Beauty Harmonizes Law and Liberty

Author
Rabindranath Tagore
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Image of the Weekसौंदर्य नियम अौर अाज़ादी को मिलाती है

एक सुन्दर कविता, परखें तो, अलग शब्दों का झुंड है|
कविता का रस, वो अन्दरी माध्यम जो बाहरी शब्दों को जोड़ता है, जिसे दिखे, उसे मिले पूर्ण नियम जिसका कभी उल्लंघन नहीं होता|
वो नियम जिस्से सोच का विकास होता है; संगीत अौर आकार का नियम|
पर नियम अपने प्रकार की एक सीमा होती है|
वो सिर्फ इतना दिखाती है कि जो है वो कुछ अौर नहीं हो सकता|
जब इंसान कारण के खोज में व्यस्त हो जाता है, उस्का मन तथ्यों के जकड़ से छूतकर नियम के जकड़ में अा गिरता है|
भाशा सीखते हुए जब व्याकरण समझ आये तो वो एक उपलब्धी है|
पर उस मकाम पर अटक जायेें अौर व्याकरण के चमत्कार में ही बंध जायें, उस्के हर नियम के कारण को खोजते रहें, तो हम अंत तक पहुंच नहीं पायेंगे -- क्योंकी व्याकरण साहित्य नहीं है, छंद शास्त्र कविता नहीं है|
साहित्य तक पहुंचें तो देखें कि वो व्याकरण को मानते हुए भी अानन्द का ज़रिया है, आज़ादी है|
कविता की सुदंरता नियमों से सख्त सीमित है, पर वो नियमों के परे भी है|
उसका आकार नियम में है, पर उसकी भावना सौंदर्य में है|
नियम अाज़ादी का पहला कदम है, अौर सौंदर्य है पूर्ण मुक्ति जो नियम के आधार पर खड़ा है|
सौंदर्य अपने में मिलाती है सीमा अौर असीम, नियम अौर आज़ादी|
विश्व कविता में, उसके लय के नियम का खोज, उसकी बड़ायी अौर छोटायी का माप, उसका चलना अौर रुकना, उसके अाकार अौर चरित्र के विकास का पीछा करना, ये सब मन के सच्चे उपलब्धी हैं; पर हम यहां रुक नहीं सकते|
ये एक रेलवे स्टेशन है, हमारा घर नहीं|


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