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Author
Roger Walsh
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Image of the Weekआसक्ति में पड़ना

मुझे ध्यान सिखाने वाले एक शिक्षक ने अध्यात्मिक अभ्यास के लिए कई साल समर्पित किये थे। उन्होंने कई शास्त्रों का अभ्यास किया था, वे कई मठों में कठोर परिस्तिथियों में रहे थे। उन्होंने कई गहन अभ्यास किये थे। इन सब के बावजूद वे एक समस्या का हल नहीं निकाल पाये थे : मिठाइयों के प्रति उनकी आसक्ति। उनकी थोड़ी सी धन राशि का एक बड़ा हिस्सा वे मिठाइयां खरीद ने पे खर्च करते थे।

आखिरकार, वे एक बड़ा बक्सा ले कर बाज़ार गए। मिठाई कि एक दुकान से दूसरी में जाते जाते उन्होंने तब तक मिठाई खरीदी जब तक उनके पैसे ख़त्म नहीं हो गए। फिर वे घर गए, सारी मिठाईआं टेबल पर रख दी और ध्यान किया। जब उनका मनन शांत हो गया उन्होंने पहली मिठाई खायी।

संपूर्ण रूप से जागरूक रहते हुए उहोने ने उस अनुभव के हर पहलू को देखा। उन्होंने ने पहली मिठाई उठाते ते हुए अपनी अंदर कि उत्सुकता को देखा, मिठाई के मुह में जाते ही होने वाले अनुभूति को देखा, मिठास का पहला अस्वाद और आनंद कि वो लहर जो दिमाग में दौड़ जाती है, फिर उन्होंने अपने आपको मिठाई निगलते हुए और दूसरी मिठाई उठाते हुए देखा।

मिठाई के बाद मिठाई खाते हुए उन्होंने अपने आप को देखना जरी रखा, थोड़ी देर बाद उन्होंने एक बदलाव देखा। तीव्र मिठास के स्वाद से और खाने कि इच्छा के बजाये अब उनका मन ही भर ने लगा था आनंद कि लहर अब गायब हो गयी थी।

फिर भी उन्होंने मिठाई खाना और देखना जरी रखा, अब उत्सुकता बेस्वाद हो गयी थी, तीव्र मिठास जो पहले बहुत आकर्षक लग रही थी अब अरुचिकर लग रही थी और बची हुई मिठाईयों को देखकर ये भाव बढ़ रहे थे। उन्होंने तब तक खाना जरी रखा जब तक उन्हें जबरजस्ती मिठाई खानी पड़े। जब वे टेबल से उठे उन्होंने अपनी मिठाई कि आसक्ति को जीत लिया था।

आसक्ति में पड़ना उसका शर्तिया उपचार नहीं है। अगर ऐसा होता तो शराबी पीकर मरने के बजाये ठीक हो जाते। हालाँकि, अगर आसक्तियों का उपयोग कभी - कभी पूरी सावधानी के साथ कुशलता से अध्यात्मिक अनुभव के लिए किया जाए तो उनसे बहुमूल्य परिणाम मिल सकते हैं।

रॉजर वाल्श, उनकी पुस्तक आवश्यक आध्यात्मिकता में

स्व-अन्वेषण के लिए कुछ प्रश्न :
आसक्तिक से छूटेने के लिए उनमें पड़ने के विचार से आप कैसे जुडते हैं ?
ये कुशलता से कैसे किया जा सकता हैं?
क्या आप एक निजी अनुभव बता सकते हैं जब आसक्ति में पड़ने से आप उस आसक्ति से छूट पाये?


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