
पांच प्रार्थनाएं
--टिक नाट हान (२८ दिसंबर, २०१६)
आभार में, मैं अपने खून के रिश्ते के पूर्वजों की सभी पीढ़ियों को प्रणाम करता हूँ।
मैं अपनी माँ और पिता को देखता हूँ , जिनका रक्त, मांस, और जीवन शक्ति मेरी अपनी रगों में संचारित हो रहा है और मेरी हर कोशिका को पोषित कर रहा है। उनके माध्यम से मैं अपने दादा-दादी और नाना-नानी को देखता हूँ। मैंने अपने अंदर हर पीढ़ी के जीवन, रक्त, अनुभव, ज्ञान, सुख, और दु:ख रखे हुए हैं। मैं अपने मन, मांस और हड्डियों को खोलकर अपने पूर्वजों द्वारा संचारित अंतर्दृष्टि, प्यार और अनुभव की ऊर्जा को ग्रहण करता हूँ। मुझे मालूम है कि माता-पिता हमेशा अपने बच्चों और नाती-पोतों को प्यार करते हैं और उनका पालन-पोषण करते हैं, हालांकि जिन कठिनाइयों का वो सामना करते हैं , उनकी वजह से वे यह व्यक्त करने में सक्षम नहीं हो पाते। अपने पूर्वजों की एक निरंतरता के रूप में, मैं उनकी ऊर्जा को अपने अंदर प्रवाहित होने देता हूँ, और उनसे पोषण, सुरक्षा, और शक्ति की प्रार्थना करता हूँ।
आभार में, मैं अपने आध्यात्मिक परिवार के पूर्वजों की सभी पीढ़ियों को प्रणाम करता हूँ।
मैं अपने अंदर अपने गुरुओं को देखता हूँ, जो मुझे प्यार और समझ का रास्ता दिखाते हैं, जो साँस लेने, मुस्कुराने, माफ कर देने , और वर्तमान क्षण में गहराई से जीते रहने का तरीका सिखाते हैं। मैं बुद्ध या मसीह या कुलपिताओं और कुलमाताओं को अपने गुरुओं, और अपने आध्यात्मिक पूर्वजों के रूप में भी देखता हूँ। {...} मैं उन प्रबुद्ध जीवों से उस ज्ञान, मेत्ता, और संरक्षन की ऊर्जा , उनकी सीखें, और बहुत सी पीढ़ियों की साधना के समूह को पाने के लिए अपने मन और शरीर को खोलता हूँ। मैं अपने अंदर की और संसार की पीड़ा को बदलने, और उनकी ऊर्जा को भविष्य के साधकों की पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रण लेता हूँ। मेरे आध्यात्मिक पूर्वजों की शायद अपनी कठिनाइयों रही होंगी और शायद वो हमेशा उन शिक्षाओं को संचारित करने में सक्षम न हो पाए हों, लेकिन मैं उन्हें वैसे ही स्वीकार करता हूँ जैसे वो हैं।
आभार में, मैं इस भूमि और उन सब पूर्वजों को जिन्होंने हमें यह उपलब्ध कराया, प्रणाम करता हूँ।
मैं देखता हूँ कि मैं सम्पूर्ण, संरक्षित हूँ, और इस भूमि और उन सब जीवों द्वारा, जो यहां रह चुके हैं और जिन्होंने जीवन को सार्थक बनाया और अपने सभी प्रयासों के माध्यम से मेरे लिए सम्भव बनाया, मैं पोषित हूँ। मैं चीफ सिएटल, थॉमस जेफरसन, डोरोथी डे, सीजर शावेज, मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, और अन्य सभी ज्ञात और अज्ञात लोगों को देखता हूँ। मैं उन्हें देखता हूँ जिन्होंने स्कूलों, अस्पतालों, पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए, मानव अधिकारों की रक्षा के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए, और स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने के लिए मेहनत की है। मैं खुद को अपने अमरीकी मूल प्रजाति के पूर्वजों को छूते देखता हूँ जो इस भूमि पर एक लंबे समय से रह रहे हैं और जो प्रकृति के साथ शांति और सद्भाव से रहना जानते हैं, इन पहाड़ों, जंगलों, जानवरों, पेड़-पौधों और इस देश के खनिजों की रक्षा करते आए हैं। मैं इस भूमि की ऊर्जा को अपने शरीर और आत्मा में व्याप्त होते महसूस करता हूँ, जो मेरा भरण-पोषण करते हैं और मुझे स्वीकार करते हैं। मैं इस ऊर्जा को विकसित करने और बनाए रखने और उसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रसारित करने का प्रण लेता हूँ। मैं उस हिंसा, घृणा और भ्रम जो अभी भी इस समाज की चेतना में गहराई से बैठे हैं, उन्हें बदलने में अपना योगदान देने का प्रण लेता हूँ ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए और अधिक सुरक्षा, सुख और शांति हो। मैं इस धरती से संरक्षण और पोषण की प्रार्थना करता हूँ।
आभार और करुणा में, मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ और उन्हें अपनी ऊर्जा भेजता हूँ जिन्हें मैं प्यार करता हूँ।
जो सब ऊर्जा मुझे मिली है मैं अब उसे अपने पिता, अपनी माँ, सब लोगों को प्रसारित करना चाहता हूँ, जिन्हें मैं प्यार करता हूँ और जिन्होंने मेरी वजह से और मेरे लिए परेशानी पाई है। मैं जानता हूँ मैं अपने दैनिक जीवन में पर्याप्त तरीके से जागरूक नहीं रहा हूँ। मुझे यह भी पता है कि जो लोग मुझे प्यार करते हैं उन्हें अपनी परेशानियां भी थीं। उन्हें दुःख उठाना पड़ा क्योंकि वे उतने भाग्यशाली नहीं थे कि उन्हें ऐसा वातावरण मिला हो जो उनके पूर्ण विकास को बढ़ावा देता। [...] मैं चाहता हूँ कि वो सभी स्वस्थ और खुश-हाल हों। मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरे खून के रिश्तों और आध्यात्मिक परिवारों के सभी पूर्वज उनमें से प्रत्येक की ओर उनकी रक्षा करने और उन्हें सहारा देने के लिए अपनी ऊर्जा को केंद्रित करें। जिन्हें मैं प्यार करता हूँ मैं उन के साथ एक हूँ।
उदारता और करुणा में, जिन लोगों ने मुझे दुःख दिया है उन सब के साथ समझौता करने के लिए मैं सिर झुकता हूँ।
मैं अपना मन खोलता हूँ और अपने प्यार और उदारता की ऊर्जा को उन सब की ओर भेजता हूँ जिन्होंने मुझे दुःख दिया है, जिन्होंने मेरा और जिन्हें मैं प्यार करता हूँ, उनका ज़्यादातर जीवन बर्बाद कर दिया है। अब मुझे पता है कि इन लोगों ने खुद बहुत से दुख पाए हैं और उनके मन दर्द, क्रोध, और घृणा से भरे हुए हैं। [...] मैं प्रार्थना करता हूँ कि वे जीवन के सुख का अनुभव करने के लिए रूपांतरित हो जाएं, ताकि वे खुद को और दूसरों को दुःख न देते रहें। मैं उनकी पीड़ा को देख सकता हूँ और अपने आप में उन की ओर घृणा या क्रोध की कोई भी भावना नहीं रखना चाहता। मैं नहीं चाहता कि वो दुःख पाएं। मैं अपने प्यार और उदारता की ऊर्जा को उनकी ओर प्रवाहित करना चाहता हूँ और अपने सभी पूर्वजों से उन्हें मदद करने की प्रार्थना करता हूँ।
विचार के लिए कुछ मूल प्रश्न: ये पांच प्रार्थनाएं आपके मन में क्या लाती हैं? क्या आप कोई व्यक्तिगत अनुभव बाँट सकते हैं जब किसी प्रार्थना ने आपको गहराई से छुआ हो? सब की ओर आभार का भाव पैदा करने में आपको किस चीज़ से मदद मिलती है?
टिक नाट हान द्वारा लिखित “द फाइव अर्थ टचिंग्स” के कुछ अंश।
On Dec 29, 2016 Jagdish P Dave wrote :
Prayers open up my heart to receive blessings from others that include my ancestors, my parents, my other family members, friends, teachers and even those who have hurt me. I have learned priceless life lessons from such a wide circle of people in my life. And how can I forget blessings that I receive everyday from nature? I feel deeply grateful to all of them for taking care of me, loving me, and teaching me how to live and be connected.
[Hide Full Comment]There have been two difficult things for me to be grateful for. One: When I have acted selfishly and expected somebody to fulfill my needs and when my needs are not taken care of ,I find fault with them. I have learned to thank them for making me more mindful of my role in causing hurt and disappointment me. I am thankful to them for showing my own limitation and for maintaining connection with that person and for working on me. Second: To forgive someone for causing hurt in me. This is very essential for me for learning to let go and ease and heal my suffering.
May we all be grateful for the blessings we have received from many in ourl ives and thank them!
Namaste.
Jagdish P Dave
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