The Boss And The Attendants

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TKV Desikachar
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Image of the Weekमालिक और सेवक
टी के वि डेसिकाचार

प्राचीन काल के महान गुरुजनों के पास न केवल उच्च शक्ति का दर्शन था पर वे बहुत व्यावहारिक भी थे। उनकी सीख बहुत सरल है : वे एक महान मन के विकास को प्रोत्साहित करते हैं और साथ ही हमें चेतावनी भी देते हैं के सिर्फ यही ध्येय नहीं है। केवल एक महान हृदय द्वारा निरंतर प्रेरित कर्म ही मन को उपयोगी बनाता है। आज-कल हृदय पहले कहाँ दूसरे स्थान पर भी नहीं आता। जब हम ह्रदय से ( दिल से ) प्रेरित होते हैं तब हमारे कर्म पहले से अलग होते हैं। विवेक हमारे कर्मों की प्रेरणा और उनके परिणाम के स्वरुप को बदल देता है।

एक महान मन में बुद्धि, कारण और प्रभाव में, चेतन और अवचेतन में और विशेष-रूप से ' मालिक ' और ' सेवक ' में भेद कर सकती है। अस्तित्व ने ऐसी व्यवस्था की है जिससे हम इस विवेकपूर्ण यात्रा से ये जान सकें के हृदय ही मालिक है। शरीर और इन्द्रियां मन द्वारा निर्देशित हैं - अपने अलग-अलग विभागों द्वारा, गतिविधि के स्तरों द्वारा और प्रतिक्रिया के तरीकों द्वारा - ये सेवक हैं। मालिक एक रहस्यमय तरीके से इन जटिल संरचाओं को बना रहा है। वह मन से परे रह कर सब कुछ संभाले हुए है, पर वह केवल मन के माध्यम से ही देख और काम कर सकता है। ध्यान करने से विवेक बढ़ता है और हृदय का मार्ग प्रशस्त होता है। फिर हमारे काम अलग ही तरह से होते हैं।

ध्यान में हृदय हमारी दृष्टी में आता है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। वही तकनीक जो हमें हमारे मन की असाधारण क्षमताओं का परिचय कराती है हमें हमारे हृदय को जानने से रोक सकती है। हम सबसे कीमती हिस्से को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं अगर हम हमारे मन और उसे नियंत्रित करने के तरीकों में उलझे रहें। हम ध्यान के अनुभव में जो सन्देश है उसे नहीं जान पाते।

कहावत है के, " सबसे सुन्दर हमेशा छुपा होता है। " जब हम स्वीकार करने को तैयार होते हैं तब ध्यान का यह महत्वपूर्ण हिस्सा हमें हमारे हृदय के साथ एक गहरे सम्बन्ध में ले जाता है। अगर हम जीवन को देखें तो हर पल कुछ असाधारण घट रहा है, यह देखने के लिए हमें अज्ञात के प्रति खुलना पड़ेगा। इस भाव और ध्यान की क्षमता से हम अरुचिकर घटनाओं से भी सीख सकेंगे। ये अनुभव हमारे हृदय और बुद्धि को संपन्न करेंगे और हमें एक नयी समझ प्रदान करेंगे।

जब मन और हृदय से समझने वाले दो लोग मिलते हैं तो चीज़ें सरल हो जाती हैं और समस्याओं का निवारण जल्दी होता है। पर जब केवल बुद्धि से समझने वाले लोग मिलते हैं तो चीज़ें काफी जटिल हो जाती हैं और समस्याएँ वर्षों तक रहती हैं। ध्यान को हमें आनंद प्रदान करना चाहिए, हमें हृदय के नज़दीक लाना चाहिए और जीवन को सरल बनाना चाहिए।

जब हम हृदय से प्रभावित होते हैं, हमारे अंदर से कुछ बहता है जो हमारे कर्मों के परिणाम को प्रभावित करता है। हम हमारे आस-पास की वस्तुओं और लोगों को विस्तारित और प्रभावित करते हैं। हालाँकि की हमारी खोज अभी पूरी नहीं हुई है, कुछ रहस्यमय तरीके से हमारे द्वारा कार्य करता है और हमारे वातावरण पर हमारे कर्मों का प्रभाव तय करता है। सेवा का भाव हमारे पुरे अस्तित्व में भर जाता है और बहने लगता है। हम जिसे ढूंढ रहे हैं वह हमें ढूंढने लगता है।

मनन के लिए प्रश्न :

मालिक और सेवक के भेद को आप कैसे समझते हैं?

क्या आप एक निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आप दिल और दिमाग दोनों से समझ पाएं हों?

दिल और दिमाग को एकीकृत करने में क्या मदद करता है ?



टी के वि डेसिकाचार विश्व प्रसिद्ध योग गुरु थे। यह लेख उनकी पुस्तक , " हम क्या ढूंढ रहे हैं " से उद्धृत है।


 

TKV Desikachar was a world renowned yoga teacher. This excerpt is from his book "What Are We Seeking".


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