ और न ही वहाँ है। घर तुम्हारे भीतर है, या घर कहीं पर भी नहीं है।

जब मैं शाम को हवा में पेड़ों की सरसराहट सुनता हूँ तो भटकने की एक लालसा मेरे दिल को चीर देती है।अगर कोई उसे एक लंबे समय के लिए चुपचाप सुनता है, तो यह लालसा अपने बीज, अपने अर्थ को प्रकट कर देती है। यह बात अपनी पीड़ा से बचने के बारे में नहीं है, भले ही ऐसा प्रतीत होता हो। यह घर के लिए, उस मां की स्मृति के लिए, जीवन के लिए नई उपमाओं के लिए एक लालसा है। यह घर की ओर ले जाती है। हर राह घर की ओर ले जाती है, हर कदम जन्म है, हर कदम मृत्यु है, हर कब्र मां है।

इसलिए शाम को पेड़ में सरसराहट होती है, जब हम अपने बचकाने विचारों के सामने चिंतित खड़े होते है: वृक्षों के लंबे विचार होते हैं, लम्बी सांसे और आरामजनक, ठीक वैसे जैसे हमारी तुलना में उनका जीवन लंबा है। वे हमसे अधिक बुद्धिमान हैं, जबतक हम उनकी न सुनें। लेकिन जब हमने यह सीख लिया कि वृक्षों की बात को कैसे सुनना है, तो हमारे विचारों की संक्षिप्तता और उनका वेग, और उनकी बच्चों की सी आतुरता एक अतुलनीय खुशी प्राप्त कर पाती है। जिसने भी यह सीख लिया है कि वृक्षों को कैसे सुनना है, वो फिर एक पेड़ बनना नहीं चाहता। वो अपने सिवाय और कुछ नहीं बनना चाहता। यही घर है। यही खुशी है।

हरमन हैसा लिखित, Bäume. Betrachtungen und Gedichte (इस साइट से लिया गया)
 

by Hermann Hesse, Bäume. Betrachtungen und Gedichte (taken from this site)


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