Right Away is the Opposite of Now

Author
Jacob Needleman
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तुरंत अभी का विपरीत है
-- जेकब नीडलमैन (१४ सितंबर, २०१६)

कुछ साल पहले, मैं एक अच्छे दोस्त और एक ज्ञानी तिब्बती विद्वान के साथ सैन फ्रांसिस्को शहर में घूम रहा था। मैं उनसे कैसे तिब्बतियों मानवीय स्थिति की विशिष्टता को अभिव्यक्त करने का जो एक बहुत ख़ास तरीका इस्तेमाल करते हैं, उसके बारे में पूछा। कल्पना कीजिए, वे कहते हैं, कि विशाल सागर की गहराई में एक महान और प्राचीन कछुआ तैरता है जो हर सौ साल में सांस लेने के लिए एक बार सतह पर आता है। आगे कल्पना कीजिए कि सागर में कहीं न कहीं एक बैल का सांकल तैर रहा है जो अनियमित लहरों और धाराओं से यहाँ और वहाँ हिलता-डुलता रहता है। क्या संभावना है कि जब वह कछुआ सतह पर आएगा, तो उसका सिर ठीक उस बैल की सांकल के बीच से उभरेगा ? इतना ही असाधारण है एक इंसान के रूप में जन्म ले पाना।

हमारी बातचीत के बीच में, मैंने पुरुषों और महिलाओं की जो भीड़ सड़क पर हमारे सामने दौड़ती जा रही थी, उसकी ओर इस तरह इशारा किया, कि न केवल ये बल्कि वो सब हज़ारों और लाखों लोग जो दुनिया में चारों ऒर भाग रहे हैं। "मुझे बताओ, लोबसांग," मैंने कहा, "अगर एक इंसान का जन्म पाना इतना दुर्लभ है तो इस दुनिया में इतने सारे लोग क्यों हैं ?

मेरे दोस्त ने अपनी गति धीमी कर दी और फिर रुक गए। वो एक पल के लिए रुके, मेरे सवाल को जज़्ब किया। मुझे याद है कि अचानक जैसे पहली बार मैं अपने चारों ओर चलते ट्रैफिक का ऊँचा और उत्तेजित शोर सुन पाया था। उनहोंने मेरी ओर देखा और बहुत शांत भाव से कहा, "तुम कितने मनुष्यों को देख रहे हो?"

सहसा, मुझे उस कहानी और विचार का अभिप्राय समझ में आ गया। जिन लोगों को मैं देख रहा था उनमें से अधिकांश, जिस अपनी भीतरी अवस्था में वे इस समय में थे, वास्तव में इंसान थे ही नहीं। अधिकांश वो थे जिन्हें तिब्बती "प्रेत” “(हंगरी गोस्ट)” कहते हैं। वे वास्तव में जीवित थे ही नहीं। वे वास्तव में “वहां” उपस्थित नहीं थे। वे “व्यस्त” थे, वे “जल्दी में” थे। वे - हम सब की तरह - काम को “तुरंत” करने के जुनून में थे। लेकिन “तुरंत” “अभी” का विपरीत है -- जिए हुए वर्तमान पल से विपरीत जिसमें समय गुज़ारना हमें अब आतंकित नहीं करता। प्रेत (हंगरी गोस्ट्स) “और” समय के भूखे रहते हैं; लेकिन हम प्रेतों (हंगरी गोस्ट्स) को जितना समय मिलता है, जितना समय हम “बचाते” हैं, उतने ही और भूखे हम हो जाते हैं, उतना ही कम हम असल में “जीते” है। और मैं समझ गया कि जिसके लिए हम लालायित हैं, वो वास्तव में अधिक समय, अधिक दिन और साल नहीं हैं, वो यह वर्तमान क्षण है।

व्यस्तता में हमारी बढ़ती हुए तन्मयता के माध्यम से, हमारे पास वर्तमान क्षण है। "तुरंत" वर्तमान क्षण नहीं है। कैसा जहरीला भ्रम है!

विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: आप इस बात से क्या समझते हैं कि “तुरंत” “अभी” का विपरीत है? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब आपको “तुरंत” से हटकर “अभी” में प्रवेश करने की ज़रूरत का अहसास हुआ हो? खुद को प्रेत (हंगरी गोस्ट) बनने से बचने के लिए आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?

जेकब नीडलमैन की पुस्तक "समय और आत्मा" (“टाइम एंड द सोल”) के कुछ अंश।
 

excerpted from Jacob Needleman's book "Time and the Soul"


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