“प्रकृति की पवित्र गड़बड़ “
-लुसी ग्रेस के द्वारा
बीज सबसे सुंदर फूल में ही खिलता है। लेकिन पहले उसे टूटना, खुलना, बिना किसी गारंटी के कीचड़ से गुजरना और सहज ज्ञान और अस्तित्व की इच्छा की शरण में जाना होगा। उसे नहीं पता कि प्रकाश आता है वृद्धि की मिट्टी से। उसे नहीं पता कि उसके टूटने बिखरने से उसका फलना-फूलना शुरू हो जाएगा: लेकिन वह आवेग के पीछे पीछे चलता है।
वह प्रकृति की पवित्र गड़बड़ का अनुसरण करता है। और भगवान वह गड़बड़ है। हम वह गड़बड़ हैं। बुद्धिमान गड़बड़। हम समय से पहले बीज पर चिल्लाकर "खिलने" के लिए नहीं कह सकते। उसे पानी, धूप, धैर्य की आवश्यकता होती है। और जब वह तैयार होता है, तो वह खुल जाता है। न ही हम खुद पर चिल्लाकर कह सकते हैं कि "खुल जाओ!" "अरे!" या "समर्पण करो!" हम केवल उसी से मिल(जुड़ )सकते हैं जो वास्तव में अभी है, गहराई से और ईमानदारी से, और जो है उसके लिए खुलते रहना चुनते हैं, जीवन की सहज बुद्धि पर भरोसा करते हुए। हमारा विकास एकदम सही समय पर हो रहा है। बीज की तरह, हम झुकते हैं, टूटते हैं, उठते हैं -- और इन सबके बीच हैं कृपा ।
एक बार जब हम जीवन को उसकी गहरी दयालुता के रूप में अनुभव कर लेते हैं -- अस्तित्व का आश्चर्य और जादू हमें भर देता है, तो हम नियंत्रण छोड़ सकते हैं और मानव मन के अहंकार और सीमाओं को देख सकते हैं, यह सोचकर कि वह कुछ भी जान सकता है। "ईश्वर" आपके सिर के हर एक बाल से प्यार करता है, ठीक वैसे ही जैसे आप हैं। "आध्यात्मिकता" आपके सभी हिस्सों को शामिल करती है, गहन और सांसारिक। अहंकार तोड़ने वाला और पवित्र।
यह स्थान -- इस कृपा से --सिकुड़ता नहीं है और भय कम हो जाते हैं और अंततः मुक्त हो जाते हैं, जिससे हम समर्पण में और भी अधिक गहराई से डूब जाते हैं, गहरे प्रकाश में -- ताकि यह मानवीय अनुभव को प्रभावित कर सके और उसे आगे बढ़ा सके, ईश्वर को, आपके माध्यम से, यहाँ, इस क्षण में स्थापित कर सके। यहीं पर हम आत्मा और पदार्थ का मिलन पाते हैं। दिव्यता, हर जगह।
तो अपने बोझ को नीचे रख दो। अपने मुखौटे उतार दो। यहाँ इस पल में तुम्हारे आराम करने के लिए एक पवित्र जगह है। यहाँ एक ईश्वर है जो तुम सभी से प्यार करता है - चाहे तुम कुछ भी हो, न हो, करो या न करो। यहाँ ऐसे दोस्त हैं जो तुम्हारी पवित्र गड़बड़ को देख सकते हैं - उस शक्ति, अदम्य प्रकाश और सत्य को जो तुम हमेशा से हो। और ऐसा करते हुए, इसे और भी गहराई से सामने लाओ।
मनन के लिए बीज प्रश्न:
१-जब बीज खिल रहा हो, तो आपको उस गड़बड़ के बीच स्थिर रहने का धैर्य पाने में किससे मदद मिलती है, साथ ही यह विश्वास जगाने में भी कि यह अंततः एक पवित्र और "बुद्धिमान गड़बड़ " है?
२-आप गहनता को महत्व देते हुए सांसारिक को भी शामिल करने में कैसे संतुलन बनाते हैं?
३- ऐसा कौन सा अनुभव रहा है जिससे आपको अपने "अदम्य प्रकाश" का अनुभव हुआ ?