The Rich Experience of A Quiet Mind

Author
John Coleman
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Image of the Week                                                                स्थिर मन का गहरा अनुभव
                                                               - जॉन कोलमैन (१७सितम्बर, २०१२)
 
आम इंसान की ज़िंदगी में खुश रहने के लिए किसी न किसी तरह के मनोरंजन के साधनों का होना आवश्यक ही नहीं है बल्कि महत्त्वपूर्ण भी है | हमारे शरीर और दिमाग दोनों को ही कभी तो आराम की ज़रुरत है ताकि उनकी खाली बैट्री फिर से चार्ज हो सके | परन्तु मनोरंजन के आम तरीके हमारे दिलोदिमाग की थकान को कम करने और ज़िंदगी की दौड़ धुप  से बाहर निकलने में सिर्फ अधूरा सा ही काम कर पाते हैं | वो हमें सच्चाई की तह तक पहुँचाने ही नहीं देते |
 
तो फिर हमें सच्चाई तक पहुँचने के लिए क्या करना चाहिए ? मेरे लिए इस प्रश्न का उत्तर  सिर्फ उस ज्ञान में है जो कि एक स्थिर मन से उत्पन्न होने वाले गहरे अनुभव से ही प्राप्त हो सकता है | इस ज्ञान तक पहुँचने में मुझे एक ही चीज़ से मदद मिली है और वो है ज्ञानी और महान व्यक्तियों के व्याख्यान सुनने, समझने और उनके पदचिन्हों पर चल पाने के मुझे मिले सुअवसर |  मैंने अब जान लिया है कि हमें एक मार्गदर्शक या रास्ता ढूँढने के लिए पूरा संसार घूमने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हर प्रश्न का उत्तर हमारे अन्दर ही है | बल्कि ये बाहरी खोज तो केवल सच्चाई से हमारा ध्यान हटाती है और उस परमानन्द के आभास तक पहुँचने में विलंब ही डालती है |
 
मूल बात है दुःख और मतभेद - पर ज़रूरी ये है कि हम दूसरों के दुखों और परेशानियों को संवेदना से और अपने खुद के दुखों और परेशानियों को धैर्य और समभाव से देखें | हमें इन सब बातों का आभास तो हो पर बिलकुल सहजता से, बिना कोई ख़ास प्रयत्न  किये | हमें इस अनभिव्यकत जागरूकता को अपने अन्दर पनपने का पूरा समय देना होगा | अगर हम उसे जागृत करने में जल्दी  दिखाएंगे तो बल्कि हमारे अन्दर और तनाव उत्पन्न होगा |
 
हमें उस क्षण पर केवल ध्यान देना है बिना उसे बदलने का कोई प्रयत्न किए - वो खुद बा खुद बदल जाएगा | हमें जितना हो सके हर पल संपूर्ण रूप से चौकस रहना है | हम कब सचेत नहीं है, उस पल पर भी ध्यान दे पाना अपने आप में एक ध्यान है | सच्चाई को केवल बौधिक रूप से या फिर ऊपर-ऊपर से नहीं जाना जा सकता | उसे जानने के लिए ज़रूरी है कि हम उसकी तह तक पहुँच पाएं, उसके साथ एक हो जाएं और संपूर्ण रूपसे उसको अनुभव कर सकें | तभी हमारा मन स्थिर  और शांत हो पाएगा | 
 
तभी इंसान और धरती का सौंदर्य निखर कर आता है, हमारे कर्म विध्वंसक और आत्मकेंद्रित नहीं रह जाते | हर काम रचनात्मक बन जाता है | हमारे ह्रदय में जल रही अंसतोष की अग्नि बदल कर एक उज्जवल, जगमग दीप बन जाती है जो हमारे जीवन को सुख और शान्ति से भर देता है | 
 


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