Beggarly, Friendly, And Kingly Giving

Author
Stephen Levine
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Image of the Weekनिर्धन, दोस्ताना, और आलीशान देना

स्टेफन लेविन

सबसे बड़ा उपहार देने का कार्य है. परंपरागत रूप से, देने के तीन प्रकार हैं| एक है निर्धन (भीख) देना. जहा पर हम जो देते है उसे असल में पकडे रखते है| यहाँ पर हम हमारे पास जो भी है उससे कम से कम देते है| और फिर सोचते है की हमें देना चाहिए था भी या नहीं|

देने का दूसरा प्रकार है जिसे "दोस्ताना" कहा जाता है| जिसमे हम हमसे जितना हो सके उतना देते है| फिर चाहे हमारे पास कुछ न बचा रहे जाये| हम सहज से ही सबसे अच्चा देने की कोशिश करते है| हम अपने आपको प्रदान की गयी हर चीज़ के सिर्फ अस्थायी रखवाले के रूप में देखते है| जिसमे देना कुछ नहीं होता है| वो सिर्फ एक विस्तार है जिसमे चीज़े बहती जाती है|

हम सबने अपने जीवन में इस प्रकार के देन का अनुभव किया है| किसी और को देना और खुद को देना | हम सब जानते है की कैसा अनुभव होता है जब हम कुछ देते वक्त एक पकड़ जमाते है| कुछ देते समय हम सोचते है "क्युकी मेने कुछ किया है तो क्या मुझे प्रेम मिलेगा?" हम अपने आप को एक दाता की तरह देखते है| हमने तब भी कुछ दिया है जब हमें ये जरुरत महसूस हुई की चीजों को दुसरो के हाथो में पहोचानी चाहिए, बस एक प्रवाह की तरह चीजों को बहना चाहिए| ये उस तरह का देना है जो चिकित्सको के पास से आता है| वो उसे पकड़ के नहीं रखते | जीवनकी उर्जा उनमे से बहती रहती है| असल में कोई इलाज कर नहीं रहा होता बस इलाज अपने आप होता जाता है| उसे कहते है आलीशान तरह से देना|

आम तोर पर जेसे हम अपने आपमे विकसित होते है हम अपने आपको प्रमाणिकता से खुले हाथ से देता हुआ पाते है| वो अच्छा लगता है| वो हमें ऐसी दोस्ती और प्यार देता है जो हमें और विकसित करता है|
सहीमे, देने की कला अपने आपमे एक पूरा अभ्यास है| कई बार ध्यान देते समय हम निर्धन बन जाते है और अपने आपको दूर नहीं ले जा सकते | हम चीजों को पकड़ के रखते है| अपने मन की कुछ स्थितिओ को रोक के रखते है| एक हाथसे अपने आप को देने की कोशिश करते है लेकिन दुसरे हाथसे पकडे रखते है| हम हर वक्त ये देखते रहते है की हम क्या कर रहे है, मापते है की हम अभी कौन है और मूल्यांकन करते रहते है| लेकिन जेसे ही हम जागृत होते है हम अपने आपको और दूर करते जाते है|

और जैसे जैसे हम खुदको खुदसे अधिक देते है हम स्वाभाविक रूप से खुदको दुसरो के लिए अधिक देना शुरू कर देते है| हम लोगो के साथ एसे जुड़ते है की जिससे लोग खुदसे आसानी से जुड़ सके| हम वो नहीं बनते जो किसी को किसी भी अन्य तरीके से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है| हम एक खुली जहग है, हम कुछ पकड़ के नहीं रखते, सब कुछ देते जाते है.

स्टेफन लेविन - ग्रेजुअल अवेकनिंग से
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आत्म-निरिक्षण के लिए प्रश्न
आप अपने आपको देने के इस तिन प्रकार से केसे सम्बंधित करते है ? क्या आप अपने जीवनके किसी आलीशान देन का अनुभव बता सकते है? देना एक अभ्यास है - इसे आप कैसे समजते है?
 

Stephen Levine is a celebrated author. Excerpt above from his book, Gradual Awakening.


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