Moved by Love

Author
Sri M
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Image of the Weekप्यार द्वारा द्रवित होना
-- श्री एम द्वारा लिखित (८ मार्च, २०१७)

हिमालय की पहाड़ियों में सुल्ताना नामक एक कुख्यात डाकू रहता था, जो अमीर श्रद्धालुओं के कारवां और संसाधन-संपन्न मठों को लूटा करता था। कहा जाता है, सुल्ताना का जिक्र मात्र अमीर आदमियॉँ को भय से कंपा देता था। उसकी अनोखी तकनीक यह थी कि वह हमले से पहले अपने आने का सन्देश भेजने के बाद दिन के उजाले में लूटता था।

एक बार, ऐसा हुआ, उसने एक स्वर्ग आश्रम नामक मठ के मठाधीश, बाबा कलिकांबलीवाला, को सन्देश भेजा कि वह अपने गिरोह के साथ आश्रम पर पहुंच कर एक नियुक्त समय पर उनका खजाना लूटेगा। मठ के सभी सदस्य डर से भर गये। बाबा को छोड़कर सभी। उन्होंने सुल्ताना और उसके गिरोह के लिए एक बड़ा भोज तैयार करवाया और अपनी झोपड़ी के बरामदे पर उसके लिए इंतजार करने लगे।

डाकू अपने गिरोह के छः सदस्यों के साथ तलवारें और बंदूकें लेकर आया। जैसे ही वह अपने घोड़े से नीचे उतरा, बाबा कलिकांबलीवाला उसकी ओर बढ़े और उन्होंने उसका स्वागत किया। उन्होंने उसे और उसके गिरोह को बरामदे में बैठकर पानी पीने और आराम करने के लिए आमंत्रित किया।

फिर उन्होंने खजाने की चाबी उसे सौंप दी और कहा, "तुम्हें जो चाहिए, वो ले जाओ, लेकिन मैं हिंसा और रक्तपात नहीं चाहता। यदि तुम्हें इस बीच किसी को मारने की इच्छा हो तो बाकी सब को छोड़ देना और उसकी बजाए मुझे मार देना। मेरे लिए जीवन और मृत्यु एक से हैं। इस क्षेत्र के पुलिस प्रमुख हमारे मठ समुदाय के एक सदस्य हैं। मैं उनकी मदद मांग सकता था लेकिन फिर यहाँ हिंसा हो जाती, और जानें खो दी जातीं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता।

"तुम्हें तिज़ोरी से जो चाहिए, जब वो तुम ले चुको, तो तुरंत चले मत जाना। मैंने तुम्हारे लिए एक दावत की व्यवस्था की है। तुम और तुम्हारे दोस्त दोपहर का भोजन खाओ, यदि तुम लोग थक गए हो तो कुछ देर आराम कर लो, और फिर अपने रास्ते पर जाओ। मुझे तुम से या किसी भी अन्य जीवित प्राणी से कोई दुश्मनी नहीं है। अब, जो तुम्हे ठीक लगे, वो करो।”

कहते हैं, जिनका कभी ऐसे व्यक्ति से पला नहीं पड़ा था, उन लुटेरों ने सर झुकाया, माफ़ी मांगी, और तिजोरी को लूटने की बजाए, उसमें सोने के कुछ सिक्के डाले, और मठाधीश को शानदार भोजन के लिए धन्यवाद दिया, और वहां से चले गए।

विचार के लिए कुछ प्रश्न: हिंसक इरादों को प्यार के साथ निबटने की इस कहानी से आप क्या समझते हैं? क्या आप कोई निजी अनुभव बाँट सकते हैं जब आपने प्यार के सामने हिंसा को पिघलते देखा हो? हिंसा के सामने प्यार में निहित रहने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

श्री एम द्वारा लिखित “एक हिमालय के गुरु से प्रशिक्षण” कुछ अंश
 

Excerpted from Apprenticed to a Himalayan Master by Sri M.


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