The Trick is to Keep Seeing

Author
Pema Chodron
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ध्यान रखने की बात है कि हम देखते रहें
पेमा चौडरन (९ दिसंबर, २०१५)


(तिब्बती शब्द शेंपा) का अनुवाद आमतौर पर “लगाव” किया जाता है, लेकिन इसका और भी वर्णनात्मक अनुवाद शायद होगा “फंसना”। जब शेंपा हमें फंसा लेता है, तब मुमकिन है कि हम अटक जाएंगे। हम शेंपा को वो “ चिपचिपाहट का अनुभव” भी कह सकते हैं। यह एक रोज़मर्रा का अनुभव है। यहां तक ​​कि तुम्हारे स्वेटर पर लगा एक धब्बा भी तुम्हें वहां पहुंचा सकता है। सूक्ष्मतम स्तर पर, हम एक जकड़न ,एक खिचन, बंद होने का अनुभव करते हैं। फिर हम दूर हटने और जहां हम हैं वहां न रहने की इच्छा करते हैं । वही फंसने की विशेषता है। उस खिंचन के अनुभव में हमें आत्म-निंदा, दोष, क्रोध, ईर्ष्या और दूसरी भावनाओं में पहुँचाने की शक्ति है, जो फिर हमें ऐसे शब्दों और कामों की और ले जाते हैं जो अंत में हम में जहर भर देते हैं ।

[...]

शेंपा के साथ अभ्यास में, पहले हम उसे पहचानने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने की सबसे अच्छी जगह है ध्यान करने का आसन। बैठ कर ध्यान करना हमें सिखाता है कि जो कुछ भी मन में उठ रहा है, बिना चुने उसके लिए अपने आप को कैसे खुला और ढीला छोड़ दें। यह हमें उस बेचैनी और तीव्र इच्छा को पूरी तरह से अनुभव करना, और जो वेग आमतौर पर उसके बाद उठता है, उसे रोकना सिखाता है। यह हम विचारों के पीछे न जाकर और वापस वर्तमान क्षण में लौट आने से करते हैं। हम उस बेचैनी, कसन और शेंपा की इच्छा के साथ रहना सीखते हैं। हम खुजलाने की इच्छा के साथ स्थिरता से बैठना सीखते हैं। यही वो तरीका है जिससे हम आदतन होने वाली हरकतों को एक के बाद एक होने से रोक सकते हैं, जो नहीं तो हमारे जीवन पर हावी हो जाएंगी। यह वो तरीका है जिससे हम बार-बार होने वाली हरकतों को कमज़ोर कर सकते है जो हमें बेआरामी में अटका देती हैं, जिसे हम गलती से आराम समझते हैं। इसमें से जो उभर कर आता है, हम उसे “सोचने” का नाम देते है और वापिस वर्तमान क्षण में लौट आते हैं।

[...]

हम इस पूरी प्रक्रिया के बारे में चार आर (र) के रूप में सोच सकते हैं: शेंपा को पहचानना (recognizing), खुजली करने से अपने को रोकना (refraining), खुजलाने की अंतर्निहित इच्छा में अपने आप को ढीला छोड़ देना (relaxing), और फ़िर पूरे जीवन अपने ऐसे आदतन होने वाले कामों को रोकते रहने का प्रण (resolving) करना। जब आप आदतन होने वाली बात नहीं करते तो आप क्या करते हैं? आपमें सिर्फ वह इच्छा रह जाती है। इसी तरह आप उस प्रबल इच्छा को ठीक से पहचान पाते है और उससे दूर हटने की चाह करते हैं। आप उसके साथ तनाव रहित होना सीखते हैं। फ़िर आप इसी तरह अभ्यास करते रहने का प्राण करते हैं।

शेंपा के साथ काम करते रहना हमें कोमल बनाता है। एक बार जब हम देख पाते हैं कि हम कैसे अटक जाते हैं और कैसे हम वेग के साथ बह जाते हैं, तो हमारे पास अभिमान करने का कोई कारणनहीं रह जाता। ध्यान करने की चीज़ है कि हम देखते रहें। कोमलता और विनम्रता को आत्म-निंदा में मत बदलने दो। वो एक और फंदा है। क्योंकि हम ये सारी आदतन होने वाली स्थिति को इतने लम्बे समय से मज़बूत बना रहे हैं, हम ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो रातों-रात खत्म हो जाएगी। ये एक बार में हो जाने वाला सौदा नहीं है। इसे पहचानने में प्रेमभरी-दया (loving-kindness) की ज़रूरत पड़ती है; खुद को दूर रखने के लिए अभ्यास की ज़रूरत पड़ती है; तनाव रहित रहने के लिए उसका इच्छुक होने की ज़रूरत पड़ती है; इस तरह तैयार होने के लिए दृढ़ संकल्प की ज़रूरत पड़ती है। यह याद रखना अच्छा है कि हमें असंख्य किस्म की बेचैनी और असंख्य किस्म की खुजली भी होगी, लेकिन इन सब का केवल एक मूल शेंपा है - अहंकार से चिपके रहना।

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आपने अपने खुद के जीवन और ध्यान अभ्यास में शेंपा के साथ कैसे काम किया है? क्या कोई स्मरणीय उदाहरण आपके दिमाग में आते है? आप चुनौतियों में से कैसे उबरते हैं और देखते रहने पर जुटे रहते है और राह पर अडिग रहते हैं?

पेमा चोडरन व्यापक रूप से पश्चिमी लोगों के लिए तिब्बती बौद्ध धर्म की अकाट्य और साधारण लगने वाली व्याख्या करने के लिए जानी जाती हैं।

पेमा चोडरन ने ध्यान गुरु चोग्यम त्रुन्ग्पा रिनपोछे के अधीन अध्ययन किया है और अब गम्पो एबी, नोवा स्कोशिया, पश्चिमी देशों के पहले तिबतन मठ की निवासी शिक्षक हैं । यह लेख उनके एक लम्बे लेख में से लिया गया है।
 

Pema Chödrön is widely known for her compelling and down-to-earth interpretation of Tibetan Buddhism for Western audiences.
Pema studied under the meditation master Chö​gyam Trungpa Rinpoche and is now the resident teacher at Gampo Abbey, Nova Scotia, the first Tibetan monastery for Westerners. The passage above comes from a longer article.


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