[These transcripts, as with all aspects of Awakin Calls, are created as a labor of love by an all-volunteer team located around the world. They are a collective offering, born from a shared practice of deep listening and service. Diverse and spontaneous teams emerge week to week to create and offer these calls. See our organizing principles here. Listeners are invited to join our co-creative community here.]
7 जून को गरà¥à¤— परिवार - आरती, गोपाल व उनकी 9-वरà¥à¤·à¥€à¤¯ बेटी ओजसà¥à¤µà¥€ हमारे साथ 'अवेकिन टॉकà¥à¤¸' पर जà¥à¥œà¥‡à¥¤ इस परिवार ने हाल ही में 3,400 कि।मी। लमà¥à¤¬à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी की पैदल परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ संपनà¥à¤¨ की है। जैसा की राहà¥à¤², हमारे सूतà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° ने बखूब कहा, किसी à¤à¤• नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ यातà¥à¤°à¥€ से मिलना, à¤à¤• दà¥à¤°à¥à¤²à¤ घटना होती है - और हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही है की इस संवाद में हमे चार-चार यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से गहराई से रूबरू होने का अवसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾ है की नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी 40,000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€, à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® नदियों में से à¤à¤• है - कई हिमालय की नदियों से à¤à¥€ अधिक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नदियों को à¤à¤• à¤à¤—वान या देवी का रूप में देखने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ à¤à¥€ काफी सà¥à¤²à¤ है और नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी को à¤à¥€ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤µà¤¾à¤¸à¥€ à¤à¤• दिवà¥à¤¯ माता की तरह देखते हैं। कम से कम पिछले 7,000 सालों से नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ मैया कई à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚, शरणागतों, साधकों à¤à¤µà¤‚ खोजिओं को अपनी ओर आकृषà¥à¤Ÿ करती चली आ रही है। अमरकंटक या ओमà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° से आमतौर पर ये यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है, और पैदल चलते-चलते यातà¥à¤°à¥€ नदी की पूरी लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ दोनों ओर से तय करते हैं।
कम-से-कम सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं के साथ इस कदà¥à¤° यूठ4-5 महीने चलते रहना, सारे रोज़मरà¥à¤°à¤¾ के शहरी आराम तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर। अपनी बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ ज़रूरतें - जैसे की à¤à¥‹à¤œà¤¨, सोने के लिठछत इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के लिठ‘गरीब’ गांववालों पर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ हो जाना। कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता है आम इंसानो को à¤à¤¸à¤¾ करने के लिà¤? और कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ता है à¤à¤¸à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ का इन परिकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤µà¤¾à¤¸à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ पर?
मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ आà¤à¤¾à¤° है गरà¥à¤— परिवार का जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला à¤à¤µà¤‚ हमारी सखी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤µà¤¾à¤¸à¥€ तृपà¥à¤¤à¤¿ पंडà¥à¤¯à¤¾ का, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस इंटरवà¥à¤¯à¥‚ का बड़ी की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ से संचालन किया। पेश कर रहे है हम, इस संवाद का à¤à¤• लिखित सारांश-
तृपà¥à¤¤à¤¿ - परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पर जाने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ आप को कैसे हà¥à¤ˆ?
गोपाल - जब हमने ये निशà¥à¤šà¤¯ किया था, वो पल याद आ रहे हैं। परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पर निकलने के तीन साल पहले से à¤à¤¸à¤¾ विचार था, की à¤à¤¸à¥€ कोई यातà¥à¤°à¤¾ पर जाऊ, जहा असली ”'à¤à¤¾à¤°à¤¤” से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ का मौका मिले। इचà¥à¤›à¤¾ थी गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤“ के साथ रहूà¤, और समà¤à¥‚ठअसली à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¥à¤¯à¤¾ है। à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था की हम तो शहरों के “इंडिया” में रहते हैं, जिसका शायद असली “à¤à¤¾à¤°à¤¤” से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तालà¥à¤•à¤¾à¤¤ नही है। पैदल चलूà¤, तो मन की गति à¤à¥€ कà¥à¤› धीमी हो, जो की साधना में à¤à¤µà¤‚ जीवन को गहराई से समà¤à¤¨à¥‡ के लिठबहà¥à¤¤ सहायक रहती है। à¤à¤¸à¤¾ चाहता था की सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के साथ थोड़ा समय मिल सके।
तीन वरà¥à¤· पहले, सà¥à¤˜à¥œ (अहमदाबाद) में समावेश पर आधारित शिविर (inclusion retreat) के दौरान 'नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾' à¤à¤¸à¤¾ शबà¥à¤¦ पहली बार सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ पर तà¥à¤°à¤‚त लगा की ये तो करनी चाहिà¤à¥¤ सही कहूठतो कोई नई चीज लगी ही नहीं। कोई पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रिशà¥à¤¤à¤¾ था मानो जैसे। à¤à¤• सोई हà¥à¤ˆ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ जाग उठी।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - कई बार कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® à¤à¤µà¤‚ साधना की बातें हमें आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती है, पर हम à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठरख देते हैं, रिटायरमेंट के बाद के लिठछोड़ देते हैं। आप को कैसे पता चला, की यह सही समय था?
गोपाल - जरूर यह मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² निरà¥à¤£à¤¯ था हमारे लिà¤à¥¤ परनà¥à¤¤à¥ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ इतनी अधिक थी, की à¤à¤• वकà¥à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ आया की मैंने ठान लिया “अब तो यह यातà¥à¤°à¤¾ करनी ही है”। मन में à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¾à¤µ आया। à¤à¤• गहरी अंदरूनी पà¥à¤•à¤¾à¤° थी वो, शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ज़ाहिर करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। "दीपावली के अगले दिन मà¥à¤à¥‡ अपना बसà¥à¤¤à¤¾ उठाकर निकल जाना है।" पहले सोचा था अकेला जाऊà¤à¤—ा। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी की कृपा से कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ संयोग बना की हम सब à¤à¤• परिवार की तरह यह यातà¥à¤°à¤¾ ले सके। अपनी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• साधना को à¤à¥€ उसके लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देता हूà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की आम तौर पर हमारे मन में इतना कोलाहल होता है, की हम अपनी अंदरूनी पà¥à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤¨ ही नहीं पाते। मेरे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और मौन के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के कारण मà¥à¤à¥‡ लगता है मै वह पà¥à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤¨ पाया। फिर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ मैया की कृपा तो थी ही, उस के बिना à¤à¤¸à¤¾ संयोग हो पाना बड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - गोपाल आप को यातà¥à¤°à¤¾ का विचार आया था, फिर इस में परिवार आप का कैसे जà¥à¥œà¤¾? जैसे आप साथ चले, कà¥à¤¯à¤¾ आप के परसà¥à¤ªà¤° समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ में कà¥à¤› बदलाव आया?
गोपाल - पिछले साल मै और आरती काफी असमंजस में थे -- कà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤à¥‡ अकेले जाना चाहिठया आरती और ओजसà¥à¤µà¥€ à¤à¥€ साथ आà¤? आरती और मà¥à¤à¥‡ परà¥à¤µà¤¤à¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤£ का बहà¥à¤¤ शौक और अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ है -- कैलाश मानसरोवर, सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ारोहिणी इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ हम साथ जा चà¥à¤•à¥‡ है। तो हमने निशà¥à¤šà¤¯ किया की आरती को तो ज़रूर साथ आना चाहिà¤à¥¤ रिशà¥à¤¤à¤¾ और à¤à¥€ गहरा होता है जब साथ में à¤à¤¸à¥€ चीज़ करें। फिर सोचा, ओजसà¥à¤µà¥€ à¤à¥€ तो हमारा ही हिसà¥à¤¸à¤¾ है, उसे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ छोड़े? उसे हमने इंटरनेट से परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के कà¥à¤› वीडियो दिखाये - जैसे की à¤à¤• 7 साल की लड़की ने à¤à¤¸à¥€ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की थी। उसे à¤à¥€ काफी उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ हà¥à¤† यह देख कर, फिर हम ने निरà¥à¤£à¤¯ किया की हम तीनों à¤à¤• साथ जायेंगे। अब आज लौटने का बाद अगर हम कà¥à¤› इस विषय में, इस à¤à¤¾à¤µ में बात करते है, तो तीनों के मन में सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ सामान होता है। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾, अगर मैंने ये अकेले किया होता, तो à¤à¤• दूसरे को हमारा दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ समà¤à¤¨à¥‡ में और à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² आ सकती थी। मैंने पाया की परिवार को जोड़ने के लिठयह बहà¥à¤¤ कारगर हà¥à¤†à¥¤ हम ने हमेशा कोशिश की है, की ओजसà¥à¤µà¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ केवल किताबी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की अपेकà¥à¤·à¤¾, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• जीवन से हो, तो उस दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से à¤à¥€ यह बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ रहा।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - ओजसà¥à¤µà¥€, हमने सà¥à¤¨à¤¾ है की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में आपको सà¥à¤•à¥‚ल छोड़ ने का मन नहीं था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की उस वकà¥à¤¤ आने वाले वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ (सालाना जलसे) में आप का à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ किरदार था।
ओजसà¥à¤µà¥€ - नदी की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ सà¥à¤¨ कर उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो गई, सà¥à¤µà¤°à¤¾ और तृपà¥à¤¤à¤¿ दीदी से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिली की पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का इतना सौंदरà¥à¤¯ है। गांव का, किसानो और उन के खेतो के बीच होने का à¤à¤• नया अनà¥à¤à¤µ मिलेगा ? नायाब अनà¥à¤à¤µ मिलेंगे, नदी के किनारे चलूंगी। इस लिठमैंने जाने का मन बनाया। जब लौटी तो सà¥à¤•à¥‚ल के मेरे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने कहा “तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ फीलà¥à¤¡ टà¥à¤°à¥€à¤ª तो सब से शानदार हो गई।”
तृपà¥à¤¤à¤¿ - कोई à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤à¤µ आप बाà¤à¤Ÿà¤¨à¤¾ चाहेंगी इस यातà¥à¤°à¤¾ से, जब किताब का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अनà¥à¤à¤µ पर उतर आया हो?
ओजसà¥à¤µà¥€ - हा, à¤à¤• दिन गाà¤à¤µ के बीच से हम गà¥à¥›à¤° रहे थे। तीन लड़कियाठबालà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ लिà¤, कà¥à¤à¤ की तरफ जा रही थी, और मै पूछ पड़ी - "दीदी कà¥à¤¯à¤¾ मैं कà¥à¤à¤ से पानी निकाल सकती हूà¤?" उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हà¤à¤¸à¤•à¤° मà¥à¤à¥‡ साथ जोड़ लिया। जब मैंने कà¥à¤à¤ से पानी निकालने की कोशिश की तो वो बालà¥à¤Ÿà¥€ बहà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¥€ थी, मेरे हाथ से ही छूट गई। कोशिश करते-करते आखिरकार मैं समठगई और कामयाब हà¥à¤ˆà¥¤ इतना ही नहीं वो सà¤à¥€ दीदियों से मेरी दोसà¥à¤¤à¥€ à¤à¥€ हो गई। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ अपने घर बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾, और कटोरा à¤à¤° कर ताज़े मटर की सबà¥à¤œà¥€ खिलाई।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - लगता है यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान तà¥à¤®à¤¨à¥‡ बहà¥à¤¤ दोसà¥à¤¤ बनाà¤, अनà¥à¤œà¤¾à¤¨ लोगों के घरों पर à¤à¥€ गयी। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ डर नहीं लगा?
ओजसà¥à¤µà¥€ - सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ पर मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤° से बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ थे। मà¥à¤à¥‡ अनà¥à¤œà¤¾à¤¨ कम, रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° या करीबी परिवार वालो की तरह लगते थे वह। कोई किसान मà¥à¤à¥‡ खेती के कà¥à¤› गà¥à¤° सीखने बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾, कोई मà¥à¤à¥‡ खाना खिलाने - मै तो खà¥à¤¶à¥€ खà¥à¤¶à¥€ चली जाती थी। ड़र तो à¤à¤¸à¥‡ कà¤à¥€ नहीं लगा।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - आरती, à¤à¤• गृहिणी होते हà¥à¤ आप घर छोड़ के इस अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ पर कैसे निकल पाई? कà¥à¤› विशेष तैयारी करनी पड़ी आप लोगो को?
आरती - ये पूरी की पूरी यातà¥à¤°à¤¾ अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¤à¤¾ से परिपूरà¥à¤£ थी, कब कैसी परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आà¤à¤à¤—ी, कैसी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² आà¤à¤—ी, कैसी मदद आà¤à¤—ी, ये नहीं जोड़ा जा सकता। ख़ास कर के बेटी को लेकर जाना। तैयारियाठहमने 3-4 महीने पहले शà¥à¤°à¥‚ कर दी थी। धैरà¥à¤¯ पूरà¥à¤µà¤• समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ सास-ससà¥à¤° की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पाया।
शारीरिक रूप से à¤à¥€ खà¥à¤¦ को तैयार किया। चार - साà¥à¥‡ चार महीने दो बसà¥à¤¤à¥‡ पर जीना है, सारी सर-से-लेकर-à¤à¥œà¥€ तक कà¥à¤¯à¤¾ बिलà¥à¤•à¥à¤² ज़रूरत की चीजे होनी चाहिà¤, इसका आकलन किया। सà¥à¤µà¤°à¤¾ और आप की यातà¥à¤°à¤¾ के अनà¥à¤à¤µ से बहà¥à¤¤ कà¥à¤› समà¤à¤¾à¥¤ जो कम से कम जरà¥à¤°à¤¤ का सामान हो, वो ही रखे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अगर वजन 200 गà¥à¤°à¤¾à¤® à¤à¥€ बढे तो कंधे पर लटका कर पांच महीने तक अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• वजन लेकर घूमने में बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ नही है। साथ ही साथ कोई बहà¥à¤¤ काम का सामान नहीं लेकर गà¤, तो वह à¤à¥€ à¤à¤• अलग मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। घर की ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ दà¥à¤¸à¤°à¥‹ से आगà¥à¤°à¤¹ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सौंपी।
à¤à¤• माठहोने के नाते ज़ाहिर तौर पर चिंता रहती है बचà¥à¤šà¥€ को सही à¤à¥‹à¤œà¤¨ मिले, घर मिले और सेहत सही रहे। तो चिंता तो थी, पर कोई चमतà¥à¤•à¤¾à¤° से कम नहीं की सबकà¥à¤› बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से हो गया। जैसे à¤à¤• दिन ओजसà¥à¤µà¥€ के पेट में दरà¥à¤¦ हो रहा था। कोई à¤à¤• नेक महिला ने उसी समय अपने घर चाय पर बà¥à¤²à¤¾ लिया। घर में देखा तो चायपतà¥à¤¤à¥€ और दूध दोनों ही नहीं थे उन के पास। तà¥à¤²à¤¸à¥€ के पतà¥à¤¤à¥‡ और अदरक डालकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चाय बनाई, जो की ओजसà¥à¤µà¥€ के पेट दरà¥à¤¦ के लिठबिलकà¥à¤² सटीक साबित हà¥à¤ˆà¥¤ उस दिन यह आà¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤†, की मैं और गोपाल तो बस निमितà¥à¤¤ मातà¥à¤° है, हम से ऊपर à¤à¥€ दिवà¥à¤¯ माता कोई है।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - अदà¥à¤à¥à¤¤! मà¥à¤à¥‡ याद आता है की आपने ओजसà¥à¤µà¥€ को कहा, की माठसे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करो। कà¥à¤¯à¤¾ पता शायद माठने उस महिला को à¤à¥‡à¤œ दिया।
राहà¥à¤²- कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त या पारिवारिक वà¥à¤°à¤¤ आप लोगों ने इस यातà¥à¤°à¤¾ में लिया हो अपनी साधना और मज़बूत बनाने के लिà¤?
गोपाल- यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ करने के पहले 3 नियम लिठ- पैदल ही चलेंगे, सवेरे तीनों पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करके निकलेंगे, सवेरे और शाम में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤œà¥€ की पूजा करेंगे। चलते चलते, गाà¤à¤µ में अनà¥à¤à¤µ के आधार पर 2 नियम और जोड़े । हमने देखा की कई बार à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ होने के कारण लोग à¤à¤• दूसरे की निंदा करते है। तो हमने निरà¥à¤£à¤¯ किया की हम किसी की निंदा नहीं करेंगे, à¤à¤µà¤‚ अगर कोई किसी की निंदा कर à¤à¥€ रहा हो, तो हम उसमे à¤à¤¾à¤—ीदारी नहीं बनेंगे।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - आपने बहà¥à¤¤ कà¥à¤› पà¥à¤¾ इंटरनेट पर इस यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में। असल यातà¥à¤°à¤¾ और जो पà¥à¤¾ था उसे कोई मà¥à¤–à¥à¤¯ अंतर दिखा?
गोपाल - हमें बहà¥à¤¤ आचारà¥à¤¯ हà¥à¤† जब यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान हमें पता चला की 3 मारà¥à¤— हो सकते है। नदी के किनारे किनारे जो की सबसे दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है, कही पर पैर फिसला तो मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² आ सकती है; गांव के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, और तीसरा हाईवे से। हम अधिकतर किनारे किनारे चले, तो बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सौंदरà¥à¤¯ à¤à¥€ मिला, कà¥à¤› समय गांव में à¤à¥€ चले कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•à¤¿ नदी में बाà¤à¤§ बनने के कारण रासà¥à¤¤à¥‡ बंद थे। दूसरे हमें ये अंदाज़ा नहीं था के नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ खंड में इतने संत, ऋषिमà¥à¤¨à¤¿ व साधू साधना करते है। हिमालय के जितने हों शायद उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¥¤ वैरागà¥à¤¯ की नदी मानी जाती है नरà¥à¤®à¤¦à¤¾à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ लोगो का दरà¥à¤¶à¤¨ होना ही सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ महसूस हो रहा है। बहà¥à¤¤ कà¥à¤› बताया उन लोगों ने, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिला। ये सोचा नहीं था।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ संतवाणी हमारे साथ à¤à¥€ आप साà¤à¤¾ करे।
गोपाल - हम आवलीं घाट,पटौदा गाà¤à¤µ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे। तà¤à¥€ à¤à¤• संत मिले, खà¥à¤¦ में लीन चले जा रहे थे, विशाल कमंडल था उनके हाथों में। देख कर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था शयद बहà¥à¤¤ साधना कर रखी हो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¥¤ 1 कि.मी. वह चà¥à¤ª चाप हमारे साथ चलते रहे, उसके बाद चाय के लिठअपने आशà¥à¤°à¤® आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया। 2 छोटे कमरे थे आशà¥à¤°à¤® में पर बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥¤ 9 साल से तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रहे थे वे 1 और सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ के साथ। हमें आशà¥à¤°à¤® और उनकी वाणी इतनी मधà¥à¤° लगी, की चाहा यहाठरà¥à¤•à¥‡ कà¥à¤› वक़à¥à¤¤à¥¤ पर पूछना अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लग रहा था। इतने में वे खà¥à¤¦ की कह बैठे- शाम 4 बज गठहैं , अगला गांव पास ही हैं, पर फिर à¤à¥€ आप यहाठरà¥à¤• जाà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हमें "योग कà¥à¤°à¥€à¥œà¤¾" à¤à¥€ सिखाई। इतना अचà¥à¤›à¤¾ लगा, खेल के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ योग। चौथी ककà¥à¤·à¤¾ तक पà¥à¥‡ थे वह, 12 की उमà¥à¤° में घर छोड़ कर साधना में लगे। इतनी सेवा की 3 दिन तक हमारी, इतनी विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾, इससे बड़ी सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती हैं ?
तृपà¥à¤¤à¤¿ - इस यातà¥à¤°à¤¾ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° पà¥à¤°à¥à¤· चलते है, महिलाà¤à¤ बहà¥à¤¤ कम। दिखती à¤à¥€ हैं तो उमà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾à¥›, 60 के ऊपर। à¤à¤• महिला के तौर पर, आपका अनà¥à¤à¤µ कैसा था? कोई कठिनाइयाठआयी आपको?
आरती - आम तौर पर यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को रहने के लिठआशà¥à¤°à¤®, सà¥à¤•à¥‚ल या मंदिर मिल जाता था। à¤à¤¸à¥€ जगह पर महिलाओ के लिठअलग शौचालय की शायद à¤à¤• परेशानी रहती है। मà¥à¤à¥‡ और बचà¥à¤šà¥€ को साथ देख कर, कई गाà¤à¤µ वाले कहते की आप हमारे घर पर रहो। टीचरà¥à¤¸, गाà¤à¤µ के सरपंच à¤à¤µà¤‚ संतो ने, सबने हमारे लिठकमरे खोले।
à¤à¤• कहानी और आपसे बाà¤à¤Ÿà¤¨à¤¾ चाहूà¤à¤—ी। आदिवासी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° - शूलà¥à¤ªà¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° की à¤à¤¾à¤¡à¥€ पार करने में 4-5 दिनों का वक़à¥à¤¤ लगता है। मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से 1-2 घर है वहाà¤à¥¤ à¤à¤• गृहिणी जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें आशà¥à¤°à¤¯ दिया, बहà¥à¤¤ ही पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µ वाली थी। इतने छोटे घर में, 7 बचà¥à¤šà¥‡, 3-4 गायें, बकरी, मà¥à¤°à¥à¤—ी सब उसी à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¥€ में साथ रहते थे। उनके चेहरे पे à¤à¤• बहà¥à¤¤ अलग शांति थी। पानी à¤à¥€ वह बहà¥à¤¤ दूर से à¤à¤°à¤•à¤° लाती थी। मैंने पूछा “आपके पास इतनी कम सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है , फिर à¤à¥€ आप इस à¤à¤¾à¤µ से हमें दान दे रही है?” तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा - " मेरे पास जो उपलबà¥à¤§ है, वही परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं। "
à¤à¤• बड़ी सीख थी वह हमारे लिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये à¤à¤• अलग की पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का दान था। हमारे पास बहà¥à¤¤ कà¥à¤› होते हà¥à¤ à¤à¥€ हम जोड़-घटाव में फà¤à¤¸ जाते है, पर इनके पास कà¥à¤› नहीं होते à¤à¥€, ये à¤à¤• राजा की तरह सबको दान देते हैं। इनकी मनोदशा कà¥à¤› और ही हैं, की इतना कम होते हà¥à¤ à¤à¥€, à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठसंचय करने के बजाय ये सबसे बांटने को आतà¥à¤° रहते है। हमारे पेट तो हमेशा à¤à¤°à¥‡ ही रहे, पर दिल à¤à¥€ बार बार ये देख के à¤à¤° आता था, और आà¤à¤–े नम रहती थी।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - कोई à¤à¤¸à¥€ घटना जब आप औरो की करूणा का पातà¥à¤° बनी हो?
ओजसà¥à¤µà¥€ - हम बस सड़क पे चल रहे थे, मैं कà¥à¤› लड़खड़ा रही थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरे पेट में बहà¥à¤¤ दरà¥à¤¦ हो रहा था। साथ ही कà¥à¤› लोग कह रहे थे की आगे à¤à¤¾à¤²à¥‚ आà¤à¤—ा, की आगे नदी है केवल लकड़ी से पार करना पड़ेगा इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤ कही से à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤ 1 साधू सामने आ गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शायद पीछे गांव वालों ने कहा की 1 परिवार चल रहा है, आप उनकी मदद करने जाइये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें आगे रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाया और साथ लकà¥à¤•à¥œà¤•à¥‹à¤Ÿ जंगल पार कराया। मंदिर पहà¥à¤‚चने के बाद, à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ ने मेरे पेट में कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¯à¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° जैसा किया, जिससे मà¥à¤à¥‡ अचà¥à¤›à¤¾ महसूस होने लगा। फिर उस संत महाराज ने मंतà¥à¤° बोलकर पानी पिलाया , उससे मेरा दरà¥à¤¦ पूरा ही ठीक हो गया। फिर में जंगल में आनंद पूरà¥à¤µà¤• खेली रातà¤à¤°à¥¤
तृपà¥à¤¤à¤¿ - à¤à¤¸à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ में आप पूरी तरह से दूसरो पे आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ होते है अपने à¤à¤°à¤£ पोषण के लिà¤à¥¤ पैसे आपके पास हो à¤à¥€ सकते है, पर अंदर गांव और जंगलो में पैसों से आप अपनी ज़रूरतें खरीद नहीं सकते। खाना मांगना पड़ता था, रà¥à¤•à¤¨à¥‡ के लिठपूछना पड़ता था। तो कà¥à¤¯à¤¾ आपका अहमॠà¤à¤¾à¤µ कà¤à¥€ आड़े आता था?
गोपाल - हम जियें है इस सवाल के साथ। मेरी दादी , हम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ माठकहते थे, वह हमेशा 2 रोटियाठअधिकॠबना के रखती थी। मà¥à¤à¥‡ बड़ा ताज़à¥à¥›à¥à¤¬ होता और मैं पूछता था “ये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚” और वे कहती, " कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी को à¤à¥€ ज़रà¥à¤°à¤¤ पड़ जाà¤?"।
गांव में नाशà¥à¤¤à¥‡ का कोई चलन नहीं है, 10:00-10:30 बजे à¤à¥‹à¤œà¤¨ बना के लोग खा लेते थे। हमें सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¥‚ख लगती थी, तो हमें खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया की घर जाकर "कल रात की रोटी बची है कà¥à¤¯à¤¾?" à¤à¤¸à¤¾ पूछे। पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन इस तरह हमें वह सूखी, बासी रोटी मिलती और उसका सही मूलà¥à¤¯ मालूम पड़ा। शायद इन लोगो ने à¤à¥€ उसी सोच से 2 अतिरिकà¥à¤¤ रोटियाठबना के रखी थी। ये देख हर हमें अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤† की अपना जीवन देखने वाले आप है नहीं, कोई और हैं। à¤à¤¸à¥‡ वातावरण में , पà¥à¤°à¥‡à¤® और à¤à¤¾à¤µ देखा जाता है, पैसा नहीं। कोई हिसाब-किताब का à¤à¤¾à¤µ है ही नहीं। बात लेन-देन से à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡, पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤µà¤‚ गहरे अंदरूनी विकास की हो जाती है।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - अब आप शहर लौटआये है। अब सारी सà¥à¤– सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾, पैसे वापस आ गठहै। कà¥à¤¯à¤¾ आपको लगता है इन सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से आपका जो समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है, उसमे कà¥à¤› बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ बदलाव आया हैं ?
गोपाल - अà¤à¥€ हम पिछले महीने ही लौटे हैं। ये ज़रूर बदलाव दिखता है जो हम पैसे के पीछे à¤à¤¾à¤—ते हैं, जीवन वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ करते हैं, वह अब मैं शायद नहीं करूà¤à¤—ा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की मà¥à¤à¥‡ पता चल गया है की पà¥à¤°à¥‡à¤® और सेवा-à¤à¤¾à¤µ कितनी बड़ी और खूबसूरत और नेक चीज़ है। पैसे और सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की अपनी à¤à¤• अहमॠजगह है, पर वो जीवन का मकसद नहीं बन जानी चाहिà¤à¥¤
आरती - मà¥à¤ मे इस से à¤à¤• आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ का à¤à¤¾à¤µ जनà¥à¤®à¤¾ है। à¤à¤• माठहोने के नाते, मेरी दà¥à¤† होती है की बचà¥à¤šà¥€ कà¤à¥€ à¤à¥‚खी न जाà¤à¥¤ गांव में दोपहर का समय था, खेत के पास हम चल रहे थे, तà¤à¥€ à¤à¤• किसान ने आवाज़ लगायी "नरà¥à¤®à¤¦à¥‡ हर"। अपनी जेब से तीन रोटियाठनिकाल के वो कहता है "अगला आशà¥à¤°à¤® दूर है, आप तीनो ये ले लो।" मैंने उसे बड़े à¤à¤¾à¤°à¥€ मन से पूछा, की हम तीनों रोटियाठआपकी कैसे ले सकते हैं ? उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उतà¥à¤¤à¤° दिया “जब आप तीनों खाà¤à¤‚गे, तो मेरा पेट à¤à¤° जाà¤à¤—ा।” मैंने इस यातà¥à¤°à¤¾ में दिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ देखा की अपना पेट तो पहले à¤à¤° जाता है , पर सेवा करने वालों का सेवा à¤à¤¾à¤µ कà¤à¥€ ख़तà¥à¤® नहीं होता।
तृपà¥à¤¤à¥€ - हम 5 महीने चले पर à¤à¤• दिन à¤à¥€ à¤à¥‚खे नहीं रहे या à¤à¤¸à¤¾ नहीं हà¥à¤† की सोने कि जगह न मिली हो।
आरती - सही समय पे सह सही उपाय हो जाते हैं।
तृपà¥à¤¤à¥€ - अचà¥à¤›à¤¾ है। वह अलग ही तरह का माठपà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की योजना है, जो शायद “à¤à¤•à¥à¤¸à¥‡à¤² शीट” की पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग में हम नहीं बना सकते।
तृपà¥à¤¤à¥€ - यातà¥à¤°à¤¾ में à¤à¤¸à¥‡ कोई कà¥à¤·à¤£ आये हो जिसमे आपने खà¥à¤¦ को असहाय महसूस किया ?
गोपाल - à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ याद आता है। सहपà¥à¤°à¤¾ नाम का तहसील था , शाम के 6 बज गठथे और हम सोने की जगह ढूनà¥à¤¢ रहे थे। बहà¥à¤¤ बड़ा à¤à¤• मंदिर मिला पर वहां अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं मिली। दूसरा à¤à¤• मंदिर मिला पर वहां कोई सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं थी। किसी ने सà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ की à¤à¤• समृधà¥à¤¦ घर है, शायद वहां कà¥à¤› उपाय हो। हम वहां पहà¥à¤‚चे तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने दूकान के गोदाम में रहने का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया। परनà¥à¤¤à¥ वह गोदाम कि सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ थी, हम वहां नहीं रà¥à¤• पाà¤à¥¤ वहां से निकले और फिर बहà¥à¤¤ ढूà¤à¤¢à¤¾à¥¤ उस शाम समठआया की बेघर कà¥à¤¯à¤¾ होता है। पैसे हो, “कà¥à¤°à¥‡à¤¡à¤¿à¤Ÿ कारà¥à¤¡” हो, पर कहाठरहोगे? à¤à¤• किराना दूकान पर गà¤, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ की तहसील अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के यहाठजाà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना दफà¥à¤¤à¤° खोल दिया और हम वहां सो पाà¤à¥¤ यह समठआया की अंत में सब कà¥à¤› परमातà¥à¤®à¤¾ पर ही छोड़ना होता है।
तृपà¥à¤¤à¥€ - कोई à¤à¤¸à¤¾ पल जब आपके सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों की कसौटी हà¥à¤ˆ हो ?
गोपाल - à¤à¤• शाम हम निवास के लिठसरपंच का घर ढूंढ रहे थे। रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¥€ में बूà¥à¥‡ बाबा दिखे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और चाय पिलाया। बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® से कहा की आप मेरे ही घर रह जाइà¤, और बूढी माता ने à¤à¥€ कहा की आपको यहीं रहना है। हम मान गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाया और परोसा। हम गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने ही वाले थे की à¤à¤•à¤¦à¤® से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा की वे निचली जाती के है , तो शायद उनके यहाठहमारा à¤à¥‹à¤œà¤¨ पाना सही न हो। तब लगा कितनी गहरी है ये जात-पात की दीवारें। मैंने सोचा की यातà¥à¤°à¥€ की कोई जात नहीं होती। हम मछà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के घर पर, किसानों के घर पर , सब के यहाठरà¥à¤•à¥‡à¥¤ हम तो पà¥à¤°à¥‡à¤®-à¤à¤¾à¤µ के à¤à¥‚के थे।
आरती -और à¤à¤• करà¥à¤£à¤¾ की कहानी बताना चाहूंगी। à¤à¤°à¥‹à¤¤ से 15 कि.मी. दूर गà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ जाने के दो रासà¥à¤¤à¥‡ है। रेल की पटरियों से होते हà¥à¤ या फिर बहà¥à¤¤ सारे गावों से गà¥à¥›à¤°à¤•à¤°à¥¤ तीन लड़कों ने हमारी मदद की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें पटरियों वाला रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाया और बताया की इससे 1.5 घंटे बच जाà¤à¤‚गे। मैंने बस इतना पूछा "कà¥à¤¯à¤¾ आप हमारे साथ चलेंगे?" वे à¤à¤•à¤¦à¤® से तैयार हो गठऔर चल दिà¤à¥¤ ये à¤à¥€ कहा की रेल आती होगी तो हम बताà¤à¤à¤—े की कैसे पटरियों से हटना है। उनकी उदारता से हम कृतजà¥à¤ž हो उठे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤› पैसे देने चाहे। पर वो लेना ही नहीं चाहते थे। बड़ा समà¤à¤¾à¤¯à¤¾- बà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ तो मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से वो माने। बहà¥à¤¤ समता और शकà¥à¤¤à¤¿ देती है हमे ये घटनाà¤à¤‚।
तृपà¥à¤¤à¥€ - आपकी सबसे बड़ी सीख कà¥à¤¯à¤¾ रही यातà¥à¤°à¤¾ की ?
गोपाल - अपनी गति को धीमा करना। हमें जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¥›à¥€ में चीज़े करने की आदत है। शहर में à¤à¤¸à¤¾ अकà¥à¤¸à¤° होता है। मेरे काम में मैंने खà¥à¤¦ महसूस किया है ये। धीमेपन में बहà¥à¤¤ गहराई होती है - आप सही सोचते हैं, अचà¥à¤›à¤¾ सोचते हैं। सयà¥à¤¯à¤® आ गया था अपने बरà¥à¤¤à¤¾à¤µ में। जैसे ओजसà¥à¤µà¥€ उठने मे परेशान करती थी, तो उसे सयà¥à¤¯à¤® से सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ लगा। जो काम सयà¥à¤¯à¤® से हो सके उसे कà¥à¤°à¥‹à¤§ से कà¥à¤¯à¥‚ठकरे? समता बà¥à¥€, विपशà¥à¤¯à¤¨à¤¾ साधना à¤à¥€ करता हूठतो समता का मूलà¥à¤¯ समà¤à¤¤à¤¾ हूà¤à¥¤
तृपà¥à¤¤à¤¿ -à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾ है ओजसà¥à¤µà¥€, आप जब किसी परेशानी में होती थी, तो अपने पापा से सीख "अनितà¥à¤¯ बोध" à¤à¤¸à¤¾ बोलती थी। आपने इस यातà¥à¤°à¤¾ से आपने कà¥à¤¯à¤¾ सीखा ?
ओजसà¥à¤µà¥€ - मैंने सीखा है परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेना।अगर कोई आपको कà¥à¤› दे रहा है तो उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिà¤, आपको उसमे कमियाठनहीं देखनी चाहिà¤à¥¤ अगर हम 3 को सोना हो, पर जगह इतनी छोटी मिले की केवल २ तकिये ही आ पाठ, तब मà¥à¤à¥‡ वह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना है। और मिले, और मिले à¤à¤¸à¤¾ नहीं सोचना हैं।
आरती - इस यातà¥à¤°à¤¾ से मà¥à¤à¥‡ तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• के आगे बà¥à¤¨à¥‡ की सीख मिली है। “à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‚à¤-वैसा कà¥à¤¯à¥‚औ इस तरह की सोच में कà¥à¤› फायदा नहीं। अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® करे, आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ समà¤à¥‡ और कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ पूरà¥à¤£ रहे।
तृपà¥à¤¤à¥€ - आपकी बातें सà¥à¤¨ à¤à¤¸à¤¾ लग रहा है की बैठे बैठे मैंने परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर ली।
राहà¥à¤² (दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ रखते हà¥à¤ ) - यातà¥à¤°à¤¾ से लौटे 1-1.5 महीने हो गà¤à¥¤ आपको जीवन में कà¥à¤¯à¤¾ बदलाव नज़र आ रहा है? आप बाहरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में निरंतर पिछले 2 दशकों से सेवा का काम करते आये है। अंदरूनी पà¥à¤°à¤—ति के लिठविपशà¥à¤¯à¤¨à¤¾ साधना का à¤à¥€ अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं। अब ये परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की à¤à¤• और साधना जà¥à¥œ गयी उस कड़ी में। कà¥à¤¯à¤¾ आपकी अंदर की इस यातà¥à¤°à¤¾ से बाहर के काम पर à¤à¥€ कà¥à¤› असर पड़ेगा?
गोपाल - अंदर और बाहर का परसà¥à¤ªà¤° समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ गहरा है। मैं जब साधना करता हूà¤, तो मà¥à¤à¥‡ वो और बलशाली बनाती है, जिससे मैं बाहर का काम और पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कर सकूà¤à¥¤ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ का कारà¥à¤¯ हो, चाहे डिसेबिलिटी का, अगर आपके अंदर शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती, तो आप सेवा नहीं कर सकते। खासकर जो सामाजिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¥œà¥‡ हैं , वो देखेंगे की आपकी ऊरà¥à¤œà¤¾ कà¥à¤·à¥€à¤£ होती जाती है, वह आनंद का à¤à¤¾à¤µ नहीं होता काम में। यातà¥à¤°à¤¾ में बहà¥à¤¤ à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤·à¤£ मिले जिसने मà¥à¤à¥‡ बलवान बनाया है। गांव में इतनी गरीबी और दà¥à¤ƒà¤– देखा है, उनकी रोज़ी- रोटी और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ कठिनाइयों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया, उन गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठउनके साथ मिल कर कà¥à¤¯à¤¾ कर सकता हूठ, यह सवाल मेरे मन में अब पà¥à¤°à¤¬à¤² हैं। इस पर काम करने के लिà¤, समता और कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ दोनों सहायक होंगी।
तृपà¥à¤¤à¤¿ - मà¥à¤à¥‡ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ किये तक़रीबन 1.5 साल हो गà¤à¥¤ जब यातà¥à¤°à¤¾ पर निकली थी, तो मेरे पास बताने के लिठकई कारण हà¥à¤† करते थे। इन समय में, मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ आà¤à¤¾à¤¸ कई बार हà¥à¤†, की जो मैं कारण बोलती हूठ, वह परिपूरà¥à¤£ नहीं है। सच पूछे तो अब मैं और कम जानती हूà¤, की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मैंने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ली, और में बहà¥à¤¤ संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ हूठअब इस " ना जानने " से। बात करे बदलाव की, तो जीवन में शायद सूकà¥à¤·à¥à¤®, लगà¤à¤¦ अदृशà¥à¤¯ रूप से बदलाव का अनà¥à¤à¤µ होता है। पहले सब कà¥à¤› योजना तहत करने की आदत थी, अब अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¾ को बहà¥à¤¤ हद तक सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° लिया है, à¤à¤• गहरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है
जीवन-धारा पर, की इस संसार की à¤à¤• पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ है, जो मेरी छोटी सीमित बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से बहà¥à¤¤ ऊपर है। उसमे विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करना, समरà¥à¤ªà¤£ का à¤à¤¾à¤µ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना - यहाठसब में सीख रही हूà¤à¥¤ उसके अलावा और मैतà¥à¤°à¥€ आचरण में कैसे लाऊ? जब रोज़ 20-30 कि.मी. चलो और पैरो में छाले पड़ जाà¤, à¤à¤¸à¥‡ वक़à¥à¤¤ अगले दिन उठकर फिर वही लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ - इसकी शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ दृà¥à¤¤à¤¾ औरों के पà¥à¤°à¥‡à¤® से ही मà¥à¤à¥‡ मिलती थी। तो वह पà¥à¤°à¥‡à¤® और करà¥à¤£à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ यहाठशहरी वातावरण में कैसे अपने à¤à¥€à¤¤à¤° लाऊ, किसी औरोठका साहस दे सकूà¤, ये सवाल मेरे लिठऔर अहमॠहो गया है।
राहà¥à¤² - कई दरà¥à¤¶à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ है ओजसà¥à¤µà¥€ के पालनपोषण से -- जैसे आपने उसे बड़ा किया है। और जानना चाहते है यातà¥à¤°à¤¾ से उसमे कà¥à¤¯à¤¾ बदलाव आया हैं ?
आरती - बहà¥à¤¤ सारे छोटे-छोटे बदलाव आये है ओजसà¥à¤µà¥€ में। à¤à¤• तो की इचà¥à¤›à¤¾-शकà¥à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ बॠगई हैं। जब कà¤à¥€ अब वह हताश होती है, उसे याद आते है वह दिन जब 35 कि.मी. अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में टोरà¥à¤š की रौशनी में हम चले, इतनी कठिनाई से गà¥à¥›à¤°à¥‡à¥¤ उसके सामने रोज़मरà¥à¤°à¤¾ की कठिनाइयाठबहà¥à¤¤ छोटी लगती हैं। à¤à¤•à¤¦à¤® से नहीं समठआता पर अंतरà¥à¤®à¤¨ में ये बदलाव बहà¥à¤¤ पकà¥à¤•à¥‡ हो जाते हैं। उसके अलावा, जैसा उसने कहा शिकायत की आदत बहà¥à¤¤ कम हो गई है, जो जैसा मिले उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना सीख रही हैं। हम सबको अब, छोटी चीज़ो में ख़à¥à¤¶à¥€ पाना आसान हो रहा हैं। उसकी संवेदनशीलता बà¥à¥€ है। à¤à¤• कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ और आà¤à¤¾à¤° का à¤à¤¾à¤µ आया है, जैसे की कई बार हम à¤à¥‹à¤œà¤¨ नहीं पाते थे, पर बचà¥à¤šà¥€ है तो इसे तो कोई à¤à¥€ अपने घर ले जाता à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिà¤à¥¤ à¤à¤• दिन à¤à¥€ इसे दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ छोड़ना नहीं पड़ा। जिसके घर जाती à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने, पहले उनके घरों में, उनकी मंगल कामना की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करती। हम à¤à¥€ उससे ये सीखे हैं।
राहà¥à¤² - किसी ने अचà¥à¤›à¤¾ ही कहा है , " बचà¥à¤šà¤¾ à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· का पिता होता है" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ हम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से कितना सीखते हैं ।
राहà¥à¤² - à¤à¤• आख़िरी सवाल , जो हमारे मितà¥à¤° यातà¥à¤°à¤¾ के इचà¥à¤›à¥à¤• है, उनके लिठआपका कोई संदेश?
गोपाल - आपके मन में अगर यातà¥à¤°à¤¾ का विचार आया है, तो बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶à¤•à¤¿à¤¸à¥à¤®à¤¤à¥€ की बात है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसका मतलब है माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की कृपा-दृषà¥à¤Ÿà¤¿ आप पर है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह यातà¥à¤°à¤¾ कठिन है, तो विचार आना ही काफी बड़ी बात है। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ की, à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ से काम नहीं है ये। इस विचार को अपना काम करने दे, और इसकी ओर बढे। माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तो बाà¤à¤¹à¥‡à¤‚ खोले आपका इंतज़ार कर ही रही है। और हाà¤, शारीरिक सेहत पे à¤à¥€ गौर करें।
आरती - अंदर से अगर à¤à¤• गहरी पà¥à¤•à¤¾à¤° हो, तो आप ज़रूर जाइये, बहà¥à¤¤ कà¥à¤› सीखने को है इस यातà¥à¤°à¤¾ में।
इस बीच, गोपाल ने यह à¤à¥€ विचार ज़ाहिर किया की अब उनका इरादा है की जो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के आस-पास गांव में परेशानियाठहै, उस विषय पर, गांववासियों के साथ मिल कर कà¥à¤› काम करें। वह इसके हेतॠ, à¤à¤¸à¥‡ सामान विचार रखने वाले लोगो से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ के हेतॠà¤à¥€ उतà¥à¤¸à¥à¤• हैं।
इस संवाद का वक़à¥à¤¤ ख़तà¥à¤® हो चला था, और जैसे की राहà¥à¤² ने कहा की कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® à¤à¤²à¥‡ ही काल-खंड में सीमित है, पर यातà¥à¤°à¤¾ की न कोई शà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¤ होती है, और न ही अंत। जीवन à¤à¤• परसà¥à¤ªà¤° यातà¥à¤°à¤¾ नहीं तो और कà¥à¤¯à¤¾ हैं? बहà¥à¤¤-बहà¥à¤¤ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ आपका, इस यातà¥à¤°à¤¾ में साथ जà¥à¥œà¤¨à¥‡ के लिà¤à¥¤