“ सर्कल और बिंदु “ अमिता कौल के द्वारा
शिक्षक ने बोर्ड पर चिपके हुए कागज़ पर एक बड़ा वृत्त(circle) बनाया। फिर वह अपने छात्रों की ओर मुड़े और बोले, "यह अस्तित्व का महान सर्कल है। कोई भी और कुछ भी इसके बाहर नहीं है।" छात्रों ने इसे अलग-अलग तरीकों से सुना; कुछ उलझन में थे, कुछ समझते हुए सिर हिला रहे थे, और कुछ ने ध्यान में आंखें बंद कर ली थीं। "आपमें से हर एक इस सर्कल के भीतर पूरी तरह समाहित है। इसे बहुत स्पष्ट रूप से देखो, आप सभी," शिक्षक ने कहा और सभी चेहरों को ध्यान से देखा।
अचानक एक संकोच भरा हाथ उठा। एक नया युवा छात्र खड़ा हुआ और घबराहट में गला साफ किया। "सर, क्या मैं जो देख रहा हूँ, वह साझा कर सकता हूँ और एक सवाल पूछ सकता हूँ?" उसने हिचकिचाते हुए पूछा। शिक्षक की नज़रों ने उसे गहराई से देखा लेकिन उन्होंने सहमति में सिर हिलाया। "तो," छात्र ने शुरू किया, "दो दिनों से आप हमें यह अस्तित्व का सर्कल दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम सभी इसके अंदर हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं देख पा रहा..." वह शिक्षक की प्रतिक्रिया देखने के लिए रुका, और केवल शांत गंभीरता देखकर आगे बोला, "मैं खुद को इस सर्कल के बाहर देखता हूँ," उसने थोड़ा आत्मविश्वास से कहा।
शिक्षक का चेहरा थोड़ा नरम पड़ा। वह बोर्ड की ओर मुड़े, पेन उठाया और सर्कल के बाहर एक छोटा सा बिंदु बनाया। उसे दिखाते हुए उन्होंने मुस्कराकर पूछा, "क्या तुम खुद को यहाँ पाते हो?" छात्र ने सिर हिलाकर हाँ कहा। अब अधिकांश छात्र ध्यान से देख रहे थे। फिर शिक्षक ने एक बड़ा सर्कल बनाया जो उस बिंदु को भी अपने अंदर समेट ले। "अब ठीक हो गया," उन्होंने प्रसन्नता से कहा, "तुम पूरी तरह अस्तित्व के इस सर्कल के भीतर हो।"
कुछ छात्रों ने हल्के से हँसी में प्रतिक्रिया दी और कुछ ने सराहना में सिर हिलाया। युवा छात्र थोड़ा उलझा हुआ दिखा और बैठने ही वाला था कि जैसे सब कुछ यहीं समाप्त हो गया हो। लेकिन शिक्षक ने हवा में पेन उठाकर कहा, "नहीं, नहीं, मेरी बात मत मानो। एक बार फिर अपने अंदर देखो और देखो कि इस बार क्या दिखाई देता है।" फिर उन्होंने बाकी छात्रों की ओर मुड़कर कहा, "आप सभी — मैं चाहता हूँ कि आप भी फिर से भीतर देखें। लेकिन पहले, क्या यहाँ कोई है जिसे इस युवा छात्र जैसा प्रश्न कभी नहीं आया? शायद आप में से कुछ ने सोचा कि आपने उत्तर पहले ही पा लिया है। शायद कुछ ने वास्तव में पा लिया हो। लेकिन इस पल में उत्तर को स्वयं प्रकट होने दो। पुराने अनुभवों पर भरोसा मत करो। अभी जो सत्य है, उसे देखो।
सभी छात्र चुप हो गए और एक गहरी खामोशी छा गई। कुछ समय बाद, शिक्षक ने फिर उस युवा छात्र की ओर देखा और बोले, "मुझे लगता है कि तुम कुछ साझा करने को तैयार हो। क्या पाया?" छात्र थोड़ा झिझकते हुए खड़ा हुआ और बोला, "सर, मैं अब भी खुद को उस नए सर्कल के बाहर देखता हूँ।" उसने चिंता से देखा। लेकिन शिक्षक ने कोमल मुस्कान के साथ फिर से एक बिंदु नए बड़े सर्कल के बाहर बनाया। "ऐसे?" उन्होंने पूछा। जब छात्र ने सिर हिलाया, तो शिक्षक ने एक और बड़ा सर्कल बनाया जो उस नए बिंदु को भी समाहित कर ले। बिना कुछ कहे, उन्होंने छात्र की ओर देखा और भौंहें उठाईं। छात्र ने हल्के से सिर हिलाया, बैठ गया और आँखें बंद कर लीं।
यह दृश्य अगले कई दिनों तक बार-बार दोहराया गया। इस दौरान कुछ छात्रों के भीतर बेचैनी बढ़ने लगी। कुछ के भीतर शांति उतरने लगी। कुछ को यह सब एक बेकार की कवायद लगी, लेकिन वे अपने-अपने कारणों से टिके रहे। कुछ, जैसे वह युवा छात्र, इस अवसर का लाभ लेते हुए भीतर झाँकते रहे। हालांकि एक छात्र पूरी हताशा में कक्षा छोड़कर चला गया
पाँचवे दिन, बोर्ड पर कई एक-दूसरे के भीतर बने सर्कल थे, और हर एक में एक छोटा सा बिंदु था। शिक्षक चुपचाप बोर्ड के पास बैठे थे, कभी आँखें खोलते, कभी बंद करते हुए, मौन में डूबे हुए। अंततः वह युवा छात्र फिर से खड़ा हुआ, आत्मविश्वास से हाथ उठाया और बोला, “सर, मैं अब पूरी तरह सर्कल के भीतर हूँ।” और...,” वह थोड़ा रुका, “और वह सर्कल भी पूरी तरह मेरे भीतर है। मैं ही वह कागज हूँ, वह सर्कल और वह बिंदु भी।”
उस क्षण, कई छात्रों के भीतर कुछ गहराई से महसूस हुआ । जैसे कोई तीर उनके दिल में उतर गया हो — और जो बह निकला वह प्रेम की गहराई थी। शिक्षक मुड़े और बोर्ड, कागज और पेन समेटने लगे। “अच्छा हुआ,” उन्होंने कहा, “क्योंकि अब सच में मुझे इतने सारे सर्कल बनाते-बनाते थकान हो रही थी।”
मनन के लिए मूल प्रश्न
1. आप इस विचार को कैसे समझते हैं कि हम में से प्रत्येक अस्तित्व के सर्कल के भीतर पूरी तरह समाहित है, और वह सर्कल तथा सब कुछ आपके भीतर भी पूरी तरह समाहित है?
2. क्या आप अपने जीवन की कोई व्यक्तिगत कहानी साझा कर सकते हैं जब आपने खुद को किसी रूपकात्मक सर्कल के भीतर या बाहर महसूस किया।
3.आपके भीतर झाँककर यह समझने में क्या मदद करता है कि इस सर्कल में और इसके पार आपकी सच्ची जगह क्या है?