Only Service Heals

Author
Rachel Naomi Remen
55 words, 28K views, 29 comments

Image of the Weekकेवल सेवा स्वस्थ करती है

जैसे मदद करना ताकत कि अनुभूति करवाता है, वैसे ही ठीक करने में महारत ( mastery ) और विशेषज्ञता ( expertise ) कि अनुभूति होती है । दुसरी तरफ सेवा में हमें रहस्य, आत्मसमर्पण और विस्मय का अनुभव होता है । ठीक करने वाले को आकस्मिक ( casual ) होने का भ्रम होता है । एक सेवक को पता होता है के उनका उपयोग हो रहा है, और वे स्वेच्छा से किसी महान और अनिवार्य रूप से ( essentially ) अज्ञात ( unknown ) अस्तित्व कि सेवा में अपना उपयोग होने देते हैं । ठीक करना और मदद करना बहुत व्यक्तिगत प्रक्रियाएं हैं ; वे बहुत ख़ास, ठोस और विशिष्ट भी हैं । हमारे जीवन-काल में हम बहुत लोगों की मदद करते हैं और बहुत सारी चीज़ों को ठीक करते हैं, पर जब हम सेवा करते हैं, हम हमेशा एक ही वस्तु कि सेवा करते हैं । हर एक व्यक्ति जब भी सेवा करता है किसी भी काल में वह एक ही वस्तु कि सेवा करता है । हम जीवन कि पूर्णता और रहस्य के सेवक हैं ।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है के हम बिना सेवा किये ठीक कर सकते हैं, बिना सेवा किये मदद कर सकते हैं और हम सेवा कर सकते हैं बिना मदद या ठीक करते हुए । मै तो यहाँ तक कहूँगी के मदद और ठीक करना तो प्रायः ( often ) अहंकार से प्रेरित कार्य होते हैं जबकि सेवा तो आत्मा का कार्य है । बाहर से देखने पर दोनों समान लग सकते हैं पर आतंरिक अनुभूति अलग होती है । प्रायः परिणाम भी अलग होते हैं ।

हम दूसरों के साथ साथ अपनी भी सेवा करते हैं । जो हमारा उपयोग करता है हमें शक्ति भी प्रदान करता है । समय के साथ साथ मदद और ठीक करते हुए हम थक जाते हैं । लम्बे समय के बाद हम अक्रियाशीलता ( burn out ) का अनुभव करते हैं । सेवा से नवजीवन प्राप्त होता हैं । हमारा सेवा कार्य ही हमारा अस्तित्व बनाये रखता है ।

जीवन कि पवित्रता सेवा का बुनयादी आधार है, जीवन जो एक पवित्र रहस्य है जिसका एक अज्ञात धेय्य है । जब हम सेवा करते हैं हम जानते हैं के हम जीवन और उस धेय्य के हैं । मूलतः मदद करना, ठीक करना या सेवा करना जीवन को देखने के नज़रिये हैं । जब आप मदद करते हैं आप जीवन में निर्बलता को देखते हैं, ठीक करते समय आप जीवन को टुटा हुआ देखते हैं । सेवा करते हुए आप जीवन कि पूर्णता को देखते हैं । सेवा के परिप्रेक्ष्य ( perspective ) से हम सब जुड़े हुए हैं : सारी पीड़ा मेरी पीड़ा है, सारी ख़ुशी मेरी ख़ुशी है । जीवन को देखने के ऐसे नज़रिये से सेवा का भाव सहज ही स्फुरता है ।

अंत में, ठीक करना और मदद करना किसी दवा से होने वाले इलाज़ के आधार हैं, नाकि स्वयं आपने आप प्राप्त होने वाली स्वस्थता के । बिमारी से जूझते हुए ४० वर्षों में कई लोगों ने मेरी मदद कि है और भी बहुत सरों ने मुझे ठीक करने कि कोशिश कि है मेरी पूर्णता को जाने बिना । मदद और ठीक करने कि उन सारी कोशिशों ने मुझे महतवपूर्ण और मूलभूत रूप से घायल किया । केवल सेवा स्वस्थ करती है ।

- डॉ रेचल नाओमी रेमैन के सेवा पे विचार, Noetic Sciences Review में प्रकाशित लेख से रूपांतरित ।

स्व-अन्वेषण के लिए प्रश्न :
केवल सेवा स्वस्थ करती है - इस भाव से आप कैसे जुड़ते हैं ?
क्या आप एक ऐसा निजी अनुभव जब आप को मदद करना, ठीक करना और सेवा करने के बीच का अंतर स्पष्ट हुआ, हमारे साथ बाँट सकते हैं ?
मदद और ठीक करने कि तीव्र इच्छा को नियंत्रित करते हुए हम सेवा में कैसे बढ़ सकते हैं ?


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