You Must Shout From The Heart

Author
Ken Wilber
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आपको दिल से चिल्लाना चाहिए
- केन विल्बर (१० अक्टूबर, २०१८)

भयानक बात यह है कि गहराई की कोई भी अनुभूति अपने साथ एक भीषण दायित्व लिए रहती है: जिन लोगों को सच्चाई देखने का मौका मिलता है, उन्हें साथ ही उस दृश्य को साफ़-साफ़ औरों को बताने की ज़िम्मेवारी भी मिलती है :यह एक सौदा है। आपको सच्चाई देखने का मौका इस शर्त पर मिला था कि आप उसे औरों तक पहुंचाएंगे।[...]

और यह वास्तव में एक भयानक बोझ है, एक भयानक बोझ है, क्योंकि किसी भी हाल में यहाँ बुज़दिली के लिए कोई जगह नहीं है। यह बात कि आप शायद गलत हो सकते हैं यह कोई बहाना नहीं है: आप अपने संचार में सही हो सकते हैं, और आप शायद गलत भी हो सकते हैं, पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जिससे फर्क पड़ता है, जैसा कि कियर्केगार्ड ने बहुत बेरूखी से हमें याद दिलाया है, वो है कि केवल अपना सब लगा देने और, अपनी परिकल्पना को उत्साह से बयान करने से ही सच्चाई, एक न एक तरीके से, आखिर दुनिया की अनिच्छा में प्रवेश कर सकेगी। [...]

अपनी खुद की प्रामाणिक अनुभूति को देखते हुए, आप वास्तव में उस निकट बहरी दुनिया के कान में हौले से फुसफ़साने के बारे में सोच रहे थे? नहीं, मेरे दोस्त, आपको चिल्लाना होगा। जो आपने देखा है उसके अंदर से चिल्लाओ, जैसे भी चिल्ला सकते हो चिल्लाओ।

लेकिन अंधाधुंध नहीं। आइए इस परिवर्तनीय चिल्लाहट के साथ ध्यान लगाकर आगे बढ़ें। मूलतः परिवर्तनीय आध्यात्मिकता, सच्ची आध्यात्मिकता के इन छोटे क्षेत्रों को, अपने प्रयासों को केंद्रित करने दें, और अपने छात्रों को रूपांतरित करने दें। और इन क्षेत्रों को धीरे-धीरे, ध्यानपूर्वक, जिम्मेदारी से, विनम्रतापूर्वक, अपने प्रभाव का प्रसार करना शुरू करने दें, सभी विचारों को एक पूर्ण सहिष्णुता के साथ गले लगाते हुए, लेकिन फिर भी एक सच्ची और प्रामाणिक और अभिन्न आध्यात्मिकता का समर्थन करते हुए - उदाहरण द्वारा, चमक द्वारा, प्रकट मुक्ति द्वारा, अचूक उनमुक्ति द्वारा। परिवर्तन के इन हिस्सों को दुनिया और उसके अनिच्छुक लोगों को हौले से मनाने दें, और उनकी वैधता को चुनौती देने दें, और अपने सीमित अनुवादों को चुनौती देने दें, और वो स्तब्धता जो बड़े पैमाने पर दुनिया को सता रही है, उसके रहते जागृति का मौका दें।

इसे यहीं शुरू होने दें, अभी, हमारे साथ - अपने और मेरे साथ- और अनन्तता में सांस लेने की हमारी वचनबद्धता के साथ, जब तक अकेले अनंतता ही एकमात्र बयान रह जाए जिसे दुनिया पहचान पाए। मौलिक जागरूकता को अपने चहरे से चमकने दें, और अपने ह्रदय से दहाड़ने दें, और अपने मस्तिष्क से गरजने दें - यह साफ तथ्य, स्पष्ट तथ्य : कि आप अपनी वर्तमान जागरूकता की तत्कालीनता में असल में सम्पूर्ण संसार हैं, अपनी सारी ठंडक और बुखार में, अपनी पूरी महिमाओं और कृपाओं में, अपने सम्पूर्ण जीत और आँसुंओं में। आप सूर्य को न देखें, आप ही सूर्य हैं; आप बारिश को न सुनें, आप खुद ही बारिश हैं; आप धरती को महसूस न करें, आप खुद ही धरती हैं। और इस सरल, साफ, अचूक तरीके से, हर क्षेत्र में अनुवाद बंद हो गया है, और आप खुद ब्रह्माण्ड के ह्रदय में ही परिवर्तित हो गए हैं - और वहां, सरलता से, चुपके से, यह सब पूर्ववत हो गया है।

आश्चर्य और पश्चाताप फिर आपके लिए अनजाने हो जाएंगे, और आप और अन्य आप के लिए अनजाने हों जाएंगे, और बाहर और अंदर का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। और उस स्पष्ट सदमे की पहचान में - जहां अपना गुरु मेरी आत्मा है, और वो आत्मा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है और ब्रह्माण्ड मेरी आत्मा है - आप बहुत धीरे इस दुनिया के कोहरे में चलेंगे, और कुछ भी कर के इसे पूरी तरह परिवर्तित कर देंगे।

प्रतिबिंब के लिए बीज प्रश्न: आप इस विचार से क्या समझते हैं कि आप वास्तव में पूरी दुनिया हैं, अपनी सभी जीत और आंसुओं सहित? क्या आप कोई निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब एक परिवर्तनीय चिल्लाहट आपके हृदय से गरजी हो? आपको अपनी परिवर्तनीय चिल्लाहट के साथ सावधानी से चलने में किस चीज़ से मदद मिलती है?

अपनी पुस्तक वन टेस्ट (एक स्वाद) से उद्धरण
 

Excerpt from his book One Taste


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