Seeking To Understand

Author
Timber Hawkeye
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Image of the Weekसमझने की जिज्ञासा, द्वारा टिम्बर हॉक ऑय

मेरी मित्र जूली एवं उनके पति , कपड़ों की धुलाई के “ सही “ तरीके पर बहस करते रहते हैं : उनके पति कपडे धुलाई मशीन में गंदे कपडे रख देते हैं, उसमे एक कप धुलाई पाउडर डाल देते हैं, मशीन चालू कर देते हैं, और फिर चल देते हैं| जूली, खुद इस चीज़ पे विश्वास करती हैं कि पहले पानी की धार चालू करें , फिर उसमे धुलाई पाउडर मिलाया जाए, और फिर उसमे गंदे कपडे डालें जायें|दोनों का मकसद एक ही है और वो है कपड़ों की सफाई | परन्तु दोनों के काम करने का तरीका अलग अलग है| उनके पति चाहते हैं कि कम से कम काम करना पड़े और जितनी जल्दी हो सके काम हो जाए, और जूली की प्राथमिकता है कि ये पक्का करलें कि साबुन पूरी तरह से पानी में घुलने के बाद ही कपडे धुलाई मशीन में डाले जायें|

यह मुझे एक मठ की रसोई में कार्य करने की प्रक्रिया की याद दिलाता है जहाँ उस मठ के दो रसोई कर्मचारियों को लगभग 20 किलो गाजर को छील कर माचिस कि तिल्ली के आकार में काटने का कार्य दिया गया था| उस कार्य में उन्हें लगभग चार घंटे का समय लगता था और उस बात ने मेरे अंदर के कार्यदक्ष विशेषज्ञ को झकझोर दिया| “हम खाद्य प्रोसेसिंग मशीन का इस्तेमाल क्यों नहीं करते, मैंने रसोई प्रमुख से पूछा , “यह कार्य दस मिनट में ही हो जायेगा “| उनका जवाब था कि हमारा मकसद ये नहीं है कि इस कार्य को जल्द से जल्द कर लिया जाए , पर यह है कि उन छात्रों को चार घंटे की चेतनामय अभ्यास, रसोई कार्य द्वारा कराया जाए|

आप देखेंगे कि जो मैंने देखने में भूल की, वो ये थी की मैं ये नहीं समझ पाया कि उनके निर्देश के पीछे”कारण “ क्या था | ये सही है कि खाद्य प्रोसेसिंग मशीन द्वारा उतनी गाजर मिनटों में तैयार हो जाती परन्तु उस रसोई व्यवस्थापक ने चिंतनशील अभ्यास को कार्यदक्षता एवं सुविधा से ज्यादा महत्व दिया | एक बौद्ध मठ में इसी का ज्यादा महत्व है| हम क्यों मान लेते हैं कि हमें पता है कि सबसे उत्तम क्या है? मैं अपने आपको ध्यान कक्ष में ले जा कर अपने अहम् के साथ तब तक बैठा रहा जबतक की अहम् ने अच्छी तरह की बातें शुरू नहीं की|

यह तय है कि हमें औरों के बारे में विशिस्ट जानकारी हासिल होती है कि लोग क्या कर करते हैं औए क्यों करते है परन्तु उनके उस कार्य के , करने के पीछे के कारण की, जानकारी के मामले में हम बुरी तरह से असफल रहते हैं|यहाँ तक कि जब हमारा ध्येय किसी और के ध्येय जैसा ही होता है तब भी चूँकि उनकी प्राथमिकतायें हमसे भिन्न हैं इसलिए हमें उनके कार्य पिछडे हुए लगते हैं, सहज ज्ञान के विपरीत लगते हैं , नादानी भरे एवं यहाँ तक की “गलत “ लगते हैं|

जरा इस बारे में सोचिये: अगर आप निरंतर किसी से इसलिए चिढ़ते रहते हैं क्योंकि वो बदलने के लिए मना करता है, क्या इसका मायने ये नहीं है कि आप भी नहीं बदलना चाहते हैं? अस्सिसी के संत फ्रांसिस सामने वाले को समझने के प्रयास को उत्तम मानते थे , ना कि दूसरे को समझाने के प्रयास को| चूँकि हम सामने वाले की मंशा या तर्क को अपने तर्क से नहीं समझ सकते, हमें चाहिए कि हम किसी अन्य की , बिना उसे पूरी तरह समझे, निंदा ना करें | क्योंकि अगर हम सामने वाले को पूरी तरह समझ पायेंगे , तो निंदा के लिए कुछ बचेगा ही नहीं|
आगे बढ़ के अपने कार्यों के पीछे के कारणों का मनन करें, और शायद आप पायेंगे ये सारे कारण आप के आस पास सभी के कारण जैसे ही हैं|

अंदरूनी शांति ही औरों के साथ शांति से रहने का पहला कदम है| आइये यह पहला कदम हम साथ उठाते हैं|

मनन के लिए बीज प्रश्न : आप इस प्रबोधन (Exhortation) को कैसा मानते हैं कि हमें उस चीज़ कि निंदा नहीं करनी चाहिए जिसे हमने पूरी तरह समझा भी नहीं हो? क्या आप ऐसे समय की कहानी साझा करना चाहेंगे जब आपने किसी की निंदा करने के प्रलोभन को टाला हो, और उस को समझने का प्रयास किया हो? आपको अपने कार्यों के पीछे कारणों को, और अन्य लोगो के कार्यों के पीछे कारणों को समझने की प्रतिबद्धता में किस चीज़ से सहायता मिलती है|
 

Timber Hawkeye is an author and a mindfulness coach.


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