Is It Really Worth It?

Author
Patty De Llosa
71 words, 34K views, 17 comments

Image of the Weekक्या यह वास्तव में इस लायक है?
- पैटी दे लोसा

इस बात को स्वीकार करना मेरे लिए बहुत कठिन है कि मै, मेरे ही अस्तित्व के कई रूपों कि युध्भूमि होती हूँ, और मेरे ये विभिन्न रूप एक - दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं। इतना विभाजित महसूस करने से बचने का क्या कोई उपचार है? कृष्णमूर्तिजी कहते हैं " विभाजन में असुरक्षा है, युद्ध में अनिश्चित्ता है। पर जब मन विभाजन के भयस्थानो को साफ़-साफ़ देख सकता है - बौद्धिकता से नहीं, भावनात्मकता से नहीं, पर वास्तव में - तब एकदम अलग ही प्रकार का कर्म होता है। वह नया कर्म, हाँ या ना के जिस स्तर पर हम जीते हैं से ऊपर होता है और एक नया दृष्टिकोण हमें उस तक पहुँचने का रास्ता ढूंढने में मदद कर सकता है। कार्ल जुंग कि वह अवधारणा जिसका मरियन वूडमन प्रायः उल्लेख करती हैं, सुझाता है ​के हम उस तक "विरोध से उत्पन्न हुए तनाव को सँभालते" हुए पहुँच सकते हैं। अगर हम किसी परिस्तिथि में कोई एक पक्ष लेने का चुम्बकीय आकर्षण इतनी देर तक रोक पाएं के हम दोनों पक्षो को स्वीकार कर सकें, चाहे यह प्रक्रिया कितनी ही कष्टदायक क्यूँ न हो, हम विभाजन से ऊपर उठते हैं बजाए के उस में बंद होने के।

एक दिन मै थकी हुई और और अनमनी सी उठी, सुबह के क्रिया-कलापों के दौरान हल्का सा सर दर्द हो रहा था, दोपहर को अचानक मुझे याद आया के मैंने पिछली रात को निष्चय किया था कि मै सुबह के नाश्ते के बाद पार्क जानूंगी। " बिलकुल समय नहीं है ", मैंने सोचा, " और मुझे मन भी नहीं हो रहा ।" मैंने अपने आप को ऐसा कहते हुए पहले कितनी बार सुना है! मेरे प्रतिरोध के बावजूद, दोपहर के भोजन से पहले, लेखन छोड़ कर और अपने आप से बड़बड़ाते हुए के टयलेनोल कि एक गोली से मुझे आराम मिल सकता है, मैं पार्क कि तरफ चलने लगी, आपने आप से वादा करते हुए कि एक छोटा चक्कर लगा के जल्दी ही वापस आ जाऊँगी।

दरवाज़े से बहार निकलते ही, मेरे आशचर्य के बीच, मुझे तुरंत ही अच्छा मेहसूस होने लगा, पार्क तक पहुँचते - पहुँचते तो मेरा सर दर्द भी गायब हो गया था। जल्दी ही मै वसंत कि ठंडक मैं एक बेंच पर बैठी थी, सूरज कि रौशनी में नहाते हुए पेड़ों और गाते हुए पक्षियों से घिरी हुई। मैंने अपनी आत्मा को गाते हुए सुना। इस परिवर्तन से चकित, मैंने आपने आप से पूछा : यहाँ आना इतना मुश्किल क्यूँ था ? मुझे में कौन था जिसे लगा के उदास रहना या कंप्यूटर पे लिखते हुए कई घंटे गुज़ारना ज़यादा ज़रूरी था ? मुझे में क्या उस बात का विरोध करता है जिसकी मेरे दूसरे हिस्से को बहुत ज़यादा जरुरत है ? क्या मेरे दिमाग के हित मेरे ह्रदय और मेरे शारीर पर नियंत्रण चाहते हैं ?…

अगली बार जब मै पार्क में जाने का विरोध करती, तब मै अपने " कीचड़ में फसे हुए " हिस्से से संवाद करना शुरू करती। " क्यूँ इतना ज़िद्दी इंकार ? समस्य क्या है ?" मैंने अपने आप से पूछा। अंतर कि आवाज़ ने, आह के साथ प्रतिउत्तर दिया, " क्या यह वास्तव में इस लायक है?" " किस लायक ?" मैंने पूछा। तब मेरे अस्तित्व के एक दूसरे हिस्से कि गहराई से एक नई आवाज़ ने इस फरयादी बातचीत को रोका और आश्चर्य से कहा, " जितना समय उस में लगता है, उतना समय लगाने लायक !"

मुझ में बसे हुए लेखक और समस्याओं का हल करने वाले के आलावा कोई है जिसे मेरे समय कि जरुरत है पर उसे पर्याप्त समय मिल नहीं पा रहा। उस छोटे से आतंरिक संवाद ने मुझे ये देखने में मदद कि, के मै जो कुछ भी करना चाहती हूँ, उस कारण से मै अपने गहरे अस्तित्व को समय नहीं दे पा रही थी, इस क्षण कि जागरूकता में मेरे अपने विस्तार के लिए.…
वर्त्तमान में वापसी मुझे उन चीज़ों कि सराहना करने का मौका देती है, जिनकी हम बहुत व्यस्त होने के कारण उपेक्षा करते हैं: हमारे जीवन का वर्त्तमान काल, जो अपने आप के और बाकि विश्व के नाए अनुभव कराता है। अगर हम मना कर दें, तो हमारा संपर्क टूट जाता है, और दुःख कि बात है के हमें पता भी नहीं चलता के हमने क्या खोया है। जब हम शांत रह कर ध्यान से अपने अंदर कि आवाज़ों को सुन्ना पसंद करते हैं, हम किसी और को हमारा अस्तित्वा भरने कि जगह देते हैं उस " मुझे सब पता है " वाले अहंकार से अलग। पर कर्तव्यों से घिरे हुए हम नयी सम्भावनाओं का स्वागत नहीं करते। जैसे बाइबिल मै वर्णित जेकब कि तरह हम भी अपने ही फरिश्ते से लड़ते हैं और उसे हारने कि कोशिश करते हैं।

आत्म निरक्षण के लिए प्रश्न :
अपने गहरे अस्तित्व के लिए समय निकाल ने से आप क्या समझते हैं ?
विभाजन के खतरों को देखने से उत्पन्न होने वाले एक-दम ही नए कर्म से आप कैसे जुड़ते हैं?
क्या आप एक निजी अनुभव हमारे साथ बाँट सके हैं, जब ऐसा कोई कर्म आपके जीवन में हुआ हो?


Add Your Reflection

17 Past Reflections