Destiny is Within Us

Author
Hawah Kasat
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Image of the Weekभाग्य हमारे भीतर है
-- हावा कसत(१९ अक्टूबर, २०१६)

मुझे याद है मैं एक दिन बस स्टाप तक चलकर पहुंचा। मेरी ठोड़ी तक पसीना टपक रहा था, और एक ब्लॉक दूर से बस स्टाप के लोहे के धुंधले बोर्ड पर मेरी नज़र थी। मैंने शरीरों का एक असंगठित झुण्ड देखा। कुछ लकड़ी के बेंच पर, स्टाप के धुंधले प्लास्टिक में से टकटकी लगाए बैठे थे। मैंने अपनी घड़ी को देखा और पाया है कि मैं समय से पहले पहुंच गया था। बस अभी कम से कम पांच मिनट के लिए नहीं आने वाली थी।

उस पल में, मैंने अपने पीछे बड़े टायरों के चलने की आवाज़ सुनी, क्लच के ज़ोर से दबाने की आवाज़, टायरों के गड्ढे में धंसने के कारण खिड़कियों के खड़कने की आवाज़। मैंने तुरंत पीछे सिर घुमाया और बस को आते देखा। उसे धीमा करने के लिए कोई ट्रैफिक नहीं था। मैं करीब एक ब्लॉक दूर था और दो दुर्भाग्यपूर्ण विकल्पों के बीच फंसा था।

पहला विकल्प था वहीं खड़े रहना और अपने भाग्य को ब्रह्मांड पर समर्पित कर देना। मैं अपने आप से दोहरा सकता था, "ओह, चलो।शायद ब्रह्मांड नहीं चाहता था कि आज मैं यह बस पकड़ सकूँ," और फिर वो घिसा-पिटा मुहावरा उगल देता, “शायद आज ऐसा होना लिखा ही नहीं था।”

मेरे सामने दूसरा विकल्प यह था कि मैं अपना बैग उठाऊँ और उसे कुछ कस के पकड़ लूँ, और उस ब्लॉक पर दौड़ लगा दूँ। इस विकल्प की कोई गारंटी नहीं थी कि मैं बस ज़रूर पकड़ पाऊंगा, लेकिन, यह विकल्प मेरी स्वतंत्र इच्छा का इस्तेमाल करेगा ताकि उसे मायूसी के धुऐं में सांस न लेनी पड़े।

चुनावों पर चिंतन करना कभी कभी किसी भी दिन का सबसे कठिन हिस्सा होता है। ब्रह्मांड ने निश्चित रूप से कुछ संदर्भ दिया है कि उसने मेरे लिए उस बस को पकड़ना कुछ मुश्किल बना दिया, लेकिन फ़िर भी, मैं इस स्थिति को बदलने के लिए कुछ कर सकता था। यकीन है, कि बस तय समय से पहले आ गयी थी, लेकिन मेरी प्रतिक्रिया वो थी जो मेरे नियंत्रण में था और जो मेरे योगाभ्यास ने मुझे सिखाया है। मेरी प्रतिक्रिया उसे ब्रह्मांड पर आरोपित करना हो सकती थी, उस जाल में फंसने की कि, “ "मुझे लगता है कि यह होने ही नहीं वाला था।” या फिर रफ़्तार पकड़ो और दौड़ लगाना शुरू करो।

जीवन के प्रत्येक क्षण में, हम आने वाले क्षणों की एक श्रृंखला की शुरुआत करते हैं जो अंतत: हमारे भविष्य को आकार देंगे। यह मेरा चुनाव है कि या तो मैं अपने भाग्य को ब्रह्मांड के भरोसे छोड़ दूँ या अपनी जागरूकता को स्थानांतरित करने का निर्णय लूँ और इस ज्ञान को गले लगाऊं कि मैं ही ब्रह्मांड हूँ। जब ऐसा होता है, तो पहले जिसके लिए हम किसी बाहर की चीज़ या "नियति" को दोषी ठहरा रहे थे, उसे हम वास्तव में कुछ हमारे भीतर होने जैसा समझते हैं।

यह चुनाव मेरा है। यह चुनाव आपका है। यह चुनाव हमारा है।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप इस बात से क्या समझते हैं कि भाग्य हमारे अंदर ही है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आप अपनी जागरूकता को बाहरी परिस्थितियों से आंतरिक चुनाव पर स्थानांतरित कर पाए हों? ऐसी जागरूकता बनाने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

हावा कसत द्वारा लिखित, “आपके भाग्य की राह” से उद्धृत।
 

Excerpted from "Your Path to Destiny" by Hawah Kasat.


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