What Astrology Teaches Us

Author
Isabel Hickey
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Image of the Week                                                                   ज्योतिषशास्त्र हमें क्या सिखाता है
                                                                   - इसाबैल हिकी
 
          ज्योतिषशास्त्र केवल भविष्य जानने का विज्ञान नहीं है। इस शास्त्र का उद्देश्य खुद को और अपने आसपास के लोगों जानना है। हाल ही में मेरी इस विषय में कई लोगों से बातचीत हुई है और मुझे ये जानकर बहुत हैरानी हुई कि ज्योतिषशास्त्र को लोग बहुत कमाल का ज्ञान मानते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक जन्मपत्री में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा होता जिसे अगर हम चाहें तो बदल नहीं सकते। मैंने ऐसा बार-बार होते देखा है। ये तो केवल वो कहानियाँ हैं जिनके दौर से हम गुज़र रहे हैं और पिछले जन्मों के कर्मों का फ़ल। जन्मफल तो केवल यही बताता है कि हम कौन हैं। जिस दिन बच्चा पैदा होता है, उसका जन्मफ़ल उसी दिन जाना जा सकता है - उसी वक्त हमें पता चल सकता है कि वो अपनेे साथ क्या अच्छाइयां लेकर आया है। साथ ही ये भी जाना जा सकता है कि वो किन कठिनाइयों का सामना करने वाला है, जिन परिस्थितियों को उसे खुद बदलना होगा। ये तो सिर्फ़ व्यक्तित्व का स्वरूप है। लेकिन उस व्यक्तित्व के पीछे एक व्यक्ति भी तो है और उस व्यक्ति पर ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है।
 
          बहुत समय पहले एक गुरू से मैंने ऐसा कुछ सीखा जिसे मैंने कई बार काम में आते देखा है। हमारे साथ जो कुछ भी होता है हम उससे एक स्पंदन के साथ जुड़े हैं। इस जीवन में हम जो भी कर्म करने वाले हैं उनमें बदलाव लाने का केवल एक ही तरीका है और वो है अपने रूख में बदलाव लाना। ऐसा करने से ही हमारी चेतना बदल सकती है। यह एक ऐसा सिद्धान्त है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। जब हम अपना रवैया बदल लेते हैं तो दो में से एक चीज़ ज़रूर होगी, या तो वो व्यक्ति या परिस्थिति जिससे हम परेशान हैं, वो बिना कोई कोई नुक़सान पहुँचाए हमारे रास्ते से हट जाएंगे या फ़िर उनमें ऐसा बदलाव आ जाएगा कि वो मुश्किल आपके लिए आसान हो जाएगी। पिछले तीस सालों के अनुभव में मैंने इस सिद्धांत को किसी भी व्यक्ति के जीवन में ग़लत प्रमाणित होते नहीं देखा है। मैंने पाया कि जिसने अपना रवैया और साथ ही अपनी चेतना को बदल डाला, उस व्यक्ति के जीवन में ये सिद्धान्त हमेशा ठीक बैठता है। 
 
          जो हमें दिखाई देता है वही सृजनात्मक संसार नहीं है, वो तो केवल हर क्षण बदलते हुए संसार का एक प्रकट रूप है। हम खुद अपनी परिस्थितियों को जन्म देते हैं और अगर हम इस प्रकट संसार में बदलाव देखना चाहते हैं तो पहले हमें खुद बदलना होगा। हमारे आसपास जो भी होता है उसे बदलने का यही एक तरीका है। मैंने ये बार-बार साबित होते देखा है और ग़लत साबित होते कभी नहीं।
 
          जब हम अपना रुख बदल लेते हैं तो जिन परिस्थितियों से हम जूझ रहे होते हैं वो भी सुखकर अनुभव बन जाती हैं।
 
                                                                                            - इसाबैल हिकी


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