
“जीवन का मापतौल”
- द्वारा ज़ेन हिर्षफ़ील्ड
हमारे ह्रदय के कारण ,
जब साफ़ दीखते हैं,
तो संबसे कठोर ह्रदय भी ,
अपने साथ ले कर चलता हैं,
अपने चाबुक जैसे निशान एवं दुःख,
और उसे माफ़ कर दिया जाना चाहिए।
जिस प्रकार एक अकाल पीड़ित
हिरण , माफ़ कर देता है,
एक अकाल पीड़ित भूखे शेर को,
जो उसे खा रहा होता है ,
और वो हिरण स्वेच्छा से ,
एक ऐसे जीवन मैं प्रवेश करता
जिसे वो मना नहीं कर सकता ,
और वह हिरण शेर बन जाता है,
शेर को तृप्त करता है,
और फिर अपने आप को भूल जाता है।
दिखने में कितने कम खुशियों के कण हैं,
फिर भी जीवन में फैले अन्धकार से जब उन्हें तौलते हैं,
तो दोनों के पलड़े बराबर होते हैं।
ये दुनिया हमसे मांगती है ,
वो शक्ति जो हमारे पास है और हम दे देते हैं।
और फिर वो हमसे और मांगती है ,
और हम और दे देते हैं।
मनन के लिए मूल प्रश्न : आप इस धारणा को कैसा मानते हैं , कि सबसे कठोर ह्रदय भी अपने चाबुक जैसे निशान एवंम दुःख साथ ले कर चलते हैं , और जब हम उन्हें स्पस्ट देख पाते हैं , तो हमें सबको माफ़ करने की शक्ति मिल जाती है ?
क्या आप एक निजी कहानी साझा कर सकते हैं , जब आप किसी को माफ़ कर पाए हों, जबकि स्थिति अत्यंत अप्रिय थी और बिलकुल माफ़ करने वाली नहीं थी ?
आपको उन खुशियों के थोड़े से कणों को खोजने में क्या मदद करता है , जिससे हमारा जीवन का अनुभवित ,समस्त अन्धकार, बराबर हो जाता है ?
Jane Hirshfield is an American poet, essayist, and translator, and a 2019 elected member of the American Academy of Arts and Sciences.